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क्या है सीदी सैय्यद मस्जिद का इतिहास

क्या है सिदी सैय्यद मस्जिद का इतिहास

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत पहुँच चुके हैं. भारत में बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखने के लिए वे भारत पहुंचे हैं. उनके इस दौर को यादगार बनाने के लिए प्रधानमन्त्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री को मस्जिद दिखाने का फैसला किया है. ये खास मस्जिद अहमदाबाद में है और इसका नाम है सीदी सैय्यद मस्जिद. 13 सितंबर को जब आबे मस्जिद में जाएंगे तो उनके साथ बतौर गाइड पीएम मोदी मौजूद होंगे.

16वीं सदी में हुआ था इस मस्जिद का निर्माण

गुजरात सल्तनत के आखिरी सुल्तान शमशुद्दीन मुजफ्फर शाह (तृतीय)की सेना के जनरल सुलतान अहमद शाह बिलाल झाजर खान थे. उनका एक गुलाम था सीदी सैयद, जो यमन से गुजरात आया था. वो गरीबों के लिए काम करता था और किताबें पढ़ने का शौकीन था. इसी सीदी सैयद ने 1572 में ये मस्जिद बनवानी शुरू की थी. 1573 में ये मस्जिद बनकर तैयार हो गई.

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अभी भी अधूरी सी लगती है यह मस्जिद

इसी दौरान मुगल शासक अकबर ने मुजफ्फर शाह को गद्दी से हटाकर गुजरात सल्तनत पर कब्जा कर लिया. इतिहासकारों का मानना है कि मस्जिद के पूरा होने से पहले ही गुजरात सल्तनत बर्बाद हो गई थी. इसीलिए मस्जिद को देखकर ऐसा लगता है कि इसमें कुछ काम अब भी बाकी है. ये मस्जिद अहमदाबाद की पहचान रही है.

जालीदार नक्काशी है इसकी खासियत

इस मस्जिद में जालीदार नक्काशी का खूब काम हुआ है, इसीलिए इसे सीदी सैयद की जाली भी कहते हैं. अहमदाबाद के ठीक बीचोंबीच लाल दरवाजा के पास बनी ये मस्जिद भारतीय-अरबी नक्काशी का बेजोड़ नमूना है. इसकी दीवारों पर मार्बल लगाए गए हैं. मस्जिद की पश्चिमी ओर की खिड़कियों में जालियां बनी हुई हैं. कुल आठ जालियों के साथ इस मस्जिद को बनाया गया है. इन जालियों पर ही पत्‍थर से नक्‍काशी और खुदाई करके पेड़ बनाया गया है, जो बेहद खूबसूरत है.

आईआईएम का लोगो सिदी सैय्यद मस्जिद की जाली से प्रेरित

भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) पूरे देश में मैनेजमेंट के सबसे अच्छे संस्थान माने जाते हैं. अहमदाबाद में जो आईआईएम है, उसका लोगो बनाने की प्रेरणा इसी मस्जिद की जाली से मिली थी. कहा जाता है कि जब अंग्रेज़ भारत में काबिज हो गए तो उन्होंने इस मस्जिद की एक जाली निकाल ली थी और उसे ब्रिटिश म्यूज़ियम में रखवा दिया था. अंग्रेज़ इस मस्जिद का इस्तेमाल ऑफिस के तौर पर करते थे.

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Post By Shweta