अक्षय पात्र फाउंडेशन : सात्विक और पौष्टिक भोजन से सामाजिक उत्थान
इस्कॉन से जुड़ी संस्था अक्षय पात्र फाउंडेशन देशभर में हर रोज लाखों बच्चों को मुफ्त खाना मुहैया करवाती है। अलग-अलग राज्यों के 13 हजार स्कूलों में संस्था की ओर से हर रोज मिडडे मील उपलब्ध करवाया जा रहा है। पिछले 18 सालों से इस अभियान में जुटी अक्षय पात्र फाउंडेशन इस दिशा में लगातार विस्तार कर रही है और ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवा रही है।
कैसे हुई शुरुआत-
अक्षय पात्र फाउंडेशन की शुरूआत की हकीकत बेहद प्रेरणादायक और आंखें खोलने वाली है। इस्कॉन के संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने एक बार कुछ बच्चों को भोजन के लिए कुत्तों से जूझते देखा तो उन्हें काफी दुख हुआ। इस घटना के बाद उन्होंने निश्चय किया कि उनके सेंटर से 10 मील के इलाके में कोई बच्चा भूखा नहीं रहेगा। उनकी इस पहल से प्रेरित होकर उनके अनुयायियों ने अक्षय पात्र फाउंडेशन की स्थापना कर दी।
पेट भरना ही नहीं पौष्टिकता भी है मकसद-
स्कूली बच्चों को पोषक तत्वों से युक्त भरपेट भोजन मिलेगा तो वो ना सिर्फ स्कूल आएंगे बल्कि उनकी एकाग्रता और क्षमता भी बढ़ेगी। संस्था का यह सबसे बड़ा मकसद है। गर्मियों की छुट्टियों के दौरान सूखाग्रस्त इलाकों के बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाना भी अहम उद्देश्य है। सतत विकास के साथ ही बच्चों को भरपेट भोजन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य के साथ अक्षय पात्र लगातार आगे बढ़ रही है। भोजन में प्रोटीन, कैलोरी और सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा का पूरा ध्यान रखा जाता है। भोजन की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता है, हर रोज स्कूलों से फीडबैक लिया जाता है। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर अक्षय पात्र कई राज्यों में स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन की व्यवस्था करती है।
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बैंग्लुरू से शुरू हुआ सफर-
साल 2000 में बैंग्लूरू उस वक्त बैंगलोर के 5 सरकारी स्कूलों से फ्री भोजन की शुरुआत हुई। इसके बाद पिछले 17 सालों में केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से ये संख्या 13,000 के पार पहुंच चुकी है।
सफाई और शुद्धता का खास ध्यान-
देश के 12 राज्यों में संस्था की 34 रसोइयां संचालित हैं जिनमें हजारों सेवक हर रोज लाखों बच्चों के लिए खाना तैयार करते हैं। संस्था की इन आधुनिक सेंट्रलाइज्ड रसोइयों में मशीनों से सारा काम होता है। वहीं दूरदराज और ऐसे ग्रामीण इलाके जहां इंफ्रास्ट्रक्चर लगाना संभव नहीं वहां अक्षय पात्र की देखरेख में महिला स्वंय सहायता समूहों की मदद से खाना तैयार किया जाता है। सेंट्रलाइज्ड और डिसेंट्रलाइज्ड दोनों तरह की रसोइयों में हेल्थ और हाइजीन का विशेष ध्यान रखा जाता है। संस्था के खास वाहनों द्वारा गर्मागर्म और पौष्टिक खाना स्कूलों तक पहुंचाया जाता है।
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हर जरूरतमंद तक भोजन पहुंचाने का अभियान-
महिलाओं, वृद्धाश्रमों और निराश्रितों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाया जाता है।
इस्कॉन मंदिरों में भी सस्ता और सात्विक भोजन-
इस्कॉन मंदिरों में हर रोज सैंकड़ों श्रद्धालु भगवान के दर्शनों के बाद परिवार और मित्रजनों के साथ भोजन प्रसादी का आनंद भी उठाते हैं। जयपुर स्थित इस्कॉन मंदिर में सिर्फ 50 रुपए में श्रद्धालुओं को पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर शुद्ध सात्विक भरपेट भोजन मिलता है। मंदिर परिसर में ही पंगत में बिठाकर श्रद्धालुओं को सेवा भाव से भोजन करवाया जाता है। सबसे खास बात यह कि प्रभु की शरण में प्रभु का प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
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