हिंदुओं का श्रावण महीना आज से शुरु
– पंडित दयानन्द शास्त्री
हिंदू धर्म में सावन का महीना काफी पवित्र माना जाता है। इसे धर्म-कर्म का माह भी कहा जाता है। सावन महीने का धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है। बारह महीनों में से सावन का महीना विशेष पहचान रखता है। इस दौरान व्रत, दान व पूजा-पाठ करना अति उत्तम माना जाता है व इससे कई गुणा फल भी प्राप्त होता है। इस बार का सावन अपने आप में अनूठा होगा। हमारे पुराणों और धर्मग्रंथों को उठा कर देखें तो भगवान शिव की पूजा के लिए सावन के महीने की महिमा का अत्याधिक महत्व है। इस महीने में में ही पार्वती ने शिव की घोर तपस्या की थी और शिव ने उन्हें दर्शन भी इसी माह में दिए थे। तब से भक्तों का विश्वास है कि इस महीने में शिवजी की तपस्या और पूजा पाठ से शिवजी जल्द प्रसन्न होते हैं और जीवन सफल बनाते हैं।
इस वर्ष 10 जुलाई 2017 से श्रावण मास शुरू हो रहा है। इस मौके पर मध्य प्रदेश के उज्जैन में बने ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में यहां श्रद्धालु आते हैं। मध्यप्रदेश में उज्जैन के प्रसिद्घ ज्योतिर्लिंग महाकाल में 16 जुलाई से श्रावण महोत्सव मनाया जाएगा. श्रावण महोत्सव 16, 23, 30 जुलाई और 6, 13, 20 अगस्त को आयोजित होगा। 10 जुलाई 2017 को श्रावण मास के पहले दिन महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। 7 अगस्त 2017 को श्रावणी पूर्णिमा पर भगवान महाकाल को सवा लाख लड्डुओं का महाभोग लगेगा। शाम को राजा की पांचवीं सवारी निकलेगी। 14 अगस्त 2017 को नगर में जन्माष्टमी का उल्लास छाएगा। इस दिन भादौ मास में महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। 21 अगस्त 2017 को महाकाल की शाही सवारी के साथ रामघाट पर सोमवती अमावस्या का स्नान होगा। देशभर से लाखों लोग उमड़ेंगे।
पंचागीय गणना के अनुसार करीब 20 साल बाद श्रावण-भादौ मास में सोमवार के दिन महापर्व और त्योहारों का अनुक्रम बन रहा है। 10 जुलाई को सोमवार के दिन श्रावण मास की शुरुआत होगी। सोमवार के दिन ही रक्षाबंधन और स्मार्तमत के अनुसार जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी। भगवान महाकाल की शाही सवारी के दिन सोमवती अमावस्या का महासंयोग बन रहा है। इससे पहले 1997 में इस प्रकार का संयोग बना था।
इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र तथा सायंकाल सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग बन रहा है। यह स्थिति मास पर्यंत शिव उपासना के लिए श्रेष्ठ है। इसके अलावा 7 अगस्त 2017 सोमवार को रक्षा बंधन है। इस दिन चंद्रग्रहण भी होगा। इस दिन दिन चन्द्रमा श्रावण नक्षत्र और मकर राशि में होगा। इसके बाद 14 अगस्त 2017 को स्मार्तमतानुसार महाकाल, गोपाल मंदिर तथा सांदीपनि आश्रम में जन्माष्टमी मनाई जाएगी। 21 अगस्त सोमवार को भगवान महाकाल की शाही सवारी के साथ सोमवती अमावस्या है। इस दिन रामघाट पर शिप्रा तथा सोमतीर्थ पर स्नान के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु आएंगे।
यूं तो भगवान शंकर की पूजा के लिए सोमवार का दिन पुराणों में निर्धारित किया गया है। लेकिन पौराणिक मान्यताओं में भगवान शंकर की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन महाशिवरात्रि, उसके बाद सावन के महीने में आनेवाला प्रत्येक सोमवार, फिर हर महीने आनेवाली शिवरात्रि और सोमवार का महत्व है। पर सावन के महीने की तो विशेष मान्यता है। सावन माह में शिवभक्त श्रद्धा तथा भक्ति के अनुसार शिव की उपासना करते हैं. सावन माह में शिव की भक्ति के महत्व का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है. चारों ओर का वातावरण शिव भक्ति से ओत-प्रोत रहता है. शिव मंदिरों में शिवभक्तों का तांता लगा रहता है. भक्तजन दूर स्थानों से जल भरकर लाते हैं और उस जल से भगवान का जलाभिषेक करते हैं|
जानिए क्या है सावन की मान्यता ?
ऐसी मान्यता है कि प्रबोधनी एकादशी (सावन के प्रारंभ) से सृष्टि के पालन कर्ता भगवान विष्णु सारी ज़िम्मेदारियों से मुक्त होकर अपने दिव्य भवन पाताललोक में विश्राम करने के लिए निकल जाते हैं और अपना सारा कार्यभार महादेव को सौंप देते है। भगवान शिव पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर विराजमान रहकर पृथ्वी वासियों के दुःख-दर्द को समझते है एवं उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं, इसलिए सावन का महीना खास होता है।
शिव को सावन ही क्यों प्रिय है?
महादेव को श्रावण मास वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं, जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करता है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांएं चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है। हिन्दू कैलेण्डर में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखे गयें हैं। जैसे वर्ष का पहला माह चैत्र होता है, जो चित्रा नक्षत्र के आधार पर पड़ा है, उसी प्रकार श्रावण महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र भगवान भोलेनाथ के मस्तक पर विराज मान है। जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सावन महीना प्रारम्भ होता है। सूर्य गर्म है एवं चन्द्र ठण्डक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिश होती है। जिसके फलस्वरूप लोक कल्याण के लिए विष को ग्रहण करने वाले देवों के देव महादेव को ठण्डक व सुकून मिलता है। शायद यही कारण है कि शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है।
जानिए 16 सोमवार के व्रत से जुड़ी कथा?
एक बार सावन के महीने में अनेक ऋषि क्षिप्रा नदी में स्नान कर उज्जैन के महाकाल शिव की अर्चना करने हेतु एकत्र हुए। वह अभिमानी वेश्या भी अपने कुत्सित विचारों से ऋषियों को धर्मभ्रष्ट करने चल पड़ी। किंतु वहां पहुंचने पर ऋषियों के तपबल के प्रभाव से उसके शरीर की सुगंध लुप्त हो गई। वह आश्चर्यचकित होकर अपने शरीर को देखने लगी। उसे लगा, उसका सौंदर्य भी नष्ट हो गया। उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई। उसका मन विषयों से हट गया और भक्ति मार्ग पर बढ़ने लगा। उसने अपने पापों के प्रायश्चित हेतु ऋषियों से उपाय पूछा, वे बोले- ‘तुमने सोलह श्रृंगारों के बल पर अनेक लोगों का धर्मभ्रष्ट किया, इस पाप से बचने के लिए तुम सोलह सोमवार व्रत करो और काशी में निवास करके भगवान शिव का पूजन करो।’ वेश्या ने ऐसा ही किया और अपने पापों का प्रायश्चित कर शिवलोक पहुंची। ऐसा माना जाता है कि सोलह सोमवार के व्रत से कन्याओं को सुंदर पति मिलते हैं तथा पुरुषों को सुंदर पत्नियां मिलती हैं। बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास, इसमें शिव की पूजा करने से प्रायः सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
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