काबा में होने वाले नए निर्माण को लेकर क्यों चिंतित हैं लोग
इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र स्थल मक्का समेत कई ऐतिहासिक और सांस्कतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के ऐतिहासिक स्वरूप को बदला जा रहा है, ताकि आधुनिकता की जगह बनाई जा सके. इसी क्रम में अब सऊदी अरब सरकार मक्का स्थित पवित्र काबा में एक हटाई जा सकने वाली छत का निर्माण करने जा रही है. इसे लेकर सऊदी अरब की सरकार पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं. लोगों को चिंता सता रही है कि इस तरह के फैसले से इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र स्थल का ऐतिहासिक स्वरूप नष्ट हो जाएगा.
हालांकि मक्का प्रांत या सऊदी अधिकारियों की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. इसका एक विडियो जरूर सामने आया है जिसमें प्रस्तावित छत की कार्ययोजना को समझाया गया है. इसके निर्माण के पीछे उद्देश्य यह है कि काबा जाने वाले तीर्थयात्रियों को रेतीली हवाओं और धूप के थपेड़ों से बचाया जा सके.
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हाल ही में मस्जिद के सुरक्षा बल के कमांडर मेजर जनरल मुहम्मद अल-अहमदी ने कहा था, यह निर्माण जल्द होने वाला है और इस छत का निर्माण 2019 तक पूरा होने की संभावना है.
इस्लामिक हेरिटेज रिसर्च फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ. इरफान अल-अलावी ने कहा, सदियों से मुस्लिम हज और उमरा के लिए यहां की तीर्थयात्रा करते रहे हैं लेकिन कभी किसी ने कोई शिकायत नहीं की. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस तरह से इस्लाम की विरासत को क्यों नष्ट किया जा रहा है? कोई भी काबा को किसी छत से ढक नहीं सकता क्योंकि मुस्लिमों का मानना है कि अल्लाह की रहमत आसमां से नीचे बरसती है. यह अंब्रेला प्लान हॉलीवुड की किसी फिल्म के किसी स्पेसशिप की तरह मालूम पड़ता है.’
जहां कई धार्मिक स्थलों को मक्का की संज्ञा दी जाती है, वहीं अब मक्का एक नए अवतार में खुद को ढाल रहा है. पिछले 10 सालों में इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल में बड़ी तब्दीली आ चुकी है. कभी मरुस्थल में स्थित मक्का में हज तीर्थयात्रियों की बढ़ते हुजूम से जूझता रहता था, वहीं अब इसके आस-पास आसमान छूती इमारतें, शॉपिंग मॉल्स और लग्जरी होटल्स की चकाचौंध दिखाई पड़ने लगी है.
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मक्का-मदीना में रहने वाले एक बड़े मुस्लिम वर्ग इस बात से हैरान है कि देश की पुरातात्विक विरासत को आधुनिकता की धुन में कुचला जा रहा है. मक्का जहां कभी मुहम्मद साहब ने दुनिया के सभी मुसलमानों को एक बराबर बताया था, अब वह अमीर लोगों के लिए खेल का मैदान बनकर रह गया है. आलोचकों का कहना है कि यहां पूंजीवाद खुले तौर पर पैर पसार चुका है.
इस्लामाकि हेरिटेज रिसर्च फाउंडेशन के एग्जेक्युटिव डायरेक्टर डॉ. इरफान अल-अलावी बताते हैं, लोग कुछ भी कहने और सुनने से डरते हैं. किसी में भी इतना साहस नहीं है कि इसके खिलाफ खड़े हो सकें और लड़ सके. उन्होंने कहा, हम पहले ही 400-500 ऐतिहासिक स्थल खो चुके हैं, अभी भी बहुत देर नहीं हुई है. अगर हम चीजों को फिर से सही कर सके तो.
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