अजमेर, 1 फरवरी; राजस्थान में अजमेर के प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की मजार शरीफ पर सूफी परम्पराओं के तहत शुक्रवार को बसंत पेश किया गया।
दरगाह के निजामगेट से शाही कव्वाल असरार हुसैन ने बसंत के गीत गाते हुए सरसों के फूलों के गुलदस्ते को जुलूस की रूप से दरगाह शरीफ में प्रवेश किया। असरार हुसैन ए अमीर खुसरो के लिखे बासंती कलामों को पूरे जोश और उत्साह से पेश करते हुए चल रहे थे।
‘आज आया है बसंत तेरे दर मेरे ख्वाजा’ जैसे कलाम भी पेश किए गए। बसंत उत्सव मनाने की परम्परा को निभाते सभी लोग बड़ी अकीदत के साथ दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन की सदारत में गरीब नवाज की मजार शरीफ पहुंचे जहाँ दरगाह के खादिमों की मौजूदगी में मजार शरीफ पर सरसों के पीले फूलों का गुलदस्ता पेश किया गया। इस दौरान सूफियाना अंदाज देखने को मिला। खादिम समुदाय ने पीले व गेरुआ वस्त्र पहन रखे थे।
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बसंत पेश करने के बाद समापन कार्यक्रम आहाता ए नूर में सामूहिक तौर पर देश में कौमी एकता, खुशहाली एवं भाईचारे के लिए दुआ मांगी गई। अन्जुमन शेखजादगान के सदर जरार्र अहमद, अन्जुमन सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा, वीआईपी खादिम मुकदस मोईनी, एस एफ सन चिश्ती, शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती सहित सैकड़ों अकीदतमंद उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब को बसंती फूलों से बेहद प्यार था। यही कारण है कि अजमेर दरगाह शरीफ में बसंत पंचमी के मौके पर बसंत पेश करने की परम्परा चली आ रही है।