Happy Birthday Special: लता मंगेशकर के 50 भजन : 50 Devotional Songs of Lata Mangeshkar
आज स्वर कोकिला लता मंगेशकर का जन्मदिन है। वाणी की प्रभा, स्वर की साधना और लय-ताल की सरगम को अपने जिव्हा और हृदय में बसाए सालों से देश की आवाज बनी हुई है स्वर साधिका लता मंगेशकर।
आज स्वरकोकिला, भारत रत्न “लता जी” का जन्मदिन है ।।
संगीत की आत्मा…उनके लिए जितना लिखा जाए कम ही होगा।।
सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह महज एक दिन के लिए स्कूल गयी थी ।
स्वर सामज्ञी लता मंगेशकर सत्यजित राय के बाद फिल्म जगत की दूसरी ऐसी हस्ती हैं जिन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार के अतिरिक्त देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी नवाजा गया है।
28 सिंतबर 1929 को मध्यप्रदेश में इंदौर के एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार में जन्मी लता मंगेशकर ने वर्ष 1942 में किटी हसाल के लिये अपना पहला गाना गाया था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर को लता का फिल्मों के लिये गाना पसंद नहीं आया और उन्होंने उस फिल्म से नन्हीं लता के गाये गीत को हटवा दिया था. हालांकि इसी वर्ष उन्हें पहली मंगलगौर में अभिनय करने का मौका मिला.
लता मंगेशकर का असली नाम हेमा हरिदकर है. बचपन से ही उन्हे रेडियो सुनने का शौक था. जब वह 18 वर्ष की थी तो उन्होंने अपना पहला रेडियो खरीदा था. जैसे ही उन्होंने रेडियो ऑन किया तो उन्होंने उस पर केएल सहगल की मृत्यु का समाचार सुना. बाद में उन्होंने वह रेडियो दुकानदार को लौटा दिया।
लता मंगेशकर को बचपन में साईकिल चलाने का भी शौक था जो पूरा नहीं हो सका. अलबत्ता उन्होंने अपनी पहली कार 8000 रूपये में खरीदी थी. लता मंगेशकर मसालेदार भोजन करने का शौक रखती हैं. एक दिन में वह तकरीबन 12 मिर्च खा जाती हैं. उनका मानना है कि मिर्चे खाने से गले की मिठास बढ़ जाती है. लता मंगेशकर को किक्रेट देखने का भी काफी शौक रहा है. लार्ड्स में उनकी एक सीट सदा आरक्षित रहती है।
अपने कैरियर की शुरूआत में लता मंगेशकर को अपने पार्श्वगायकों के साथ एक ही माइक्रोफोन से गाने का अवसर मिलता था. जब वह पार्श्वगायक हेमंत कुमार के साथ गाने गाती थीं तो इसके लिये उन्हें स्टूल का सहारा लेना पड़ता था. इसकी वजह यह थी कि हेमंत कुमार उनसे काफी लंबे थे।
लता मंगेशकर फिल्म इंडस्ट्री में मृदु स्वाभाव के कारण जानी जाती है लेकिन दिलचस्प बात है कि किशोर कुमार और मोहम्मद रफी जैसे पार्श्वगायकों के साथ भी उनकी अनबन हो गयी थी. किशोर कुमार के साथ लता मंगेशकर की अनबन का वाकया काफी दिलचस्प है. लता मंगेशकर ने इस घटना का जिक्र कुछ इस प्रकार किया है. बांबे टॉकीज की फिल्म जिद्दी के गाने की रिर्काडिंग करने जाने के लिये जब वह एक लोकल ट्रेन से सफर कर रही थी तो उन्होंने पाया कि एक शख्स भी उसी ट्रेन में सफर कर रहा है. स्टूडियो जाने के लिये जब उन्होने तांगा लिया तो देखा कि वह शख्स भी तांगा लेकर उसी ओर आ रहा है. जब वह बांबे टॉकीज पहुंची तो उन्होंने देखा कि वह शख्स भी बांबे टॉकीज पहुंचा हुआ है. बाद में उन्हें पता चला कि वह शख्स किशोर कुमार हैं. बाद में जिद्दी में लता मंगेशकर ने किशोर कुमार के साथ ‘ये कौन आया रे करके सोलह सिंगार’ गाया।
इसे महज संयोग ही कहा जाएगा कि बतौर पार्श्वगायक किशोर कुमार और देवानंद ने इसी फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. दिलचस्प बात है कि इस फिल्म में उन्हें देवानंद के लिए गाने का मौका मिला और बाद में वह देवानंद की आवाज कहलायीं.
यूं तो लता मंगेशकर ने अपने सिने कैरियर में कई नामचीन अभिनेत्रियों के लिये पार्श्वगायन किया है लेकिन अभिनेत्री मधुबाला जब फिल्म साईन करती थीं तो अपने कांट्रेक्ट में इस बात का उल्लेख करना नहीं भूलती थी कि उनके गाने लता मंगेशकर को गाने का अवसर दिया जाये.
1974 में लंदन के सुप्रसिद्ध रॉयल अल्बर्ट हॉल में उन्हें पहली भारतीय गायिका के रूप में गाने का अवसर प्राप्त है. लता मंगेशकर को फिल्म देखने का शौक कम ही रहा है. उनकी सबसे पसंदीदा फिल्म द किंग एंड आई है. हिंदी फिल्मों में उन्हें त्रिशूल,शोले,सीता और गीता, दिलवाले दुल्हिनियां ले जायेंगे और मधुमती पसंद है. वर्ष 1943 में प्रदर्शित फिल्म किस्मत उन्हें इतनी अधिक पसंद आई थी कि उन्होंने इसे लगभग 50 बार देखा था.
लता मंगेशकर को मेकअप पसंद नहीं है. बहरहाल उन्हें डायमंड रिंग पहनने का शौक रहा है. उन्होंने अपनी पहली डायमंड रिंग वर्ष 1947 में 700 रूपये में खरीदी थी. लता मंगेश्कर अपने कैरियर के शुरूआती दौर में डायरी लिखने का शौक रखती थी जिसमें वह गाने और कहानी लिखा करती थी बाद में उन्होंने उस डायरी की अनुपयोगी समझ कर उसे नष्ट कर दिया.
लता मंगेशकर ने फिल्म पार्श्वगायन के अलावा बतौर निर्मात्री एक हिंदी फिल्म लेकिन का निर्माण भी किया है. वर्ष 1991 में प्रदर्शित इस फिल्म में उनकी आवाज में यारा सीली सीली गीत श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ. इस गीत के लिये गीतकार गुलजार को सर्वश्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार दिया गया था.
लता मंगेशकर ने देश-विदेश में लगभग छह दशकों से अपनी जादुई आवाज के जरिये बीस से अधिक भाषाओं मे पचास हजार से भी ज्यादा गीत गाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज करा चुकी हैं.
लता मंगेशकर एक ऐसी हस्ती हैं जिन्हें ऐसी इज्जत मिलती है जो शायद ही कभी किसी सुपरस्टार को मिली हो। लता मंगेशकर का नाम सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में आज भी इज्जत से लिया जाता है। पाकिस्तान और भारत के बीच कितने भी कड़वे रिश्ते हों लेकिन लता मंगेशकर ऐसी भारतीय हैं जिन्हें पाकिस्तान में भी उतनी ही इज्जत मिली और उनका गाया गाना ऐ मालिक तेरे बन्दे हम पाकिस्तान के कई स्कूलों में प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है।
रिलीजन वर्ल्ड आपके लिए स्वर कोकिला के गाए 50 भजन लेकर पेश हुआ है। सुनिए और उत्सवों के इस माहौल को और पावन कीजिए…
साभार – Saregama Shakti
सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर को जन्मदिन की ढ़ेर सारी दिली मुबारकबाद।
लेख – पं. दयानंद शास्री