सबसे कम उम्र में पास की तेनाली परीक्षा, PM नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
चेन्नई, 13 सितम्बर; मात्र 16 साल की उम्र में प्रियव्रत ने तमिलनाडु के कांची मठ की ओर से आयोजित तेनाली परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया है। अपने पिता से वेद और न्याय की पढ़ाई करने वाले प्रियव्रत ने इस महापरीक्षा के सभी 14 चरणों को पार कर रेकॉर्ड बनाया है। इतनी कम अवस्था में तेनाली परीक्षा पास करने वाले प्रियव्रत पहले शख्स हैं। प्रियव्रत की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके मुरीद हो गए हैं।
पीएम मोदी ने चामू कृष्णाशास्त्री के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा, ‘बहुत खूब। प्रियव्रत को इस उपलब्धि के लिए बधाई। आपकी उपलब्धि तमाम लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।’ शास्त्री ने अपने ट्वीट में प्रियव्रत और उनके माता-पिता की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा था, ‘कल अपर्णा और देवदत्त पाटिल के बेटे प्रियव्रत ने 16 साल की उम्र में इतिहास रच दिया। प्रियव्रत ने अपने पिता से वेद और न्याय की शिक्षा ली। उसने श्री मोहन शर्मा से सभी व्याकरण और महाग्रंथों की शिक्षा ली और तेनाली परीक्षा के 14 स्तर पास किए। प्रियव्रत ने सबसे कम उम्र में महापरीक्षा पास की है।’
पीएम मोदी ने चामू कृष्णाशास्त्री के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए प्रियव्रत को बधाई दी…
Excellent!
Congratulations to Priyavrata for this feat. His achievement will serve as a source of inspiration for many! https://t.co/jIGFw7jwWI
— Narendra Modi (@narendramodi) September 8, 2019
गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने भी दी प्रियव्रत को बधाई
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी प्रियव्रत को बधाई दी है। बताते चलें कि साल में दो बार कांची मठ में इस ‘महापरीक्षा’ का आयोजन किया जाता है। यह 14 स्तर की होती है। शास्त्रों संबंधी पढ़ाई कर चुके छात्र ही इसमें हिस्सा ले सकते हैं। इस परीक्षा को पास करने वालों को संस्थान की ओर से मान्यता दी जाती है। गौरतलब है कि पिछले 40 वर्षों में शास्त्रों के अध्ययन के विषय में तेनाली महापरीक्षा काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसकी लोकप्रियता को देखते हुए साल 2015 में इंडिक अकादमी इस परीक्षा को सपोर्ट करता आ रहा है।
क्या है तेनाली परीक्षा
तेनाली परीक्षा एक ‘ओपन यूनिवर्सिटी’ की तरह से होती है। इस परीक्षा के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए स्टूडेंट अपने गुरुओं के साथ रहते हैं। साथ ही ‘गृह गुरुकुल’ प्रणाली की तरह से पढ़ाई करते हैं। साल में दो बार सभी गुरु और शिष्य तेनाली के लिए आते हैं जहां उनकी लिखित और मौखिक सेमेस्टर परीक्षा होती है। इस पढ़ाई के दौरान बच्चों को भत्ता भी मिलता है। जिस तरह से नालंदा विश्वविद्यालय में बच्चों को पढ़ाया जाता था, कुछ उसी तरह से यहां भी बच्चों को पढ़ाया जाता है।
इन छात्रों की 5 से 6 साल की पढ़ाई के दौरान कांची मठ की निगरानी में ‘महापरीक्षा’ होती है। यह 14 चरणों में होती है जिसका जवाब संस्कृत में देना होता है। सभी 14 चरण पार करने पर उन्हें पास माना जाता है। प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अध्ययन के लिए ‘तेनाली परीक्षा’ पास करना पिछले 40 सालों से एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। प्रियव्रत ने व्याकरण महाग्रंथ की पढ़ाई श्री मोहन शर्मा से की है।