19 जून को मासिक शिवरात्रि का व्रत है। यह व्रत हर महीने में पड़ता है। हिन्दू धर्म में मासिक शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मासिक शिवरात्रि के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन व्रत रखने से क्रोध, इर्ष्या , अभिमान और लोभ से मुक्ति मिलती है। मासिक शिवरात्रि जीवन में सुख और शांति प्रदान करता है और भगवान शिव की कृपा दृष्टि से उपासक के सारे बिगड़े काम बन जाते है। यह व्रत संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति के लिए भी किया जाता है।
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पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं।
सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें।
अगर आपके घर में शिवलिंग है तो शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करें।
गंगा जल नहीं होने पर आप साफ पानी से भी भोले बाबा का अभिषेक कर सकते हैं।
जिनके घर में शिवलिंग नहीं है वो भोले बाबा का ध्यान करें।
भगवान शिव की आरती करें।
भगवान शिव के साथ माता पार्वती की आरती भी करें।
इस दिन अपनी इच्छानुसार भगवान शंकर को भोग लगाएं।
भगवान को सात्विक आहार का ही भोग लगाएं। भोग में कुछ मीठा भी शामिल करें।
मासिक शिवरात्रि व्रत कथा
पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के समय शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। जिसके बाद सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने उनकी पूजा की थी। उस दिन से लेकर आज तक इस दिन को भगवान शिव जन्म दिवस के रूप में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन शिव पूजन का खास महत्व है। बहुत से पुराणों में भी शिवरात्रि व्रत का ज़िक्र किया गया है। शास्त्रों के अनुसार अपने जीवन के उद्धार के लिए माता लक्ष्मीं, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती तथा रति जैसी बहुत-सी देवियों और रानियों ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था।
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