दिल्ली में 4वें डाॅ कलाम इंटरनेशनल यूथ काॅन्क्लेव फाॅर लिवेबल प्लेनेट अर्थ का आयोजन
- डाॅ कलाम लिवेबल प्लेनेट काॅन्क्लेव में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने किया सहभाग
- 4वें डाॅ कलाम इंटरनेशनल यूथ काॅन्क्लेव फाॅर लिवेबल प्लेनेट अर्थ एनडीएमसी कन्वेंशन सेन्टर, नई दिल्ली
- डाॅ कलाम साहब की पुन्यतिथि पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को ’’कलाम इनोवेशन अवार्ड’’ से किया सम्मानित
कलाम इंटरप्राइज लीग द्वारा पुरस्कारों का वितरण - विशिष्ट अतिथि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, श्रीमती मीनाक्षी लेखी, सीईओ, कलाम सेंटर, श्री सृजनपाल सिंह जी, ओडाफोन निदेशक श्री पी बालाजी, प्रोफेसर विनय पाठक, पेटीएम के श्री सौरभ जैन जी, डाॅ अशोक पाटील जी, श्री हरभजन सिंह जी, डब्ल्यूएसएससीसी से श्री विनोद मिश्रा जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया
- डाॅ कलाम साहब की पुन्यतिथि के पर परमार्थ निकेतन द्वारा 400 पौधें भेंट किये
ऋषिकेश, 27 जुलाई। 4 वें डाॅ कलाम इंटरनेशनल यूथ काॅन्क्लेव फाॅर लिवेबल प्लेनेट अर्थ एनडीएमसी कन्वेंशन सेन्टर, नई दिल्ली में आयोजित कलाम लिवेबल प्लेनेट काॅन्क्लेव में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। साथ ही स्वामी जी को पर्यावरण, जल संरक्षण, स्वच्छता, वृक्षारोपण जैसे उत्कृष्ट कार्यो के लिये ’’कलाम इनोवेशन अवार्ड’’ से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर श्रीमती मीनाक्षी लेखी, सीईओ, कलाम सेंटर, श्री सृजनपाल सिंह जी, ओडाफोन निदेशक श्री पी बालाजी, प्रोफेसर विनय पाठक, पेटीएम के श्री सौरभ जैन जी, डाॅ अशोक पाटील जी, श्री हरभजन सिंह जी, डब्ल्यूएसएससीसी से श्री विनोद मिश्रा जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया। डाॅ कलाम साहब की पुन्यतिथि के अवसर पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा 400 पौधें यथा जामुन, आम, लीची, आँवला, नीम, शहतुत, अनार, बिल्वपत्र, निम्बू, सहजन, आदि पौधें भेंट किये गये।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’’भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस लोकतंत्र की ही महिमा है कि आज इस देश के पास बाल्यावस्था में पेपर बेचने वाला, साधारण परिवार से आया एक बालक परन्तु असाधारण प्रतिभा का मालिक इस देश का राष्ट्रपति बना। एक छोटे से घर में जन्म लेने वाला बालक राष्ट्रपति भवन के 256 कमरों के अन्दर निवास करके भी साधारण ही बना रहा। उन्होने साधारण लोगों के लिये भी राष्ट्रपति भवन के दरवाजें खोल दिये। कलाम साहब को बच्चों से इतना अधिक प्यार था कि बच्चे जब राष्ट्रपति भवन में आते थे तो लगता था पूरा राष्ट्र इन बच्चों के माध्यम से खिलखिला रहा है और मुस्करा रहा है। यह लोकतंत्र की ही ताकत जिसमें सब को समान अवसर मिलता है। यहां पर न कोई विरासत, पद, न कोई छोटा-बड़ा, न कोई जाति, न ही कोई पैसों का प्रभाव या अन्य किसी चीज का प्रभाव और इतने बड़े पद पर; देश के सर्वोच्च पद पर कलाम साहब पहुंचे।’’
स्वामी जी महाराज ने कहा कि यह भी इस देश का सौभाग्य है कि आज हमारे राष्ट्रपति एक दलित परिवार से है यह लोकतंत्र का ही प्रभाव है। लोकतंत्र की ही ताकत है कि एक दलित परिवार से आया हुआ व्यक्ति जिसका घर नहीं बल्कि झोपड़ी थी वह भी वर्षा में टपकता था और उन्होने दीवार के किनारे खड़े होकर भी जीवन गुजारा, , अपने रात और दिन का समय निकाला हो तथा उसके बाद वकील बनकर अपनी प्रतिभा के बल पर आगे बढ़ते हुये सर्वोच्च न्यायालय तक जाना और फिर भारत के सर्वोच्च पद पर आकर देश की सेवा करना ऐसे हमारे महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी पर हमें गर्व है। स्वामी जी ने कहा कि यह भी लोकतंत्र की ही ताकत है कि हमारे उपराष्ट्रपति श्री वेकैंया नायडूू जी जिनकी माता उनके बचपन में ही चल बसी और फिर वे अपने चाचा जी के पास चले गये। किसान परिवार में पैदा हुआ वह बालक दीवारों पर स्लोगन लिख-लिख कर अपना खर्च चलाते थे और आज वे भारत के उपराष्ट्रपति है। उन्होने कहा कि यह भी इस देश का लोकतंत्र ही है कि एक चाय बेचने वाला व्यक्ति आज इस विशाल राष्ट्र का यशस्वी, ऊर्जावान और तपस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हम सभी के बीच में है। उन्होने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे बीच में कलाम साहब जैसा आदर्श था जिसने कमाल किया और भारत ही पूरी दुनिया में प्रसिद्धि पायी।
स्वामी जी ने कहा कि 21 वीं सदी की यह सारी ताकतें आज हमारे सामने है यह सब हमारे लोकतंत्र की ताकत का कमाल है। मुझे लगता है कि आज हमें अगर अपने डाॅ कलाम साहब को श्रद्धाजंलि देनी है तो हम अपने लोकतंत्र को जातिवाद, भष्ट्राचार, आतंकवाद और गंदगी से मुक्त भारत बनाएं तो मैं समझता हूँ यह हमारी सबसे बड़ी श्रद्धाजंलि होगी। श्री कलाम साहब के कदमों पर चलते हुये अपने को श्रेष्ठ कार्यो की ओर अग्रसर करते रहे। कोई भी व्यक्ति अपने को छोटा न माने उन्होने कहा कि जीवन में बड़े बन पाये या न बन पाये लेकिन जीवन में बढ़िया बनने की कोशिश करें।
कारगिल विजय दिवस पर शहीद हुये सैनिकों को नमन करते हुये स्वामी जी ने कहा कि सैनिक किसी संत से कम नहीं होते। आज एनडीएमसी कन्वेंशन सेन्टर, नई दिल्ली, सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों ने कारगिल में शहीद हुये जाबंज सैनिकों को श्रद्धाजंलि आर्पित की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज मंच से हीमा दास की चर्चा, कारगिल शहीदों को श्रद्धाजंलि और चन्द्रायान 2 को भेजने वाले सभी वैज्ञानिकोें का सभी ने तालियां बजवाकर जोरदार स्वागत और अभिनन्दन किया। इस समय स्वदेश प्रेम सभी के रोम-रोम में था और सभी भारत माता की जय और वंदे मात्रम के उद्घोष से पूरा सभागार गूंज उठा।