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रक्षाबंधन की यह पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं बताती है रक्षाबंधन का महत्व

कोरोना महामारी के बीच पूरे देश में 3 अगस्त 2020 को रक्षाबंधन मनाया जाएगा। भारत के प्रमुख पर्वों में राखी भी प्रमुखता से मनाई जाती है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है, जिस दिन बहनों का अत्यधिक महत्व होता है। देश के हर क्षेत्र में यह त्योहार मनाया जाता है, लेकिन उसे मनाने का तरीका और नाम अलग-अलग हो सकते हैं।



बहन द्वारा भाई को रक्षासूत्र बांधने का यह चलन कब से शुरु हुआ यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतिहास में रक्षाबंधन का जिक्र जरूर मिलता है।

तो चलिए आज आपको बताते हैं रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ पौराणिकऔर ऐतिहासिक घटनाएं जो रक्षाबंधन के महत्त्व को उजागर करती हैं

इंद्र को इन्द्राणी ने बाँधा रक्षा सूत्र

रक्षाबंधन की यह पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं बताती है रक्षाबंधन का महत्वऐसा माना जाता है कि स्वर्ग देवता इंद्र जब असुरों से पराजित हए थे, तो उनके हाथ पर उनकी पत्नी इंद्राणी ने रक्षा-सूत्र बांधा था, ताकि वह दुश्मनों का डटकर सामना कर सकें।

द्रौपदी और कृष्ण

रक्षाबंधन की यह पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं बताती है रक्षाबंधन का महत्वजब भगवान कृष्ण की ने शिशुपाल का वध किया था तब सुदर्शन चक्र से उनकी अंगुली कट गयी और उसमें से रक्त बह रहा था। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने जब यह देखा तो अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया। तब भगवान कृष्ण ने उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया और आजीवन उसे निभाते रहे।

पोरस और सिकंदर

जब राजा पोरस और महान योद्धा सिकंदर के बीच युद्ध हुआ तो सिकंदर की पत्नी ने पोरस की रक्षा के लिए उसकी कलाई पर धागा बांधा था। इसे भी रक्षा-बंधन का एक स्वरूप ही माना जाता है।

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रानी कर्मावती और हुमायूँ

रक्षाबंधन की यह पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं बताती है रक्षाबंधन का महत्वभारतीय इतिहास में ऐसा ही एक और उदाहरण मिलता है, जब चित्तौड़ की रानी कर्मावती ने बहादुरशाह से अपनी रक्षा के लिए हुमायूं को राखी बांधी थी। हुमायूं उसकी रक्षा की पूरी कोशिश करता है, लेकिन दुश्मनों के बढ़ते कदम को रोक नहीं पाता और अंतत: रानी कर्मावती जौहर व्रत धारण कर लेती है।



दो समुदायों का रक्षाबंधन

रक्षाबंधन की यह पौराणिक और ऐतिहासिक कथाएं बताती है रक्षाबंधन का महत्वआधुनिक इतिहास में भी इसका उदाहरण मिलता है, जब नोबल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर ने बंगाल विभाजन के बाद हिंदुओं और मुसलमानों से एकजुट होने का आग्रह किया था और दोनों समुदायों से एक-दूसरे की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधने का निवेदन किया था।

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