रामनवमीं कब है ? रामनवमीं व्रत व पूजा विधि
हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है रामनवमी का पवित्र और पावन पर्व। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की नवमी को भारतवर्ष में हिंदू संप्रदाय राम के जन्मदिन यानि की रामनवमी के रुप में मनाता है। 2020 में ये 2 अप्रैल को पड़ रही है। रामनवमी का त्यौहार चैत्र शुक्ल की नवमी को मनाया जाता है, इस पर्व को सच्ची श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, देशभर में इस त्यौहार को लोग अपने-अपने तरीके से मनाते हैं ।
अधर्म के नाश के लिये भगवान विष्णु के धरती पर राम और कृष्ण के मानव रुप में अवतार लेकर संसार को अधर्म और पाप से मुक्त करने की अमर कथा है। एक और जहां आज भी मर्यादा, और आज्ञापालन के लिये भगवान राम की मिसाल दी जाती है तो वहीं कर्तव्यपरायणता के लिये भगवान श्री कृष्ण का उपदेश मार्गदर्शन करता है। रामायण को लिखकर जहां भगवान राम का गुणगान करते ही महर्षि वाल्मिकी अमर हुए वहीं भगवान राम के चरित्र को रामचरित मानस के जरिये तुलसी दास ने रामलला के चरित को घर-घर पंहुचा दिया।
भारत के दक्षिण क्षेत्र में स्थित हिंदू धर्म के लोग आमतौर पर कल्याणोत्सव का पालन करते हैं, इसका अर्थ है भगवान राम का विवाह समारोह। वे नवमीं के दिन अपने परिवारों में राम और सीता नामक हिंदू देवताओं की मूर्ति के साथ मनाते हैं। वे राम नवमीं का जश्न मनाने के लिए दिन के अंत में देवताओं की मूर्तियों की सड़कों पर जुलूस लेते हैं। यह विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नामों से मनाया जाता है जैसे कि महाराष्ट्र में इसे चैत्र नवरात्रि नाम से मनाया जाता है, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक या तमिलनाडु में इसे वसिंथोथसाव और आदि नाम से मनाया जाता है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी मनाई जाती है जो कि भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। प्रत्येक साल हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी के रूप मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम का जन्म हुआ था। राम नवमी का पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि को मनाया जाता है। जिनके पिता अयोध्या के राजा दशरथ और माता रानी कौशल्या थी। भगवान श्री राम को विष्णु जी के 7 वें अवतार के रूप में जाना जाता है। इस दिन को चैत्र मास शुक्लपक्ष नवमी भी कहा जाता है। जो की वसंत नवरात्री का नौवां दिन होता है।
चैत्र मास की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि भी मनाई जाती है। इन दिनों कई लोग उपवास भी रखते हैं।
बता दें कि चैत्र मास की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नौ दिन के चैत्र नवरात्रि उत्सव का अंतिम दिन राम नवमी है। इस पर्व को लोग भगवान राम जन्म की खुशी के रूप में मनाते हैं, इस दिन भक्त रामायण का पाठ भी करते हैं।
रामनवमी का दिन उन सभी के लिए बेहद शुभ दिन माना जाता है जो हिंदू धर्म में आस्था रखते हैं। बता दें कि इस दिन को लेकर ऐसा माना जाता है कि बिना किसी मुहूर्त के सभी प्रकार के मांगलिक कार्य इस दिन संपन्न किए जा सकते हैं ।
पारिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए इस दिन व्रत रखा जाता है। पूजा थाली में रोली, ऐपन, चावल, स्वच्छ जल, फूल, घंटी, शंख आदि रखें। भगवान राम और माता सीता व लक्ष्मण की मूर्तियों पर जल, रोली और ऐपन अर्पित करें और इसके बाद मुट्ठी भरकर चावल चढाएं।
इसके बाद भगवान राम की आरती, रामचालीसा या राम स्त्रोतम का पाठ जरूर करें. भगवान राम की आरती करने के बाद पवित्र जल को आरती में सम्मिलत सभी भक्तों पर छिड़कें. रामनवमी वाले दिन आर्थिक क्षमता के मुताबिक, दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए। ध्यान दें कि जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसे सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
रामनवमी 2020 हेतु शुभ पूजन मुहुर्त
रामनवमी पूजा मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 10 मिनट से 1 बजकर 38 मिनट तक (3 अप्रैल 2020)
नवमी तिथि आरंभ – दोपहर 3 बजकर 39 मिनट से (2 अप्रैल 2020)
नवमी तिथि समाप्त – अगले दिन दोपहर 2 बजकर 42 मिनट तक (3 अप्रैल 2020)
रामनवमी व्रत व पूजा विधि
हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के रामनवमी बहुत ही शुभ दिन होता है। माना जाता है कि सभी प्रकार के मांगलिक कार्य इस दिन बिना मुहूर्त विचार किये भी संपन्न किये जा सकते हैं। रामनवमी पर पारिवारिक सुख शांति और समृद्धि के लिये व्रत भी रखा जाता है। रामनवमी पर पूजा के लिये पूजा सामग्री में रोली, ऐपन, चावल, स्वच्छ जल, फूल, घंटी, शंख आदि लिया जा सकता है। भगवान राम और माता सीता व लक्ष्मण की मूर्तियों पर जल, रोली अर्पित करें तत्पश्चात मुट्ठी भरकर चावल चढायें। फिर भगवान राम की आरती, रामचालीसा या राम स्त्रोतम का पाठ करें। आरती के बाद पवित्र जल को आरती में सम्मिलत सभी जनों पर छिड़कें। अपनी आर्थिक क्षमता व श्रद्धानुसार दान-पुण्य भी अवश्य करना चाहिये। रामनवमी के दिन उपवास रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिये। जिस समय व्रत कथा सुनें उस समय हाथ में गेंहू या बाजरा आदि अन्न के दाने रखें। घर, पूजाघर या मंदिर को ध्वजा, पताका, बंदनवार आदि से सजाया भी जा सकता है।
लेखक – पं. दयानंद शास्त्री, उज्जैन