नयी दिल्ली, 14 फरवरी; नई दिल्ली के विज्ञान भवन में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और आई.जी.एन.सी.ए के सहयोग से ‘दिव्य ज्योति जागृति संस्थान (डी.जे.जे.एस)‘ एक अद्भुत वैदिक रीइंजीनियरिंग कॉन्क्लेव – ‘अमृतस्य पुत्र:‘ का 16 फरवरी को आयोजन करने जा रहा है।
ऐसा पहली बार देखने को मिलेगा जब ऋषि-शोधकर्ताओं की पंच-कोष तकनीक को एक अद्वितीय, समकालीन, 5-आयामी री-इंजीनियरिंग मॉडल के रूप में प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। नृत्य-नाटिकाओं, प्रेरक वार्ताओं, उपनिषद्-आधारित मॉडल, गूढ़ व रोचक एक्टिविटीज़ इत्यादि से युक्त इस वर्कशॉप में कुल छ: सत्र होंगें जिनका संचालन संस्थान की विदुषी एवं अनुभवी प्रचारिकाएँ करेंगी।
इस कॉन्क्लेव को आयोजित करने के पीछे संस्थान का उद्देश्य समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को ऋषि-मनीषियों की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रिसर्च से अवगत कराना है। ये ऐसे बहुमूल्य शोध हैं, जिनको आधुनिक जीवन के अनुरूप बनाने के लिए संस्थान के पीस प्रोग्राम ने उल्लेखनीय पहल की है।
कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रत्येक सदस्य को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व संस्थान द्वारा स्वीकृत सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
अपनी सांस्कृतिक जड़ों से दूर हो चुका आज का इंसान तनाव, अनिद्रा, अवसाद, रिश्तो में कडवाहट इत्यादि समस्यायों से जूझ रहा है। इन परेशानियों से निजात पाने के लिए इस कार्यशाला के सत्रों में समकालीन समाधान प्रदान किए जाएगें।
प्रथम कोष (अन्नमय) पर आधारित ‘वैदिक जिम’ में धनुर्वेद एवं नाट्य शास्त्रों से विविध एरोबिक नृत्य-मुद्राएँ उद्धृत की गई है। इसी कोष के अंतर्गत ‘वैदिक फैशन शो’ भी आयोजित किया जाएगा- जिसमें वेदकालीन वेश-भूषा के विज्ञान को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
‘वैदिक डिटोक्स’ नामक सत्र द्वितीय कोष (प्राणमय) पर आधारित होगा। इसमें नवीन प्राणायामों की मदद से प्रतिभागियों को शारीरिक एवं भावनात्मक डिटोक्स प्रदान किया जाएगा।
तृतीय कोष (मनोमय) पर आधारित होगा ‘सु-सम्बधों के लिए वैदिक औषधि’ नामक सत्र। षोडश संस्कारों और दांपत्य सूत्र से प्रेरित, यह चौथा सत्र वैदिक-युग में विवाहित जोड़ों, परिवार, और समाज के बीच के सु-संबंधों के गुणों को नृत्य-नाटिका के माध्यम से मंचित करेगा।
चतुर्थ कोष (विज्ञानमय) पर आधारित सत्र में योग निद्रा के गहन विषय के द्वारा विश्रामपूर्ण नींद प्राप्त करने के प्राचीन उपाय पर प्रकाश डाला जाएगा।
पंचम कोष (आनंदमय) पर आधारित होगा, ‘वैदिक दीक्षा’ नामक सत्र। इसमें उपनिषदों से उद्धृत वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक मॉडलों के माध्यम से ध्यान की परम-विधि के विषय पर प्रेरक व्याख्यान दिया जाएगा।
यह भी पढ़ें-आशुतोष जी महाराज: जीवन और समाधि
सम्मेलन का समापन हृदय को आह्लादित कर देने वाली संगीतमयी प्रस्तुति से होगा। 1200 से अधिक प्रतिभागियों की सीटिंग कैपेसिटी वाले विज्ञान भवन में आयोजित इस समारोह में दिल्ली-एनसीआर के कई शीर्ष पदाधिकारी, डॉक्टर, वकील, उद्यमी, शिक्षाविद और कॉलेज के छात्र इत्यादि शामिल होंगे। कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि के तौर पर माननीय श्री प्रह्लाद सिंह पटेल जी (राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार) एवं माननीय श्री सोम प्रकाश जी (राज्य मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार) भी शामिल होंगे।