Post Image

हरिद्वार महाकुंभ: धर्म ध्वजा से है हर अखाड़े की पहचान, जानिए इसका महत्व

महाकुंभ मेले में मौजूद 13 अखाड़ों में प्रवेश करते ही अनेक तरह के साधु-संन्यासियों के दर्शन होते हैं. धर्म ध्वजा अखाड़ों की धार्मिक पहचान है, जो दूर से दिखाई देती है.



कुंभ शुरू होने से पहले तमाम अखाड़े नगर प्रवेश के बाद अपनी धर्म ध्वजा छावनियों में स्थापित करते आये हैं. जिसके लिए एक विशेष कद-काठी के पेड़ के तने को जंगल से काटकर लाया जाता रहा है. अखाड़ों की छावनियों में स्थापित होने वाली धर्म ध्वजाओं को लगाने के लिए 52 हाथ की लकड़ी का प्रयोग किया जाता रहा है.

कैसे आती है धर्मध्वजा की लकड़ी

हरिद्वार महाकुंभ: धर्म ध्वजा से है हर अखाड़े की पहचान, जानिए इसका महत्व

जंगलों में जाकर धर्म ध्वजा को न्योता देना और वन देवता की अनुमति से उसे अखाड़ों में लाना कुंभ का बड़ा आयोजन है. पहले अखाड़े अपने-अपने मुहूर्त निकालकर वन देवता से धर्म ध्वजा देने की मांग करने जंगल जाते हैं। इसके लिए पहले समय में विधिवत समारोह होता था. आज भी यह रस्म अदायगी की जाती है. एक मुहूर्त में साधु संत वनों में जाकर ऊंची धर्म ध्वजा के लिए पेड़ का चयन करते हैं.

अखाड़ा करता है निशानदेही

इस पेड़ पर अखाड़ा निशानदेही कर देता है. बाद में एक और मुहूर्त में उस वन से पेड़ को काटा जाता है. काटने से पहले साधु बाबा बाकायदा पूजा कर पेड़ से उसे काटने की अनुमति लेते हैं.

कहते हैं  उस जमाने में कई बार साधु संतों को आभास हो जाता था कि जिस पेड़ को विशाल ध्वजा के लिए लेने आए हैं, वह पेड़ वन छोड़कर उनके साथ जाने को तैयार नहीं.

तब उस पेड़ की जगह किसी और पेड़ का चयन किया जाता था. अखाड़ों में धर्म ध्वजा स्थापना के दिन भव्य आयोजन होते हैं. इस बार यह आयोजन फरवरी के अंतिम सप्ताह या मार्च में होने वाले स्नान से पहले होगा.

यह भी पढ़ें – श्री हेमकुंड साहिब यात्रा: इस दिन खोले जाएंगे श्री हेमकुंड साहिब के कपाट

धर्म ध्वजा स्थापित करने की परम्परा

सभी अखाड़ों की धर्म ध्वजा स्थापित करने की अपनी अपनी परंपरा है. कोई अखाड़ा 52 हाथ की लकड़ी पर इसे स्थापित करता है तो कोई उस से छोटी लकड़ी पर स्थापित करता है.

धर्म ध्वजा का महत्व

न्यासी, वैरागी, उदासीन और निर्मल सम्प्रदाय के सभी 13 अखाड़ों में धर्म ध्वजा का विशेष महत्व होता है. अलग-अलग धर्मध्वजा को कुंभ की भूमि में स्थापित करने के पीछे मान्यताएं भी हैं. कुंभ क्षेत्र में जाने के बाद सबसे पहले भूमि पूजन कर धर्मध्वजा को स्थापित किया जा जाता है.

52 गांठें शक्तिपीठों का प्रतीक

हरिद्वार महाकुंभ: धर्म ध्वजा से है हर अखाड़े की पहचान, जानिए इसका महत्व

धर्मध्वजा के दंड में 52 जनेऊ की गाठें लगाई जाती हैं, जो 52 मणियों व 52 शक्ति पीठों की प्रतीक मानी जाती है। अलग-अलग अखाड़े अपने-अपने अनुसार धर्मध्वजा लगाते हैं। धर्मध्वजा की परंपरा सनातन काल से चली आ रही है।

धर्म ध्वजा के रंग से है अखाड़ों की पहचान

हरिद्वार महाकुंभ: धर्म ध्वजा से है हर अखाड़े की पहचान, जानिए इसका महत्व

अलग-अलग अखाड़ों की धर्म ध्वजा अलग होती है. धर्मध्वजा के के रंगों के आधार पर हर अखाड़े की पहचान होती है.

महानिर्वाणी अखाड़े की ध्वजा लाल रंग की होती है.

दिगंबर अखाड़े की ध्वजा में पांच रंग होते हैं, जहां सबसे ऊपर लाल, फिर केसरिया, सफेद, हरा और सबसे नीचे काला रंग होता है.

निर्मोही अखाड़े की ध्वजा केसरिया रंग की होती है.  हर अखाड़े की ध्वजा का रंग ही उसकी पहचान है.



धर्म ध्वजा फहराने का भी है समय

कुंभ के मेले में सूर्योदय के साथ यह ध्वजा फहराई जाती है और शाम को सूर्यास्त के साथ इसे उतार किया जाता है.

अखाड़ों में लहराती धर्म ध्वजाएं महाकुंभ क्षेत्र में सहज ही आकर्षित कर लेती हैं. यह अखाड़ों की आन, बान और शान का प्रतीक हैं. अखाड़े किसी भी कीमत पर धर्म ध्वजा का झुकना स्वीकार नहीं करते हैं.

[video_ads]
[video_ads2]

You can send your stories/happenings here : info@religionworld.in

Post By Shweta