देवबंद, 28 अप्रैल; दारुल उलूम ने कोरोना वायरस और रमजान के रोजे को लेकर एक बेहद अहम फतवा दिया है। इफ्ता विभाग के पैनल में शामिल मुफ्तियों ने कहा है कि रोजे की हालत में कोरोना टेस्ट कराने के लिए नाक या मुंह से सैंपल देना जायज है। इससे रोजा नहीं टूटेगा।
बिजनौर के स्योहरा निवासी अरशद अली तंजीम दावतो सिदक नामक संगठन के संचालक हैं। उन्होंने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग में मुफ्तियों से सवाल किया कि रोजे की हालत में कोरोना टेस्ट कराने के लिए क्या हुक्म है, इससे रोजा तो नहीं टूटेगा।
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इसका जवाब देते हुए मुफ्तियों की खंडपीठ ने कहा कि कोरोना के टेस्ट के लिए हलक (मुंह) या नाक में रुई लगी जो स्टिक डाली जाती है, उस पर कोई केमिकल या दवा लगी नहीं होती। यह एक बार ही मुंह में डाली जाती है।
उस पर मुंह से जो गीला अंश लगता है, उसे मशीन के जरिए चेक किया जाता है। इसलिए कोरोना टेस्ट कराने से रोजा नहीं टूटेगा। मुंह आदि में स्टिक देने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
वहीं, कोरोना टेस्ट कराने को लेकर दारुल उलूम के फतवे पर तंजीम अब्ना-ए-दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी का कहना है कि आज जैसे हालात हैं, उसे देखते हुए यह फतवा बेहद अहम है क्योंकि टेस्ट कराने वाले लोगों को यह बात परेशान कर रही थी कि इस अमल में कहीं उनका रोजा न टूट जाए, लेकिन दारुल उलूम के मुफ्तियों ने रहनुमाई कर उनके इस डर को दूर कर दिया।
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