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आज है अक्षय तृतीया, पांडवों के वनवास से जुड़ी है पौराणिक कथा

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया ति​थि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। अक्षय तृतीया को अखा तीज भी कहा जाता है।अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है और शुभ मुहूर्त में सोना खरीदा जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से धन संपदा में अक्षय वृद्धि होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया को ही त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था।

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अक्षय तृतीया का पौराणिक इतिहास

अक्षय तृतीया का पौराणिक इतिहास महाभारत काल में मिलता है। जब पाण्डवों को 13 वर्ष का वनवास हुआ था तो एक दुर्वासा ऋषि उनकी कुटिया में पधारे थे। तब द्रौपदी से जो भी बन पड़ा, जितना हुआ, उतना उनका श्रद्धा और प्रेमपूर्वक सत्कार किया, जिससे वे काफी प्रसन्न हुए। दुर्वासा ऋषि ने उस दिन द्रौपदी को एक अक्षय पात्र प्रदान किया।

साथ ही उनसे कहा कि आज अक्षय तृतीया है, अतः आज के दिन धरती पर जो भी श्रीहरि विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना करेगा। उनको चने का सत्तू, गुड़, मौसमी फल, वस्त्र, जल से भरा घड़ा तथा दक्षिणा के साथ श्री हरी विष्णु के निमित्त दान करेगा, उसके घर का भण्डार सदैव भरा रहेगा। उसके धन-धान्य का क्षय नहीं होगा, उसमें अक्षय वृद्धि होगी।



अक्षय तृतीया को होते हैं ये दो कार्य

हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया तिथि का मांगलिक कार्यों के लिए विशेष महत्व है। इस तिथि को विवाह करना अच्छा माना जाता है। हालांकि इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण देश भर में लॉकडाउन है। ऐसे में मांगलिक कार्यों पर रोक लगा हुआ है। अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण आभूषण की खरीद करना शुभ माना जाता है, इससे धन संपत्ति में अक्षय वृद्धि होती है।

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Post By Shweta