सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक के फैसले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ल़ॉ बोर्ड ने भोपाल में 10 सितंबर को अपने सारे सदस्यों के साथ एक खास बैठक की। तलाक-ए -बिद्दत को लेकर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद AIMPLB ने इसका स्वागत किया और साफ किया कि सुन्नी संप्रदाय के लोगों खासकर – हनीफी, मलिकी, हम्बाली और शफाई फिरकों में ये प्रथा सदियों से चली आ रही है। AIMPLB ने कहा कि तीन तलाक पर आया फैसला मूलत: इन फिरकों से ही ताल्लुकात रखता है।
इस्लामिक कानून या शरिया, कुरान हदीस, इज्मा और किएस पर आधारित है। AIMPLB ने कहा कि उसका मानना है कि जो बातें इन किताबों में लिखी हैं उनका पालन करना वैसा ही है जैसा भारत के अन्य नागरिक अपनी मान्यताओं और पंरपराओं के अनुसार निजी और वैवाहिक बातों में करते हैं।
AIMPLB ने कहा कि वो सालों से तलाक-ए-बिद्दत यानि तीन तलाक की परंपरा को कम करने में लगा है। बोर्ड ने दो दशक पहले ही निकाहनामा के लिए एक मॉ़डल पेश करके औरतों के अधिकारों की बात को समझा है । AIMPLB ने साफ किया कि तीन तलाक गलत होते हुए भी धर्म के हिसाब से है।
पढ़िए AIMPLB का प्रेस रिलीज –