अहिंसा स्थल पर जैन एकता का अनूठा नजारा
- आचार्य विराग सागर जी ने दिल्ली से सम्मेद शिखर तक की पदयात्रा शुरू की
- जैन दर्शन से व्यक्ति से विश्व तक की समस्याओं का समाधान संभव – आचार्य लोकेश
नई दिल्ली : अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक प्रख्यात जैन आचार्य डा. लोकेश मुनि ने आचार्य विराग सागर जी के दिल्ली से सम्मेद शिखर तक की पदयात्रा के शुभारम्भ पर आयोजित मंगल भावना समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जैन साधु साध्वियों का जीवन समाज में अहिंसा, शांति और सद्भावना की स्थापना के लिए पूर्ण रूप से समर्पित है | उन्होंने कहा कि आचार्य विराग सागर जी ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चातुर्मास कर तथा लाल किले पर 26 दीक्षाएं एक साथ देकर नया इतिहास रचा है | आचार्य लोकेश ने दिगम्बर संतो के विशिष्ठ त्यागमयी जीवन शैली की सराहना करते हुए आचार्य विराग सागर जी की पदयात्रा पर मंगलकामनायें दी | अहिंसा स्थल महरोली पर आयोजित समारोह में आचार्य विहर्ष सागर जी, आचार्य श्रुत सागर जी आचार्य प्रज्ञ सागर जी आदि साधू साध्वियाँ उपस्थित थे।
आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि जैन धर्म वैज्ञानिक धर्म है और प्रासंगिक है | इसके माध्यम के व्यक्ति के विश्व तक की तमाम समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है | वर्तमान की तीन प्रमुख समस्याओं हिंसा आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और गरीबी असमानता, तीनों का समाधान जैन धर्म में है | परमाणु खतरों और आतंकवाद से जूझ रही दुनिया को भगवान महावीर के अहिंसा और शांति के दर्शन से ही बचाया जा सकता है | उन्होंने कहा कि भगवान महावीर नें संयम आधारित जीवन शैली की बात की, व्यक्तिगत भोग और उपभोग के सीमाकरण की बात की, उन्होंने कहा पदार्थ सीमित है, वो असीम इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर सकते| सचमुच उनका मार्गदर्शन पर्यावरण की शुद्धि के लिए अत्यंत उपयोगी है| भगवान महावीर की शिक्षाएं आर्थिक असामनता को कम करने की आवश्यकता के अनुरूप हैं| उन्होंने बताया कि अभाव और अत्यधिक उपलब्धता दोनों ही हानिकारक हैं| आज के समय में धन पर कुछ ही लोगों का अधिकार बढ़ती हुई असहिष्णुता का एक कारण है|
आचार्य विराग सागर जी ने इस अवसर पर कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते एक विशिष्ठ स्थान रखती है , यहाँ की आवाज पूरे विश्व में सुनाई देती है | यहाँ का समाज बहुत ही श्रद्धा और आस्थाशील है | विहर्ष सागर जी के मार्गदर्शन में यहाँ के लोगो ने हमारे प्रवास का पूरा लाभ उठाया, इसकी मुझे सात्विक प्रसन्नता है | उन्होंने दिल्ली वासियों को सम्मेद शिखर तीर्थ में समय समय पर भी लाभ उठाने का आह्वान किया | उन्होंने आचार्य लोकेश के आदर्वादी, समन्वय वादी दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा कि आचार्य लोकेश अपनी प्रतिभा के बल पूरे विश्व में जैन धर्म की प्रभावना कर रहे है |
इस अवसर पर आचार्य विहर्ष सागर जी, आचार्य श्रुत सागर जी आचार्य प्रज्ञ सागर जी, मुनिश्री विहसंत सागर जी ने अपने बहुत ही महत्वपूर्ण सारगर्भित विचार व्यक्त किये |