अक्षय तृतीया 2018 : मुहूर्त, महत्व और पूजाविधि
- क्या हैं शुभमुहूर्त और क्या करें उपाय इस अक्षय तृतीया पर।
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया तिथि और पर्व का बहुत महत्व है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर दान-पुण्य करने से इसका फल कई जन्मों तक मिलता है। इस पवित्र दिन दान, स्नान, जप और किसी गरीब को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है। किसी भी तरह के नए कार्य की शुरुआत, स्वर्ण खरीदने, नए व्यापार या विवाह आदि के लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ होता है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु जी ने धरती पर परशुराम जी के रूप में 6वां अवतार लिया था और इस दिन को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही इस दिन गंगा भी धरती पर अवतरित हुई थी। अक्षय तृतीया को आखातीज भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस शुभ दिन पर भगवान कृष्ण जी के मित्र उनसे मिलने द्वारिका आए थे। उस समय सुदामा जी के पास अपने मित्र को देने के लिए कुछ नहीं था इसलिए उन्होंने कृष्ण जी को भेंट के रूप में चावल दिए थे। उस चावल के बदले भगवान कृष्ण ने सुदामा जी के सारे दुख दूर कर दिए थे।
अक्षय तृतीया का दिन शुभ कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए अगर लंबे समय से आप कोई नया काम शुरु करने की सोच रहे हैं तो इस दिन बिना कोई मुहूर्त निकलवाएं आप उस काम को शुरु कर सकते हैं। विवाह के लिए भी ये दिन बहुत शुभ माना जाता है। अक्षय का अर्थ है अनंत और इस दिन दान करने से अनंत काल तक पुण्य की प्राप्ति होती है इसलिए आप अक्षय तृतीया के दिन दान आदि जरूर करें। इससे आपको ही नहीं बल्कि आपके पूर्वजों को भी पाप से मुक्ति मिलेगी।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं की अक्षय तृतीया कई मायनों में महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि इस दिन किसी भी कार्य की शुरूआत की जा सकती है। जिनके काम काफी समय से अटके हुए हैं, व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है अथवा किसी कार्य के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल पा रहा है तो अक्षय तृतीया का दिन किसी भी नई शुरूआत के लिए अत्यंत ही शुभ दिन है। अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन स्वर्ण आभूषणों की ख़रीद-फरोख्त को भाग्य की शुभता से जोड़ा जाता है।हिंदू शास्त्र में अक्षय तृतीया का बड़ा महत्व है। इस दिन को सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। इसे अखतीज और वैशाख तीज भी कहा जाता है। अक्षय तृतीया पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया के पूजन मंत्र
ॐ पहिनी पक्षनेत्री पक्षमना लक्ष्मी दाहिनी वाच्छा भूत-प्रेत सर्वशत्रु हारिणी दर्जन मोहिनी रिद्धि सिद्धि कुरु-कुरु-स्वाहा।
ॐ आध्य लक्ष्म्यै नम:
ॐ विद्या लक्ष्म्यै नम:
पुराणों में उल्लिखित है कि इस तिथि से नए युग का आरंभ हुआ था। भगवान विष्णु ने इस दिन परशुराम जी के रूप में धरती पर अवतार लिया था। इसी दिन से चार महीनों के अंतराल के पश्चात् बद्रीनाथ के कपाट भक्तों के लिए खुलते हैं।
विशेष – ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री बताते हैं की अक्षय तृतीया कई मायनों में महत्वपूर्ण है। अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन स्वर्ण आभूषणों की ख़रीद-फरोख्त को भाग्य की शुभता से जोड़ा जाता है।हिंदू मुहूर्त में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि, अश्विन मास की दसवीं तिथि, वैशाख मास की तीसरी तिथि, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को शुभ माना जाता है।
वहीं वृंदावन में भी इसी दिन पर ‘श्री विग्रह’ के चरण खुलते हैं। अक्षय तृतीया का दिन व्रत और दान आदि के लिए बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी अन्न्पूर्णा का जन्म हुआ था और गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। वहीं वेदव्यास जी ने इसी दिन महाभारत लिखना आरंभ किया था और मां लक्ष्मी से कुबरे महाराज को इसी दिन अकूट संपत्ति की प्राप्ति हुई थी। वहीं इस शुभ अवसर पर सुदामा की भगवान कृष्ण से भेंट हुई थी। इस दिन आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्रोत का पाठ किया था।
इनके दान से मिलेगी मुक्ति – अक्षय तृतीया के शुभ दिन गर्मी की ऋतु में खाने-पीने, पहनने आदि के काम आने वाली और गर्मी को शान्त करने वाली सभी वस्तुओं का दान करना शुभ होता है। इसके अलावा इस दिन जौ, गेहूं, चने, दही, चावल, खिचडी, गन्ने का रस, ठण्डाई व दूध से बने हुए पदार्थ, सोना, कपडे, जल का घड़ा आदि दान में दें। इस दिन को सर्वसिद्धि भी कहते हैं। इस दिन आप बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं। इस दिन प्रार्थना करने से ना केवल हमारे बल्कि हमारे पूर्वजों के पाप भी धुल जाते हैं।
क्या करें अक्षय तृतीया के दिन ?
- इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।
- प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।
- ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
- इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
- आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
- नवीन स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या शुभारम्भ भी आज ही करना चाहिए।
जानिए शास्त्रों में अक्षय तृतीया का वर्णन/ जानकारी
- इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
- इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।
- नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।
- श्री परशुरामजी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
- हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।
- वृंदावन के श्री बाँकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढँके रहते हैं।
- भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है, सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है।
- भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।
- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था। हैं।
- अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है।
यह रहेगा अक्षय तृतीया 2018 का शुभ मुहूर्त/ समय
शुभ कार्यों के लिए अन्य दिनों से अक्षय तृतीया का दिन इतना ज्यादा शुभ होता है कि इस दिन आप बिना किसी ज्योतिषीय सलाह या मुहूर्त के विवाह आदि कार्य संपन्न कर सकते हैं। अगर आप विवाह करना चाहते हैं और आपको कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल पा रहा है तो आप अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त के विवाह कर सकते हैं।
इस वर्ष अक्षय तिथि की शुरुआत 18 अप्रैल की सुबह 4.47 बजे होगी और समापन 19 अप्रैल की सुबह 3 बजकर 3 मिनट पर होगा।
विवाह के लिए : सुबह 2 बजे से प्रात: 4 बजे तक
सभी कार्यों के लिए : संपूर्ण दिन
अक्षय तृतीया 2018 : पूजा मुहूर्त और सोना खरीदने का सही समय
वर्ष 2018 में अक्षय तृतीया 18th अप्रैल 2018, बुधवार के दिन मनाई जाएगी।
अक्षय तृतीय में लक्ष्मीनारायण पूजन का समय
अक्षय तृतीया पूजन का शुभ मुहूर्त = 05:56 से 12:20 तक।
मुहूर्त की अवधि = 6 घंटा 23 मिनट
तृतीय तिथि का आरंभ 18th अप्रैल 2018, बुधवार प्रातः 03:45 पर होगा। जिसका समापन 19th अप्रैल, गुरुवार मध्यरात्रि 01:29 पर होगा।
यह रहेगा इस 2018 वर्ष में अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त….
इस दिन नए स्वर्ण आभूषण धारण करने वाली विवाहित स्त्री अखण्ड सौभाग्यवती होतो है। इस तिथि का सर्वसिद्धि मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है।
17th अप्रैल 2018, मंगलवार 27:45+ से 29:56+ तक।
18th अप्रैल 2018, बुधवार 05:56 से 25:29+ तक।
05:56 से 25:29+ बजे के मध्य चौघड़िया मुहूर्त :
प्रातः मुहूर्त (लाभ, अमृत) = 05:57 – 09:09
प्रातः मुहूर्त (शुभ) = 10:45 – 12:21
दोपहर मुहूर्त (चर, लाभ) = 15:33 – 18:45
सायं मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) = 20:08 – 24:20+
अक्षय तृतीया/आखातीज 2017 के निकटवर्ती स्वयंसिद्ध विवाह के मुहूर्त
(इन मुहूर्तो में चन्द्रमा, लग्न, वार एवं अन्य कुयोग स्वतः ही नष्ट हो जाते है। इन दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना शुभफलदायी होता है।)
विवाह की शुभ तिथि – शुभ विवाह का समय – विवाह का नक्षत्र – शुभ विवाह की तिथि
18th अप्रैल (बुधवार)24:28+ से 30:06+ रोहिणी तृतीया, चतुर्थी
19th अप्रैल (बृहस्पतिवार) 06:06 से 12:19, 23:07 से 30:05-रोहिणी-मॄगशिरा-चतुर्थी पञ्चमी
20th अप्रैल (शुक्रवार) 06:05 से 11:12 मॄगशिरा पञ्चमी
24th अप्रैल (मंगलवार) 21:46 से 30:02+ मघा दशमी
25th अप्रैल (बुधवार) 06:02 से 15:06 मघा दशमी, एकादशी
27th अप्रैल (शुक्रवार) 14:42 से 29:59+ हस्त त्रयोदशी
28th अप्रैल (शनिवार) 05:59 से 13:53 हस्त त्रयोदशी, चतुर्दशी
29th अप्रैल (रविवार) 18:29 से 29:58+ स्वाती पूर्णिमा
30th अप्रैल (सोमवार) 05:58 से 10:24 स्वाती प्रतिपदा
इस बार अक्षय तृतीया 2018 पर लगभग 11 साल सर्वसिद्धि योग बन रहा है। इस महायोग के कारण सिंह और वृश्चिक राशि के लोगों को धन का लाभ हो सकता है। इस राशि के लोगों को आखा तीज पर कोई शुभ समाचार मिल सकता है। आप किसी वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने जा सकते हैं। मां लक्ष्मी के पूजन के लिए ये दिन बहुत शुभ होता है और आप इस दिन कोई वाहन या नया मकान आदि खरीद सकते हैं।मान्यता है कि इन दिनों पर सूर्य और चंद्रमा की चमक बढ़ जाती है। हिंदू मुहूर्त में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि, अश्विन मास की दसवीं तिथि, वैशाख मास की तीसरी तिथि, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों पर सूर्य और चंद्रमा की चमक बढ़ जाती है। सोमवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में अक्षय तृतीया आने पर इसकी शुभता और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
जानिए क्यों होता हैं अक्षय तृतीया अभिजीत मुहुर्त
धर्म शास्त्रों में इस पुण्य शुभ पर्व की कथाओं के बारे में बहुत कुछ विस्तार पूर्वक कहा गया है। इनके अनुसार यह दिन सौभाग्य और संपन्नता का सूचक होता है. दशहरा, धनतेरस, देवउठान एकादशी की तरह अक्षय तृतीया को अभिजीत, अबूझ मुहुर्त या सर्वसिद्धि मुहूर्त भी कहा जाता है. क्योंकि इस दिन किसी भी शुभ कार्य करने हेतु पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं पड़ती. अर्थात इस दिन किसी भी शुभ काम को करने के लिए आपको मुहूर्त निकलवाने की आवश्यकता नहीं होती. अक्षय अर्थात कभी कम ना होना वाला इसलिए मान्यता अनुसार इस दिन किए गए कार्यों में शुभता प्राप्त होती है. भविष्य में उसके शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
पूरे भारत वर्ष में अक्षय तृतीया की खासी धूम रहती है. हए कोई इस शुभ मुहुर्त के इंतजार में रहता है ताकी इस समय किया गया कार्य उसके लिए अच्छे फल लेकर आए. मान्यता है कि इस दिन होने वाले काम का कभी क्षय नहीं होता अर्थात इस दिन किया जाने वाला कार्य कभी अशुभ फल देने वाला नहीं होता. इसलिए किसी भी नए कार्य की शुरुआत से लेकर महत्वपूर्ण चीजों की खरीदारी व विवाह जैसे कार्य भी इस दिन बेहिचक किए जाते हैं.
नया वाहन लेना या गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं. मान्यता है कि यह दिन सभी का जीवन में अच्छे भाग्य और सफलता को लाता है. इसलिए लोग जमीन जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश रीयल एस्टेट के सौदे या कोई नया बिजनेस शुरू करने जैसे काम भी लोग इसी दिन करने की चाह रखते हैं.
कृषि उत्पादन के संबंध में अक्षय तृतीया : किसानों में यह लोक विश्वास है कि यदि इस तिथि को चंद्रमा के अस्त होते समय रोहिणी आगे होगी तो फसल के लिए अच्छा होगा और यदि पीछे होगी तो उपज अच्छी नहीं होगी। अक्षय तृतीया में तृतीया तिथि, सोमवार और रोहिणी नक्षत्र तीनों का सुयोग बहुत श्रेष्ठ माना जाता है। इस संबंध में भड्डरी की कहावतें भी लोक में प्रचलित है।
दान के पर्व के रूप में : अक्षय तृतीया वाले दिन दिया गया दान अक्षय पुण्य के रूप में संचित होता है। इस दिन अपनी सामथ्र्य के अनुसार अधिक से अधिक दान-पुण्य करना चाहिए। इस तिथि पर ईख के रस से बने पदार्थ, दही, चावल, दूध से बने व्यंजन, खरबूज, लड्डू का भोग लगाकर दान करने का भी विधान है। अक्षय ग्रंथ गीता : गीता स्वयं एक अक्षय अमरनिधि ग्रंथ है जिसका पठन-पाठन, मनन एवं स्वाध्याय करके हम जीवन की पूर्णता को पा सकते हैं, जीवन की सार्थकता को समझ सकते हैं और अक्षय तत्व को प्राप्त कर सकते हैं। अक्षय तिथि के समान हमारा संकल्प दृढ़, श्रद्धापूर्व और हमारी निष्ठा अटूट होनी चाहिए। तभी हमें व्रतोपवासों का समग्र आध्यात्मिक फल प्राप्त हो सकता है।
मोक्ष/बैकुंठ पाने के उपाय- वैशाख प्रभु माधव का माह है. शुक्लपक्ष भगवान विष्णु से संबंध रखता है. रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ है. धर्मशास्त्र के अनुसार ऐसे उत्तम योग में अक्षय तृतीया पर प्रात:काल शुद्ध होकर चंदन व सुगंधित द्रव्यों से श्रीकृष्ण का पूजन करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है.
सर्वविध सुख के लिए- अक्षय तृतीया को की गयी साधना व पूजा का फल कभी निष्फल नहीं नहीं होता. अत: इसे अत्यंत शुभ दिन माना जाता है. अगर आप चाहते हैं कि आपको दुनिया का हर सुख मिले, तो अक्षय तृतीया को यह टोटका करें —
टोटका – अपने सामने सात गोमती चक्र और महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें और सात तेल के दीपक लगायें. ये सब एक ही थाली में रखें और थाली को अपने सामने रखें. फिर शंख माला से इस मंत्र की 51 माला जप करें – हुं हुं हुं श्रीं श्रीं ब्रं ब्रं फट्
अक्षय तृतीया के दिन ऐसी साधना करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं. लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए अक्षय तृतीया पर किया गया यह उपाय किसी चमत्कार से कम नहीं है. स्फटिक के श्रीयंत्र को पंचोपचार-पूजन से विधिवत स्थापित करें. माता लक्ष्मी का ध्यान करें, श्रीसूक्त का पाठ करें. जितना संभव हो सके, कमलगट्टे की माला से नियमित इस मंत्र का जाप करते हुए एक गुलाब अर्पित करते रहें :—
“महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नयै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात”
यूं पूजा करके ऐसे श्रीयंत्र को आप इस दिन व्यावसायिक स्थल पर भी स्थापित कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया पर यह करें –
– अक्षय तृतीया के दिन विवाह, गृह प्रवेश, भूमि-पूजन, वाहन खरीदना, स्वर्णाभूषण क्र य, पदभार ग्रहण, नया सामान क्र य, नया व्यापार शुरू करने के साथ समस्त शुभ कार्यों को प्रारंभ किया जा सकता है.
– इस दिन समुद्र या गंगा अथवा किसी अन्य नदी में स्नान करना चाहिए.
– प्रात: पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल व वस्त्र आदि दान करके ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. फिर उसे दक्षिणा भी देकर विदा करना चाहिए.
– इस दिन व्यक्ति को सत्तू अवश्य खाना चाहिए.
– इस दिन नये वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए.
– नये स्थान, संस्थान, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी इसी दिन करना चाहिए |
सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी आखा तीज का विशेष महत्व
यदि आपकी जन्म कुंडली में स्थित ग्रह आप पर अशुभ प्रभाव डाल रहे हैं, तो इसके लिए उपाय भी अक्षय तृतीया से ही प्रारंभ किये जा सकते हैं.
उपाय : अक्षय तृतीया को सुबह जल्दी उठ कर नित्य कार्यो से निबट कर तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर भगवान सूर्य को पूर्व की ओर मुख करके चढ़ायें तथा इस मंत्र का जप करें…
“ऊँ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात”
प्रत्येक दिन सात बार यह प्रक्रिया दोहराएं। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपका भाग्य चमक उठेगा. यदि यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर किया जाये, तो और भी शीघ्र फल देता है।
अगर नहीं हो रही शादी :- ज्यादातर माता-पिता व युवाओं की अहम समस्या है सही समय पर शादी. आधुनिकता की दौड़ में युवा अपने कॅरियर को लेकर इतने व्यस्त रहते हैं कि उनकी शादी की सही आयु कब निकल जाती है, उन्हें पता भी नहीं चलता। ऐसे में कई लोगों का विवाह होना मुश्किल हो जाता है। यहां एक अचूक प्रयोग बता रहे हैं, जिससे अविवाहित युवाओं की विवाह संबंधी समस्या का त्वरित निराकरण हो जायेगा. यह प्रयोग लड़के व लड़कियों दोनों द्वारा किया जा सकता है।
प्रयोग विधि : इस प्रयोग को अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए।
– यह प्रयोग रात के समय किया जाना चाहिए.
– आप एक बाजोट (ऊंचा आसन या चौकी) / पटिये पर पीला कपड़ा बिछाएं और पूर्व दिशा की ओर मुख करके उस पर बैठ जायें.
– मां पार्वती का चित्र अपने सामने रखें.
– अपने सामने बाजोट पर एक मुट्ठी गेहूं की ढेरी रखें.
– गेहूं पर एक विवाह बाधा निवारण यंत्र स्थापित करें और चंदन अथवा केसर से तिलक करें.
उक्त पूरी प्रक्रिया ठीक से होने के बाद हल्दी माला से निम्न मंत्र का जप करें…
लड़कों के लिए मंत्र….
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीं
तारणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोदभवां.
लड़कियों के लिए मंत्र….
‘ऊँ गं घ्रौ गं शीघ्र विवाह सिद्धये गौर्यै फट्.
उक्त मंत्र से चार दिनों तक नित्य 3-3 माला का जप करें. अंतिम दिन इस सामग्री को देवी पार्वती के श्रीचरणों में किसी भी मंदिर में छोड़ आयें. शीघ्र ही आपका विवाह हो जायेगा. यह प्रयोग पूरी श्रद्धा व भक्ति से करें. यह सिद्ध प्रयोग है, अतएव मन में कोई संदेह ना लायें अन्यथा उपाय का प्रभाव खत्म हो जायेगा।
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पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)