जम्मू कश्मीर,९ जून; ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है जब धर्म पर कर्म हावी हो जाता है या कह लीजिये फ़र्ज़ को अहमियत दी जाती है. हम बात कर रहे हैं जम्मू कश्मीर के बांदीपुरा के कमान्डेंट इकबाल की. रमजान का महीना होने की वजह से कमांडेंट इकबाल सुबह जल्दी जाग गए थे. सोमवार, 5 जून तड़के 4 बजे उन्होंने वायरलेस सेट पर गोलियों की आवाज सुनी. वे फौरन राइफल लेकर मौके पर पहुंच गए. रोजे पर रहते हुए भी इकबाल ने पूरे ऑपरेशन की अगुआई की.
कमांडेंट इकबाल ने बताया, “जैसे ही उन्हें 45वें सीआरपीएफ की बटालियन के कैम्प में फिदायीन हमले की जानकारी मिली, वे ‘सहरी’ छोड़कर मौके पर पहुंचे. चार आतंकी फायरिंग कर रहे थे. हमारे जवानों की अलर्टनेस से एक बड़ा हमला टल गया, नहीं तो आतंकी कई जानें ले सकते थे.” उन्होंने बताया कि आतंकियों ने जिस जगह पर हमला किया था वो उनकी बटालियन के कैम्प से करीब 200 मीटर की दूरी पर थी.
गौरतलब है कि सीआरपीएफ का यह कैम्प श्रीनगर से 34 किलोमीटर दूर है. सुम्बल में सीआरपीएफ की 45वें बटालियन का हेडक्वार्टर है. पहले चेतन कुमार चीता इसके कमांडेंट थे. उन्होंने पिछले साल बांडीपोरा में आतंकियों का मुकाबला करते हुए नौ गोलियां लगने के बावजूद मौत को मात दी है. चेतन चीता के एनकाउंटर में जख्मी होने के बाद बटालियन का प्रभार कमांडेंट इकबाल को दिया गया है.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने की कमांडेंट इकबाल अहमद की तारीफ
सहरी छोड़ आतंकियों से देश की रक्षा करने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने वाले कमांडेंट इकाबल अहमद की गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी तारीफ की. राजनाथ सिंह ने इस बड़ी आतंकी घटना को नाकाम करने के लिए कमांडर शंकरलाल जाट, पंकज हल्लू, कमांडर पंकज कुमार, कांस्टेबल दिनेश राजा और प्रफुल्ल कुमार की भी प्रशंसा की.