आचार्य संजीव कृष्ण ठाकुर: सफल कथा प्रवक्ता के साथ-साथ एक समाज सुधारक
भारत वर्ष का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है. यहाँ केवल ऋषि-मुनियों ने ही नहीं अपितु स्वयं वह पूर्ण ब्रह्म भी कभी भगवान राम बनकर तो कभी भगवान कृष्ण बनकर इस धरा धाम पर अवतीर्ण हुए.
धर्म के रक्षार्थ और उच्च मानवीय जीवन मूल्यों के स्थापनार्थ इस माँ भारती ने समय समय पर जगद्गुरु शंकराचार्य, महाप्रभु वल्लभ, तुलसी दास जी और विवेकानन्द जैसे अनेकानेक महापुरुषों को अपनी कोख से जन्म दिया.
इसी श्रृंखला में 23 दिसम्बर 1984 को बृजभूमि में एक भगवद् निष्ठ परम वैष्णव ब्राह्मण परिवार में एक अत्यन्त तेजस्वी बालक का जन्म हुआ. जन्म से ही अनेक विलक्षणताओं से सम्पन्न इस बालक को जिसने भी देखा, वह इसकी आलोकिकता से स्तब्ध रह गया. यह बालक है आचार्य संजीव कृष्णा ठाकुर जी.
9 वर्ष की अल्पायु में ही अध्ययन हेतु गृह त्याग और मात्र 12 वर्ष की अल्पायु में ही श्रीमद्भागवत कथा के व्याख्यान द्वारा आपने अपनी विलक्षणता और दिव्यता का परिचय दे दिया था.
कुछ समय पश्चात आपकी ख्याति केवल देश में ही नहीं अपितु विदेश में भी एक सफल कथा प्रवक्ता के साथ – साथ एक समाज सुधारक और प्राणी मात्र के हितैषी सरल व सौम्य स्वभाव सम्पन्न सहज बाल संत के रूप में भी होने लगी.
एक बार गोवर्धन की परिक्रमा के दौरान आपके द्वारा कूड़ा – कचरा पर मुँह मारती गोविन्द की प्रिय गौमाताओं को देखा गया तो सौम्य स्वभाव के कारण आपका हृदय करुणा से भर आया और उसी समय आपके द्वारा इन बृद्ध, बीमार और बेसहारा गौमाताओं की सेवा के निमित्त एक गौशाला बनाने का संकल्प लिया गया.
आपका वही बीज रुप संकल्प आज समर्पण गौशाला के रुप में एक विशाल वट वृक्ष के रुप में पुष्पित एवं फलित होकर 500 से ऊपर बृद्ध, बीमार, असहाय और निसहाय गोवंश की सेवा में अहर्निस समर्पित है.
सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापना के निमित्त आपश्री के द्वारा किये जा रहे प्रयासों के परिणामस्वरूप यूनिवर्सल पीस फ़ाउण्डेशन यू के द्वारा आपश्री को अम्बेसडर ऑफ़ द पीस के खिताब से नवाजा गया तो वहीं हाल ही में आपश्री को भागवत रत्न जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
समय-समय पर आपश्री के द्वारा गरीब कन्याओं की शादी, गरीब बच्चों और महिलाओं में वस्त्र वितरण एवं गरीब बस्तियों में खाद्य सामग्री बाँटकर अपने संतत्व का परिचय बखूबी दिया जाता रहा है.
इस वर्ष संजीव कृष्ण ठाकुर जी ने पूरे देश भर के अपने भक्तों से अनुरोध किया कि इस वर्ष उनके जन्मदिवस को सेवादिवस के रूप में मनाया जाए. इसी क्रम में जयपुर में 1100 स्कूल के ग़रीब बच्चों को स्वयं ठाकुर जी ने स्वेटर वितरण किए वहीं पूरे देशभर में क़रीब दिल्ली, जमशेदपुर,नीमका थाना, राउरकेला सहित अनेको शहरों एवं गाँव में ठाकुर जी के शिष्यों एवं भक्तों ने क़रीब 11000 ग़रीब बच्चों को स्वेटर वितरण किए गए एवं अनेक गौशलाओ में गौ माताओं को हरा चारा एवं गुड खिलाया गया.
जयपुर में किए गए वितरण के कुछ फ़ोटो
वृंदावन ठाकुर जी के आश्रम में सैकड़ोंसाधु संतो को कम्बल वितरण किया गया एवं भंडारा आयोजित किया गया!
नीमका थाना में दिव्यांग बच्चों को स्वेटर वितरण किए गए वहीं राउरकेला में वैदिक गुरुकुल में 251 बटुको को भोजन कराया गया एवं वस्त्र वितरण किया गया!
राउरकेला में किए गए वितरण के दृश्य
नीमका थाना में दिव्यांग बच्चों को वितरण!
इस अवसर पर ठाकुर जी के पावन सानिध्य में 21-23 दिसम्बर तक जयपुर में कथा के मध्य तीन दिवसीय गीता जीवन संदेश का भी आयोजन किया गया जहाँ भक्तों को गीता के सूत्रों को समझाया गया. हमें क्यूँ गीता जी की आवश्यकता है हमारे जीवन में जब अवसाद, तनाव एवं अशांति का प्रवाह चरम पर होता है तब गीता जी हमें दिशा दिखाती हैं!
देखिए…गीता जीवन संदेश…
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