27-28 जुलाई 2018 : चंद्र ग्रहण का समय और राशिफल
पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा पूर्णतः गोलाकार का दिखाई देता है, लेकिन कभी कभी किसी वजह से चंद्रमा के पूर्ण हिस्से पर धनुष या हंसिया के आकार की काली परछाई दिखने लगती है। जो कभी-कभी चाँद को पूरी तरह से ढक लेती है। पहली स्थिति को चन्द्र अंश ग्रहण या खंड-ग्रहण कहते है जबकि दूसरी स्थिति को पूर्ण चन्द्र ग्रहण या खग्रास कहते है। और ऐसा अधिकतर पूर्णिमा तिथि को ही होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। चंद्रग्रहण का प्रकार एवं अवधि चंद्र आसंधियों के सापेक्ष चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करते हैं।
किसी सूर्यग्रहण के विपरीत, जो कि पृथ्वी के एक अपेक्षाकृत छोटे भाग से ही दिख पाता है, चंद्रग्रहण को पृथ्वी के रात्रि पक्ष के किसी भी भाग से देखा जा सकता है। जहाँ चंद्रमा की छाया की लघुता के कारण सूर्यग्रहण किसी भी स्थान से केवल कुछ मिनटों तक ही दिखता है, वहीं चंद्रग्रहण की अवधि कुछ घंटों की होती है। इसके अतिरिक्त चंद्रग्रहण को, सूर्यग्रहण के विपरीत, आँखों के लिए बिना किसी विशेष सुरक्षा के देखा जा सकता है, क्योंकि चंद्रग्रहण की उज्ज्वलता पूर्ण चंद्र से भी कम होती है। चंद्र ग्रहण को ज्योतिषी काफी महत्वपूर्ण मानते हैं। ज्योतिषियों के मुताबिक चंद्र ग्रहण का असर कई राशियों पर पड़ता है।
यदि आपकी कुंडली में ग्रहण दोष है तो “ग्रहण दोष शांति पूजा” के लिए यह दिन सर्वोत्तम है. “पितृ दोष शांति ” और “वैदिक चन्द्र शांति पूजा ” के लिए भी यह दिन उपयुक्त माना जाता है. इस दिन किये गये कार्यों का प्रभाव कई गुना अधिक हो जाता है इसलिए मन्त्र सिद्धि और किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए ग्रहण का दिन अत्यंत ही उपयुक्त माना गया है | जिस भी राशि के जातक के लिए ग्रहण का अशुभ फल लिखा हुआ है उसे विशेष रुप से जाप, पाठ, ग्रहण शान्ति तथा दानादि द्वारा ग्रहण के अनिष्ट प्रभाव को दूर करना चाहिए। इसके अलावा ग्रहण के समय औषधि स्नान से भी अनिष्ट की शांति होती है।
भारत में 27-28 जुलाई, 2018 की रात को पूर्ण चंद्रग्रहण देख सकेंगे। 27-28 जुलाई को रात 22:44 बजे से पूर्ण चंद्र ग्रहण शुरू होगा, जो मध्यरात्रि के बाद अगले दिन प्रात: 04:58 बजे तक देखा जा सकेगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण करीब 6 घंटे 14 मिनट तक बना रहेगा। दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, एशिया, आस्ट्रेलिया, भारत में इस चंद्र ग्रहण को इसकी पूर्णता में देखा जा सकेगा। चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण हमेशा साथ-साथ होते हैं तथा सूर्य ग्रहण से दो सप्ताह पूर्व चंद्र ग्रहण होता है। 27-28 जुलाई को होने वाला चंद्र ग्रहण, 13 जुलाई 2018 को होने वाले सूर्य ग्रहण से संबद्ध है। वर्ष 2018 में पड़ने वाला यह दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण होगा।
दान : चावल , आटा , दाल , वस्त्र , फल इत्यादि का दान सर्वोत्तम
चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करें – चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करके नए वस्त्र पहनने चाहिए। ग्रहण के वक्त पहने कपड़ों को दान कर देना चाहिए। ऐसा करना शुभ माना जाता है। चंद्र ग्रहण के बाद पितरों को दान करना भी शुभ होता है। ऐसा करने से घर में खुशहाली आती है। ग्रहण काल में तुलसी के पौधे को छूना शुभ नहीं माना जाता।
ग्रहण काल में करने वाले कार्य और निषिद्ध कार्य…
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार ग्रहण के सूतक तथा ग्रहण के समय में स्नान, दान, जप-पाठ, मन्त्र, स्तोत्र-पाठ, मंत्र-सिद्धि, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि शुभ कामों का सम्पादन करना कल्याणकारी होता है। आस्थावान लोगों को 31 जनवरी को सूर्यास्त से पूर्व ही अपनी राशि अनुसार अन्न, जल, चावल, सफेद वस्त्र, फलों आदि दान योग्य वस्तुओं का संग्रह करके संकल्प कर लेना चाहिए। अगले दिन सुबह दुबारा स्नान करके ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
सूतक तथा ग्रहण काल में मूर्त्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना-पीना, मैथुन, सोना, तैलाभ्यंग वर्जित माना गया है। झूठ, कपटादि, व्यर्थ अलाप, मूत्र-पुरुषोत्सर्ग, नाखून काटने आदि से परहेज करना चाहिए। वृद्ध, रोगी, बालक तथा गर्भवती महिलाओं को आवश्यकतानुसार भोजन अथवा दवाई आदि लेने में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं माना गया है।
ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को धार्मिक ग्रंथ का पाठ करना चाहिए। इस समय गर्भवती महिलाओं को मन को प्रसन्न रखना चाहिए क्योंकि ऎसा करने से होने वाली संतान स्वस्थ तथा सद्गुणी होगी।
हरिद्वार, प्रयाग, वाराणसी आदि तीर्थों पर ग्रहण समय में स्नान का विशेष माहात्म्य माना गया है।
ग्रहण में स्पर्श के समय स्नान, मध्य में होम और देवपूजन और ग्रहण मोक्ष के समय श्राद्ध और अन्न, वस्त्र, धनादि का दान और सर्वमुक्त होने पर स्नान करें – यही क्रम है।
ग्रहण अथवा सूतक से पहले ही दूध, दही, अचार, चटनी, मुरब्बे आदि में कृशातृण रख देना चाहिए, ये श्रेयस्कर होता है क्योंकि ऎसा करने से ये दूषित नहीं होते। जो सूखे खाद्य पदार्थ हैं उनमें कुशा डालना आवश्यक नहीं है। रोग शान्ति के लिए ग्रहण काल में “श्रीमहामृत्युंजय मंत्र” का जाप करना शुभ होता है।
ग्रहण पर विशेष प्रयोग – चाँदी अथवा कांसे की कटोरी में घी भरकर उसमें चाँदी का सिक्का मंत्रपूर्वक डालकर अपना मुँह देखकर छायापात्र मंत्र पढ़ना चाहिए और ग्रहण की समाप्ति पर वस्त्र, फल और दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान करने से रोग से निवृति होती है।
ग्रहण किन स्थानों में दिखाई देगा – दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, एशिया, आस्ट्रेलिया, भारत।
चंद्र ग्रहण 27 जुलाई 2018 की सम्पूर्ण जानकारी
चंद्र ग्रहण का समय – 27 जुलाई रात्रि 11:54:26 PM से 28 जुलाई रात्रि 03:48:59 AM तक।
चंद्रग्रहण की कुल अवधि – 03 घंटा 54 मिनट 33 सेकंड
सूतक काल प्रारंभ – 27 जुलाई, दोपहर 12:27:28 PM।
सूतक काल की समाप्ति – 28 जुलाई, रात्रि 03:48:59 AM।
घड़ी के अनुसार चंद्रग्रहण का पूर्ण विवरण
उपच्छाया से पहला स्पर्श 27th, जुलाई को रात्रि 22:44:48
प्रच्छाया से पहला स्पर्श 27th, जुलाई को रात्रि 23:54:26
खग्रास प्रारम्भ 28th, जुलाई को रात्रि 01:00:14
परमग्रास चंद्र ग्रहण 28th, जुलाई को रात्रि 01:51:43
खग्रास समाप्त 28th, जुलाई को रात्रि 02:43:11
प्रच्छाया से अन्तिम स्पर्श 28th, जुलाई को रात्रि 03:48:59
उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श 28th, जुलाई को प्रातः 04:58:37
खग्रास की अवधि 01 घंटा 42 मिनट 56 सेकंड
खण्डग्रास की अवधि 03 घंटे 54 मिनट 32 सेकंड
उपच्छाया की अवधि 06 घंटे 13 मिनट 48 सेकंड
चन्द्र ग्रहण का आपकी राशि पर असर/प्रभाव या राशिफल
यह राशिफल आपकी चन्द्र राशि पर आधारित है अतः किसी विशेष परिस्थिति में अपनी कुंडली की जाँच कराकर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचे |ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अच्छे या बुरे परिणाम आपकी वर्तमान दशा- अंतर दशा पर निर्भर करते हैं.
मेष राशि
आपके लिए यह ग्रहण लाभ दिलाने वाला तथा कार्यों को सिद्ध करने वाला हो सकता है। कार्यक्षेत्र में मेहनत और लगन में किसी प्रकार की कमी न करें।
वृष राशि
धन लाभ कराने वाला हो सकता है और जातक की उन्नति के द्वार भी खुल सकते हैं। भाग्य के सहयोग से रुके हुए कार्य पूरे होंगे।
मिथुन राशि
इन जातकों के लिए यह ग्रहण धन हानि कराने वाला हो सकता है। जातक यात्राएँ भी कर सकता है। अप्रत्याशित घटनाएं आपकी परेशानियां बढ़ाएंगी। आशा के विपरीत कुछ क्षेत्रॊं से लाभ प्राप्त हो सकता है।
कर्क राशि
शारीरिक कष्ट देने वाला हो सकता है। गुप्तरोग हो सकते हैं अथवा दुर्घटना आदि के योग भी बन सकते हैं इसलिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। बुरे प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है।
सिंह राशि
यह ग्रहण धन हानि देने वाला हो सकता है और अन्य कुछ चिन्ताएँ भी व्यक्ति को घेरे रह सकती हैं। रोग और विरोधी कष्ट का कारण बनेंगे। एहतियात रखनी होगी।
कन्या राशि
यह ग्रहण धन लाभ देने वाला हो सकता है और सुख देने वाला भी हो सकता है। पारिवारिक विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
तुला राशि
यह ग्रहण स्वास्थ्य संबंधी विकार उत्पन्न करने वाला हो सकता है। किसी भी प्रकार से कष्ट या किसी से भय उत्पन्न हो सकता है। संघर्ष भी सामने आ सकते हैं जिनसे सावधानी से निपटना चाहिए।
वृश्चिक राशि
यह ग्रहण चिन्ताएँ पैदा करने वाला हो सकता है और संतान संबंधी कष्ट भी हो सकते हैं। शिक्षा और अध्ययन कार्यों में लगे जातकों को एकाग्रता की कमी का अनुभव होगा।
धनु राशि
यह ग्रहण साधारण सा लाभ देने वाला कहा जा सकता है लेकिन साथ ही खर्चे भी बरकरार रह सकते हैं। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष शत्रुओं से भय बना रह सकता है।
मकर राशि
जीवनसाथी से संबंधित परेशानियाँ लाने वाला हो सकता है। आपको मानसिक कष्ट झेलना पड़ सकता है। सेहत पर ध्यान रखें साथ ही धन हानि की भी स्थितियां पैदा हो सकती हैं। व्यर्थ का तनाव, चिंता और उलझनों से भरा समय रहेगा।
कुंभ राशि
यह ग्रहण रोगादि उत्पन्न करने वाला हो सकता है। गुप्त चिन्ताएँ बनी रह सकती है और जीवन में कुछ संघर्षों से भी सामना हो सकता है। दूरस्थ यात्राएं हानि और सेहत में कमी का कारण बन सकती हैं। विदेश में रहने वालों को अपना विशेष ध्यान रखना होगा।
मीन राशि
यह ग्रहण खर्चे बढ़ाने वाला हो सकता है और कार्यों में विलम्ब कराने वाला हो सकता है। मित्रों से संबंध प्रभावित हो सकते हैं। इस सप्ताह यात्राओं को स्थगित करना ही लाभकारी रहेगा।
सभी राशि के जातक ग्रहण काल में शुभ फल पाने के लिए चन्द्रधारी भगवान शिव की पूजा अर्चना करें, एवं चंद्र ग्रहण के दौरान ‘ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करें। ग्रहण के प्रभाव से इन राशि के जातकों का काम तो होगा लेकिन इसमें बाधाएं आने के संकेत हैं।
पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)