हरिद्वार महाकुंभ मेला : सनातन धर्म का एक पड़ाव
सदी की सबसे बड़ी चुनौती के बीच लगने वाले आस्था के सबसे बड़े मेले की तैयारी बहुत बड़े स्तर पर की गई है। अमूमन कुंभ को कराने के लिए राज्य सरकार दो महीने के ज्यादा का वक्त रखती है। ये तिथियों के अनुसार भी तय होता है और हर चौथे साल किसी न किसी चार स्थानों पर 14 जनवरी को शुरू हो जाता है। इस बार हरिद्वार कुम्भ के लिए समय भले ही केवल 28 दिन का रखा गया है पर इसकी तैयारी कई महीनों पहले से जारी थी।
कुंभ मेला प्रशासन की तैयारी
कुंभ क्षेत्र में प्रभावी कार्य एरिया 604 हेक्टेयर में बनाया गया है। इसे 23 सेक्टरों में प्रशासनिक व एक रेलवे का सेक्टर भी बनाया गया है। इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं के लिये अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त मीडिया सेंटर की स्थापना, पावनधाम में 150 बेड का बेस अस्पताल, दूधाधारी बाबा बर्फानी चैरिटेबल ट्रस्ट के अस्पताल में आईसीयू युक्त 500 बेड का कोविड यूनिट, इसके अलावा पंतद्वीप व अन्य सेक्टरों में अलग अलग क्षमता के अस्पतालों को भी सुविधा हेतु रखा गया है।
कुंभ मेले के लिए क्या क्या बना है ?
मेला क्षेत्र में 1000 से अधिक शौचालय, 72 से अधिक घाट, फ्लाईओवर-सिंहद्वार, सीतापुर, पुल जटवाड़ा, शंकराचार्य चैक, चंडीचैक, पुराना आरटीओ चैक, शांतिकुंज, नेपाली फार्म नये पुल. धानौरी पुल, सूखी नदी, रानीपुर मोड, दक्ष मंदिर, मातृसदन के पास हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर सौ से अधिक महिला चेंजिंग रूम सुविधा के रूप में स्थापना किए गये है।
उत्तराखण्ड सरकार, सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग द्वारा कुम्भ मेला क्षेत्र चंडी द्वीप, नीलधारा में मीडिया सेंटर 2.6 हेक्टेयर में स्थापित किया गया है। जिसमें सभी अत्याधुनिक सुविधाएं जैसे मेले के सजीव प्रसारण के साथ ही विभिन्न स्थलों पर कैमरा, आप्टिकल फाईबर, ब्राडबैण्ड कनेक्शन सहित कम्प्यूटर स्कैनर्स, फैक्स, फोटो कापियर्स, सुविधायुक्त स्टूडियो, आवश्यक कम्प्यूटर साफ्टवेयर तथा आवासीय सुविधाएं उपलब्ध हैं।
देश-विदेश से आने वाले प्रेस प्रतिनिधियों को मीडिया सेन्टर में अपने कार्यक्रम रिकार्ड करने की सुविधा स्टूडियों में मौजूद है।
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