एक दरवाज़ा जिससे गुज़रने पर जन्नत नसीब होने की है मान्यता
अजमेर, 2 सितम्बर; हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर शनिवार को ईद उल अजहा के मौके पर हजारों की तादाद में देश के विभिन्न स्थानों से आए जायरीनों ने हाजरी दी. जायरीनों के लिए जन्नती दरवाजा भी खोला गया. जन्नती दरवाजा साल में चार बार खोला जाता है. इस दरवाजे से गुजरने के लिए अकीदतमंदों में जबरदस्त उत्साह रहता है. मान्यता है कि जो इस दरवाजे से गुजर गया, उसके सारे गुनाह माफ हो जाते हैं. इसी कारण अकीदतमंद रात भर इंतजार करते हैं. जायरीनों की जबरदस्त भीड़ और भगदड़ मचने की संभावना के चलते जन्नती दरवाजा खुलने से पूर्व सुरक्षा बल तैनात कर दिए जाते हैं.
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क्यों हैं यह आस्था
ऐसा माना जाता है कि जन्नती दरवाजा ख्वाजा साहब के हुजरे (कमरे) में आने-जाने का द्वार था. इस द्वार का यह नाम बाबा फरीदुद्दीन गंज शकर ने अपनी अकीदत से रखा था. यह जन्नती दरवाजा ईद व बकरीद के अवसर पर एक-एक दिन के लिए खुलता है. ऐसे ही ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान एक से छह तारीख तक खुला रहता है. जायरीन इस दरवाजे के सात चक्कर लगाते हैं.
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