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अग्नि मुद्रा: जानिए अग्नि मुद्रा, उसकी विधि, लाभ और सावधानियों के बारे में

अग्नि मुद्रा एक ऐसी मुद्रा है जो शरीर के भीतर लॉक ऊर्जा की रिहाई में मदद करता है और मस्तिष्क के प्रवाह और सजगता को निर्देशित करता है। जब किसी विशेष कॉन्फ़िगरेशन में हाथों को जानबूझ कर रखा जाता है, तो न्यूरोनल सर्किट को लंबे समय तक प्रेरित किया जाता है जो मस्तिष्क पर मुद्रा के विशिष्ट प्रभाव को मजबूत करता है। आयें जानते हैं इसकी विधि और लाभ-



अग्नि मुद्रा करने की विधि

सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर दरी / चटाई बिछा दे। अब सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाये।
अब अपने दोनों हाथों के अंगूठे को बाहर कर अंगूलियों की मुट्ठी बना लें।
फिर अपने दोनों हाथों के अंगूठे के शीर्ष आपस में मिला लें। और अपनी हथेलियाँ नीचे की ओर रखें।
आँखे बंद रखते हुए श्वास सामान्य बनाएँगे और अपने मन को अपनी श्वास गति पर व मुद्रा पर केंद्रित रखिए।
अब इसी अवस्था में 15-45 मिनट तक रहें ।

अग्नि मुद्रा करने का समय और अविधि

सुबह के समय और शाम के समय यह मुद्रा का अभ्यास करना अधिक फलदायी होता हैं। अग्नि मुद्रा 15 से 45 मिनट तक लगाई जा सकती है।

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अग्नि मुद्रा से होने वाले लाभ

यह मुद्रा सिर दर्द व माईग्रेन में बहुत ही लाभदायक है।
निम्न रक्त चाप से जुड़ी सभी समस्याओं के लिए लाभदायक है।
भूख की समस्या के लिए लाभदायक है।
मोटापे को कम करने में मदद करती है।
इसको करने से बलगम , खांसी जैसी समस्याओं से निजात दिलाती है।
निमोनिया की शिकायत दूर हो जाती है।
इसको करने से शरीर में अग्नि की मात्रा तेज हो जाती है।



अग्नि मुद्रा में सावधानियां

अग्नि मुद्रा खाली पेट करनी चाहिए। इस मुद्रा को करते समय आपका ध्यान भटकना नहीं चाहिए।

Post By Shweta