पचास वर्षों के बाद तमिलनाडु की धरा पर पधारे तेरापंथ के आचार्य
- आरम्बकम् से आरम्भ हुई महातपस्वी महाश्रमण की तमिलनाडु यात्रा
- मंगल बेला में महातपस्वी महाश्रमण ने तमिलनाडु की सीमा में किया मंगल प्रवेश
- पचास वर्षों के बाद तमिलनाडु की धरा पर पधारे तेरापंथ के आचार्य
- अपने आराध्य के स्वागत को उमड़ा श्रद्धालुओं का जन समूह
- नवमाधिशास्ता के 22वें महाप्रयाण दिवस पर महातपस्वी सहित चतुर्विध धर्मसंघ ने किया नमन
आरम्बकम्, तिरुवल्लूर (तमिलनाडु) राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 16 पर स्थित आंध्रप्रदेश व तमिलनाडु का सीमावर्ती क्षेत्र। हजारों-हजारों नेत्र एक दिशा की ओर टकटकी लगाए हुए थे। अवसर था जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी श्वेत रश्मियों के साथ तमिलनाडु को धरती को ज्योतित करने के लिए आ रहे थे। इस दुर्लभ दृश्य को ही अपने नेत्रों से देखने की ललक लिए हजारों-हजारों कदम एक ही दिशा की ओर बढ़ते जा रहे थे।
जन-जन की चेतना को जागृत करने, समाज में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की स्थापना करने के लिए जनकल्याणकारी अहिंसा यात्रा लेकर निकले महासूर्य सम आचार्यश्री महाश्रमणजी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों व पूर्वी प्रदेशों को पावन करने के उपरान्त आज से लगभग तीन महीने पूर्व दक्षिणायन हुए। लगभग तीन महीने तक आंध्रप्रदेश धरा को आलोकित करने के पश्चात आज तमिलनाडु की धरा पर उदियमान होने वाले थे।
आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ आंध्रप्रदेश के नेलूर जिले के टाडा से मंगल प्रस्थान किया। उत्साही तमिलनाडुवासी तो आचार्यश्री के प्रस्थान से पूर्व ही मंगल सन्निधि में उपस्थित हो गए थे। अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करते हुए साथ निकल पड़े। कुछ किलोमीटर के पश्चात ही आंध्रप्रदेश की सीमा ने आचार्यश्री के चरणरज लेकर विदाई ली तो तमिलनाडु की धरती ऐसे महातपस्वी के चरणरज को प्राप्त करने को आतुर नजर आ रही थी। तमिलनाडु की सीमा में पंक्तिबद्ध हजारों-हजारों श्रद्धालु पंक्तिबद्ध अपने आराध्य के सुभागमन की प्रतिक्षा कर रहे थे। पूर्व घोषित समयानुसार लगभग 8.21 बजे आचार्यश्री ने जैसे ही तमिलनाडु की धरती पर चरण टिकाए तो मंगल जयघोष गूंज उठा और समूचा वातावरण महाश्रमणमय बन गया। अपने आराध्य को अपने राज्य में पाकर पूरा तमिलनाडु निहाल हो उठा। पचास वर्षों बाद तमिलनाडु की धरा पर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य का आगमन हो रहा था तो वहीं आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ भारत के चैदहवें राज्य के रूप में मंगल स्पर्श किया। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री अपने साधु-साध्वियों व समणियों संग जब तमिलनाडु की सीमा मंे विहार कर रहे थे तो एक मोहक दृश्य उत्पन्न हो रहा था। हजारों-हजारों पैर ज्योतिचरण का अनुगमन करते हुए बढ़ते चले जा रहे थे। तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले के आरम्बकम् में स्थित सेंट मेरी मैट्रिक हायर सेकेण्ड्री स्कूल में पावन प्रवेश किया।
इस विद्यालय परिषद में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आज आषाढ़ कृष्णा तृतीया है। आज के ही दिन तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता गणाधिपति आचार्य तुलसी का महाप्रयाण हुआ था। आचार्यश्री ने आचार्यश्री तुलसी के जीवनवृत्त का वर्णन करते हुए कहा कि 22 वर्ष की युवास्था में तेरापंथ धर्मसंघ के नेतृत्व का दायित्व प्राप्त करने वाले प्रथम आचार्य थे तो वहीं तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य परंपरा के इतिहास में पद का विसर्जन करने वाले भी प्रथम आचार्य थे। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ का कितना-कितना विकास किया। आज के दिन ऐसे विशिष्ट महापुरुष संत को बारम्बार श्रद्धा का समर्पण करते हैं और उनके जीवन से हम सभी को प्रेरणा प्राप्त हो सके।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त तमिलनाडु आगमन के संदर्भ मंे कहा कि आज तमिलनाडु में ससंघ आना हुआ है। तमिलनाडु में खूब अच्छी धर्म की प्रभावना हो, मंगलकामना। आचार्यश्री के मंगल उद्बोधन के उपरान्त मुख्यमुनिश्री ने आचार्यश्री व उनकी अहिंसा यात्रा का गुणगान करते हुए आचार्यश्री को गंगा की तरह पापनाशक, चंद्रमा की तरह ताप नाशक बताते हुए आचार्य तुलसी को अपनी श्रद्धा समर्पित करते हुए ‘पथ दर्शक गुरुराज…..’ गीत का सुमधुर संगान किया।
तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का दिन तमिलनाडुवासियों के लिए ऐतिहासिक दिन है। आज आचार्य तुलसी का महाप्रयाण और आचार्यश्री महाश्रमणजी का तमिलनाडु की धरती पर शुभागमन है। आचार्य तुलसी के जीवनवृत्त को वर्णित करते हुए कहा कि उनका संपूर्ण जीवनकाल अपने आप में अपरिमेय रहा। इस दौरान मुख्यनियोजिकाजी तथा साध्वीवर्याजी ने भी उद्बोध प्रदान किया तथा सौभाग्य से मिले इस सुअवसर का लाभ उठाने के लिए लोगों को उत्प्रेरित किया। आचार्य तुलसी को भी अपनी विनयांजलि समर्पित की।
इसके उपरान्त इस विद्यालय के फादर पोपोइया ने भी आचार्यश्री के स्वागत में अपने हर्षित भाव व्यक्त किया। अहिंसा यात्रा प्रवक्ता मुनिकुमारश्रमणजी ने आचार्यश्री व अहिंसा यात्रा के विषय में लोगों को अवगति प्रदान की। साध्वीवृंद ने गुरुदेव तुलसी के स्मृति में गीत का संगान किया। दक्षिण भारत से संबंधित साध्वी सिद्धार्थप्रभाजी ने अपनी धरा पर अपने आराध्य के अभिनन्दन में अपने भाव व्यक्त किए तो साथ दक्षिण भारत से संबंधित साध्वियों, समणियों और मुमुक्षु बाइयों ने सामूहिक स्वर में अपने आराध्य की अभिवन्दना की। आचार्यश्री महाश्रमण चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई के स्वागताध्यक्ष श्री प्यारेलाल पितलिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। चोरड़िया सिस्टर्स ने गीत के द्वारा अपने आराध्य की अभिवन्दना की।