करवाचौथ 2018 पर बना है सर्वार्थ सिद्धियोग
भारतीय विवाहित महिलाओं के लिए करवा चौथ का त्योहार सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। सरगी से लेकर पूजा के लिए तैयार होने और शाम को चांद देखने तक की प्रक्रिया इतनी रोचक होती है कि जो लोग इस व्रत को नहीं करते हैं, वह इसे देखकर ही आनंदित हो जाते हैं ।
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस वर्ष करवा चौथ (27 अक्टूबर 2018 ) के दिन सर्वार्थ सिद्धियोग भी बन रहा है।
इस बार करवाचौथ 2018 का व्रत और पूजन बहुत विशेष है। इस बार 70 साल बाद करवाचौथ पर ऐसा योग बन रहा है। इस बार रोहिणी नक्षत्र और मंगल का योग एक साथ आ रहा है।ज्योतिष के मुताबिक यह योग करवाचौथ को और अधिक मंगलकारी बना रहा है। इससे पूजन का फल हजारों गुना अधिक होगा।
करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग होना अपने आप में एक अद्भुत योग है। रविवार होने से इसका महत्व और बढ़ गया है। चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्यभामा योग बन रहा है। यह योग चंदमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी के साथ होने से बन रहा है। पति के लिए व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए यह बेहद फलदायी होगा। ऐसा योग भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा के मिलन के समय भी बना था।
पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि इस बार चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र का होगा। इस वजह से विशेष संयोग बन रहा है। इससे व्रत करने वाली महिलाओं को विशेष फल मिलेगा। पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार, चंद्रमा की वृष गत होने के कारण कन्या, मिथुन, मकर, कुंभ, वृष और तुला राशि की महिलाओं को अपने पति से विशेष सुख प्राप्त होगा। उनका कहना है कि इस वर्ष 2018 में करवा चौथ के समय शुक्र अस्त रहेगा। इस दौरान शुभ काम नहीं किए जाते हैं, इसलिए महिलाएं करवा चौथ व्रत का उद्यापन नहीं कर पाएंगी।
माना जाता है इस मुहूर्त में किया गया हर कार्य सफल होता है और इस दौरान की गई पूजा, व्रत का लाभ ज्यादा मिलता है। करवा चौथ का पूजन भारतीय महिलाएं सौभाग्य की वृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए करती हैं। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन और व्रत का समापन किया जाता है।
इकीसवीं सदी में बिखरते पारिवारिक रिश्ते, आहत होती भावनाएं और पति/पत्नी के मध्य घटते विश्वास को मजबूती प्रदान करनेवाला पर्व ‘करवा चौथ’ का व्रत 27 अक्तूबर को मनाया जाएगा। द्वापर युग से लेकर आज कलियुग के पांच हजार एक सौ उन्नीस वर्ष व्यतीत होने पर भी यह पर्व उतनी ही आस्था के साथ मनाया जाता है जैसा द्वापर युग में मनाया जाता था। भारत की राजधानी “दिल्ली” में करवाचौथ पर चंद्रमा का उदय रात 07 बजकर 58 मिनट पर होगा।
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाओं द्वारा दिनभर निर्जला व्रत रखकर शाम के समय प्रदोष काल (गोधुली बेला) में एवं निशीथ काल (मध्य रात्रि) के मध्य भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कुमार कार्तिकेय आदि देवताओं की षोडशोपचार विधि सेपूजन करने के साथ–साथ सुहाग के वस्तुओं की भी पूजा की जाती है।
चंद्रमा का पूजन, दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है। इस समय विधि–विधान से पूजा पाठ शुरू कर सकते हैं। लेकिन सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होगी। इसलिए इसी अवधि में पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देना अति उत्तम होगा।
करवाचौथ के दिन पत्नी का करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं द्वारा मिलकर व्रत की कथा सुनते समय चीनी अथवा मिट्टी के करवे का आदान–प्रदान किया जाता है। घर की बुजुर्ग महिला जैसे ददिया सास, सास, ननद या अन्य सदस्य को बायना, सुहाग सामग्री, फल, मिठाई, मेवा, अन्न, दाल आदि एवं धनराशि देकर और उनके चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लिया जाता है।इस शुभ परंपरा में पति भागीदार हो सकते हैं इससे पर्व की मिठास और बढ़ेगी।
27 को 8 बजे के बाद पूजन कल्याणकारी
करवा चौथ के दिन 27 अक्टूबर को रात 7:38 बजे चंद्रोदय होगा लेकिन भद्रा 7:58 बजे तक रहेगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रात नौ बजे तक रहेगा। ऐसे में रात आठ से नौ बजे के बीच पूजन करना सबसे कल्याणकारी होगा।
करवा चौथ के दिन 27 अक्टूबर को रात 7:38 बजे चंद्रोदय होगा लेकिन भद्रा 7:58 बजे तक रहेगी।
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रात नौ बजे तक रहेगा।