बहुत भाग्यशाली बनता हैं सूर्य योग, जानिए क्या आपकी कुंडली में है सूर्य योग ?
जानिए सूर्य योग क्या होता हैं ?
- जाने इसके प्रभाव एवं परिणाम
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य को प्रतिष्ठा और सफलता का कारक ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अन्य ग्रहों के साथ इसका कुछ ऐसी युतियां हैं जो अगर किसी भी कुंडली में हो तो वह व्यक्ति को विशेष बनाता है। ऐसे लोगों को हमेशा ही सफलता, धन-वैभन, सामाजिक मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा मिलती है। जिस व्यक्ति पर सूर्य की कृपा हो जाए उसे जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। कुंडली में सूर्य योग भी कुछ ऐसा ही है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि सूर्य ग्रह किसी जन्म कुंडली में अशुभ हो जाए तो जातक को अत्यंत प्रयास करने के बाद भी अपने कार्यों में सफलता हासिल नहीं हो पाती है। नौकरी और करियर या बिजनेस में तरक्की पाने के लिए तो सूर्य का शुभ होना अत्यंत जरूरी है। इसके बिना किसी भी व्यक्ति को सफलता मिल ही नहीं पाती है।सूर्य आत्मा राज्य यश पित्त दायीं आंख गुलाबी रंग और तेज का कारक है। सूर्य जगतपिता है|इसी की शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है,यह आत्मा कारक और पितृ कारक है | सूर्य से सम्बन्धित व्यक्ति पिता चाचा पुत्र और ब्रहमा विष्णु महेश आदि को जाना जाता है |सूर्य मेष राशि में उच्च का एवं तुला में नीच का हो जाता है | इसके साथ साथ सूर्य पुत्र राज्य सम्मान पद भाई शक्ति दायीं आंख चिकित्सा पितरों की आत्मा शिव और राजनीति का कारक है | वहीँ शुक्र का सूर्य के साथ संयोग नही हो पाता है,सूर्य गर्मी है और शुक्र रज है सूर्य की गर्मी से रज जल जाता है,और संतान होने की गुंजायस नही रहती है,इसी लिये सूर्य का शत्रु है | राहु सूर्य और चन्द्र दोनो का दुश्मन है,सूर्य के साथ होने पर पिता और पुत्र के बीच धुंआ पैदा कर देता है,और एक दूसरे को समझ नही पाने के कारण दोनो ही एक दूसरे से दूर हो जाते है |
जानिए कैसे बनायें सूर्य को अनुकूल
कुंडली में तृतीय भाव में सूर्य की उपस्थिति जातक की आय में वृद्धि करता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति अन्याय सहता है या अन्याय देखकर मूक बना रहता है तो उसका सूर्य कमज़ोर बनता है। घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद पाकर और तीर्थयात्रा के ज़रिए कुंडली में सूर्य को अनुकूल बनाया जा सकता है।
जानिए आपकी जन्म कुंडली में सूर्य का प्रभाव
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की यदि कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव दे रहा है तो व्यक्ति आत्मविश्वासी बनता है और समाज को एक नई दिशा देता है। वहीं अगर सूर्य अशुभ स्थान में बैठा हो जो जातक निराशा की ओर चलने लगता है और उसे हड्डी से संबंधित रोग से ग्रस्त होकर ही अपना पूरा जीवन व्यतीत करना पड़ता है।
अगर किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में सूर्य अशुभ फल दे रहा है तो वह इन ज्योतिषीय उपायों से उसके दुष्प्रभाव को कम कर सूर्य देव को प्रसन्न कर उनकी कृपा दृष्टि पा सकता है।
ऐसे करें सूर्य योग के उपाय
प्रथम भाव में सूर्य योग का उपाय
पहले भाव में बैठकर सूर्य अशुभ फल दे रहा है तो उस व्यक्ति को अपने जीवन में सत्य का साथ देना चाहिए। सूर्य योग के लिए अपनी आय का एक हिस्सा जरूरतमंदों की सहायता में खर्च करें। इससे आपके जीवन के कष्ट कम हो पाएंगें।
दूसरे भाव में सूर्य योग का उपाय
जन्मकुंडली के दूसरे भाव में सूर्य अशुभ प्रभाव दे तो जातक झगड़ालू बनता है और अपनी तीखी बातों से अपना पतन कर लेता है। किसी की भी कुंडली में इस भाव का सूर्य होना जीवन में कलह का कारण होता है। सबसे बड़ी बात यह कि कलह का कारण भी व्यक्ति स्वयं ही होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की ऐसा इसलिए क्योंकि द्वितीय भाव का सूर्य व्यक्ति को झगड़ालू प्रवृत्ति का बनाता है जो हमेशा किसी ना किसी रूप में उसके जीवन में क्लेश पैदा करता है। ऐसी स्थिति में जातक को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। धार्मिक स्थलों पर दान और सदाचार का पालन करें।
तृतीय भाव में सूर्य योग का उपाय
तृतीय भाव में सूर्य की उपस्थिति जातक की आय में वृद्धि करता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति अन्याय सहता है या अन्याय देखकर मूक बना रहता है तो उसका सूर्य कमज़ोर बनता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इस भाव का सूर्य व्यक्ति को पूरी तरह अपने कमाए हुए धन का स्वामी बनाता है, यानि ये पूरी तरह’सेल्फमेड’ इंसान होते हैं। दूसरों पर जुल्म होते देखकर भी अगर ये चुप रहें तो इनके जीवन में सूर्य के अच्छे प्रभाव कम हो जाते हैं और ये गरीबी का शिकार भी हो जाते हैं। इन्हें भूलकर भी बड़े-बुजुर्गों का अनादर नहीं करना चाहिए।घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद पाकर और तीर्थयात्रा के ज़रिए कुंडली में सूर्य को अनुकूल बनाया जा सकता है।
चतुर्थ भाव में सूर्य योग का उपाय
ऐसे लोगों को शुरुआती जीवन में कुछ कठिनाइयां मिल सकती हैं लेकिन एक बार सफल होने के बाद इन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं होती। अपनी मुश्किलें कम करने के लिए भिखारियों को भोजन कराना इनके लिए लाभप्रद होता है।जिस भी जातक की कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य होता है, ऐसा व्यक्ति हमेशा ही अपने परिवार के अन्य सदस्यों से हटकर कार्य करता है। उन्हें सफलता मिलती है और वह ऐसी होती है कि उसकी हर कोई तारीफ करता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इस भाव में सूर्य व्यक्ति को अपने जन्मस्थान से दूर ले जाता है। इस भाव में बैठे सूर्य को अनुकूल करने के लिए किसी नेत्रहीन व्यक्ति को 43 दिन तक भोज करवाएं और तांबे का सिक्का गले में धारण करवाएं।
पंचम भाव में सूर्य योग का उपाय
जन्मकुंडली के इस भाव का सूर्य होना व्यक्ति के युवाकाल में कोई विशेष बुरे परिणाम नहीं देता, लेकिन बाद के जीवन में उसकी संतान के लिए बाधाएं उत्पन्न करता है। इन्हें अक्सर पेट से जुड़ी परेशानियां होती हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सूर्य को नियमित अर्घ्य देना इस दोष को कम करता है।आपको लाल मुंह वाले बंदरों को गुड़-चना खिलाना चाहिए।
छठे भाव में सूर्य योग का उपाय
इस भाव में सूर्य व्यक्ति को अजातशत्रु बनाता है। रात को सिरहाने पानी रखकर सोएं। पिता के साथ मधुर संबंध बनेंगगें और उनकी आय में भी वृद्धि होगी। चांदी की वस्तु अपने पास रखें।लेकिन यही भाव उसके मातृ-पक्ष या मामा के लिए अच्छा नहीं होता। पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इन लोगों को हमेशा ही नदी का जल अपने घर में रखना चाहिए तथा रात में सोने से पूर्व अपने सिर के पास जल से भरा कोई पात्र रखना चाहिए।
सप्तम भाव में सूर्य योग का उपाय
इस भाव में बैठे सूर्य का शुभ प्रभाव पाने के लिए खाने में नमक का प्रयोग कम करें। काली या बिना सींग वाली गाय की सेवा करें और भोजन करने से पूर्व रोटी का एक टुकड़ा रसोई की आग में डालें।
अष्टम भाव में सूर्य योग का उपाय
आपको अपने घर में सफेद रंग का कपड़ा ना रखें। किसी भी नए काम की शुरुआत से पहले मीठा खाकर पानी पीएं। बहती नदी में गुड प्रवाहित करें।
नवम भाव में सूर्य योग का उपाय
उपहार या दान में कभी भी चांदी की वस्तु ना लें। चांदी की वस्तुएं दान करें। क्रोध से बचें और वाणी में मधुरता लाएं।
दशम भाव में सूर्य योग का उपाय
इस भाव में सूर्य का शुभ प्रभाव पाने के लिए काले और नीले रंग के कपड़े ना पहनें। किसी बहती नदी में 43 दिन तक तांबे का सिक्का प्रवाहित करें। मांस-मदिरा के सेवन से बचें।
ग्यारहवे भाव में सूर्य योग का उपाय
आपको मांस और मदिरा के सेवन से बचना चाहिए। रात को सोते समय अपने सिरहाने बादाम या मूली रखकर सोएं। दूसरे दिन इन चीज़ों को मंदिर में दान कर दें।
बारहवे भाव में सूर्य योग का उपाय
अपने घर में एक आंगन जरूर बनाएं। धर्म का पालन करें। दूसरों की गलतियों के क्षमा कर दें। सूर्य की शांति के लिए सूर्य यंत्र की स्थापना अपने घर या ऑफिस में करें।
जानिए सूर्य की अन्य ग्रहों से युति/सम्बन्ध एवं उनके प्रभाव/परिणाम
सूर्य और चन्द्र का आपसी सम्बन्ध
सूर्य और चन्द्रमा अगर किसी भाव में एक साथ होते है,तो कारकत्व के अनुसार फ़ल देते है,सूर्य पिता है और चन्द्र यात्रा है,पुत्र को भी यात्रा हो सकती है,एक संतान की उन्नति बाहर होती है।
सूर्य और मंगल का आपसी सम्बन्ध
मंगल के साथ एक साथ होने पर मंगल की गर्मी और पराक्रम के कारण अभिमान की मात्रा बढ जाती है,पिता प्रभावी और शक्ति मान बन जाता है,मन्गल भाई है,इसी लिये एक भाई सदा सहयोग मे रहता है,मन्गल रक्त है,इसलिये ही पिता पुत्र को रक्त वाली बीमारिया होती है,एक दूसरे से एक सात और एक बारह में भी यही प्रभाव होता है,स्त्री की कुन्डली में पति प्रभावी होता है,लेकिन उसके ह्रदय में प्रेम अधिक होता है।
सूर्य और बुध का आपसी सम्बन्ध
बुध के साथ होने पर पिता और पुत्र दोनो ही शिक्षित होते है,समाज में प्रतिष्ठा होती है,जातक के अन्दर वासना अधिक होती है,पिता के पास भूमि भी होती है,और बहिन काफ़ी प्रतिष्ठित परिवार से सम्बन्ध रखती है,व्यापारिक कार्यों के अन्दर पिता पुत्र दोनो ही निपुण होते है,पिता का सम्बन्ध किसी महिला से होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की वैदिक ज्योतिष में प्रचलित परिभाषा के अनुसार किसी कुंडली के किसी घर में जब सूर्य तथा बुध संयुक्त रूप से स्थित हो जाते हैं तो ऐसी कुंडली में बुध आदित्य योग का निर्माण हो जाता है तथा इस योग का शुभ प्रभाव जातक को बुद्धि, विशलेषणात्मक क्षमता, वाक कुशलता, संचार कुशलता, नेतृत्व करने की क्षमता, मान, सम्मान, प्रतिष्ठा तथा ऐसी ही अन्य कई विशेषताएं प्रदान कर सकता है। बुध हमारे सौर मंडल का सबसे भीतरी ग्रह है जिसका अर्थ यह है कि बुध सूर्य के सबसे समीप रहता है तथा बहुत सी कुंडलियों में बुध तथा सूर्य एक साथ ही देखे जाते हैं जिसका अर्थ यह हुआ कि इन सभी कुंडलियों में बुध आदित्य योग बन जाता है जिससे अधिकतर जातक इस योग से मिलने वाले शुभ फलों को प्राप्त करते हैं जो वास्तविक जीवन में देखने को नहीं मिलता क्योंकि इस योग के द्वारा प्रदान की जाने वालीं विशेषताएं केवल कुछ विशेष जातकों में ही देखने को मिलतीं हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि बुध आदित्य योग की परिभाषा अपने आप में पूर्ण नहीं है तथा किसी कुंडली में इस योग का निर्माण निश्चित करने के लिए कुछ अन्य तथ्यों के विषय में विचार कर लेना भी आवश्यक है।
सूर्य और गुरु का आपसी सम्बन्ध
गुरु के साथ होने पर जीवात्मा का संयोग होता है,जातक का विश्वास ईश्व्वर में अधिक होता है,जातक परिवार के किसी पूर्वज की आत्मा होती है,जातक के अन्दर परोपकार की भावना होती है,जातक के पास आभूषण आदि की अधिकता होती है,पद प्रतिष्ठा के अन्दर आदर मिलता रहता है।
सूर्य और शुक्र का आपसी सम्बन्ध
शुक्र के साथ होने पर मकान और धन की अधिकता होती है,दोनो की युति के चलते संतान की कमी होती है,स्त्री की कुन्डली में यह युति होने पर स्वास्थ्य की कमी मिलती है,शुक्र अस्त हो तो स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पडता है।
सूर्य और शनि का आपसी सम्बन्ध
शनि के साथ होने पर जातक या पिता के पास सरकार से सम्बन्धित कार्य होते है,पिता के जीवन में जातक के जन्म के समय काफ़ी परेशानी होती है,पिता के रहने तक पुत्र आलसी होता है,और पिता के बाद खुद जातक का पुत्र आलसी हो जाता है,पिता पुत्र के एक साथ रहने पर उन्नति नही होती है,वैदिक ज्योतिष में इसे पितृ दोष माना जाता है,जातक को गायत्री के जाप के बाद सफ़लता मिलने लगती है।
सूर्य और राहु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ राहु का होना भी पितामह के बारे में प्रतिष्ठित होने की बात मालुम होती है,एक पुत्र की पैदायस अनैतिक रूप से भी मानी जाती है,जातक के पास कानून से विरुद्ध काम करने की इच्छायें चला करती है,पिता की मौत दुर्घटना में होती है,या किसी दवाई के रियेक्सन या शराब के कारण होती है,जातक के जन्म के समय पिता को चोट लगती है,जातक को सन्तान भी कठिनाई से मिलती है,पत्नी के अन्दर गुप चुप रूप से सन्तान को प्राप्त करने की लालसा रहती है,पिता के किसी भाई को जातक के जन्म के बाद मौत जैसी स्थिति होती है।
सूर्य और केतु का आपसी सम्बन्ध
केतु और सूर्य का साथ होने पर जातक और उसका पिता धार्मिक होता है,दोनो के कामों के अन्दर कठिनाई होती है,पिता के पास कुछ इस प्रकार की जमीन होती है,जहां पर खेती नही हो सकती है,नाना की लम्बाई अधिक होती है,और पिता के नकारात्मक प्रभाव के कारण जातक का अधिक जीवन नाना के पास ही गुजरता है।
सूर्य चन्द्र और मन्गल का आपसी सम्बन्ध
सूर्य चन्द्र और मन्गल के एक साथ होने पर पिता के पास खेती होती है,और उसका काम बागवानी या कृषि से जुडा होता है,पिता का निवास स्थान बदला जाता है,जातक को रक्त विकार भी होता है,माता को पिता के भाई के द्वारा कठिनाई भी होती है,माता या सास को गुस्सा अधिक होता है,एक भाई पहले किसी कार्य से बाहर गया होता है।
सूर्य चन्द्र और बुध का आपसी सम्बन्ध
सूर्य चन्द्र बुध का साथ होने पर खेती वाले कामो की ओर इशारा करता है,पिता का सम्बन्ध किसी बाहरी महिला से होता है,एक पुत्र का मन देवी भक्ति में लगा रहता है,और वह अक्सर देवी यात्रा किया करता है,एक पुत्र की विदेश यात्रा भी होती है,पिता जब भी भूमि को बेचता या खरीदता है,तो उसे धोखा ही दिया जाता है।
सूर्य चन्द्र और गुरु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ चन्द्र और गुरु के होने पर जातक का पिता यात्रा वाले कामो के अन्दर लगा रहता है,और अक्सर निवास स्थान का बदलाव हुआ करता है,जातक पिता का आज्ञाकारी होता है,और उसे बिना पिता की आज्ञा के किसी काम में मन नही लगता है,जातक का सम्मान विदेशी लोग करते है।
सूर्य चन्द्र और शुक्र का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ चन्द्र और शुक्र के होने से भी पिता का जीवन दो स्त्रियों के चक्कर में बरबाद होता रहता है,एक स्त्री के द्वारा वह छला जाता है,जातक की एक बहिन की शादी किसी अच्छे घर में होती है,पिता पुत्र के द्वारा कमाया गया धन एक बार जरूर नाश होता है,किसी प्रकार से छला जाता है,जातक की माता के नाम से धन होता है,जमीन भी होती है,मकान भी होता है,मकान पानी के किनारे होता है,या फ़िर मकान में पानी के फ़व्वारे आदि होते है,जातक के अन्दर या पिता के अन्दर मधुमेह की बीमारी होती है।
सूर्य चन्द्र और शनि का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ चन्द्र और शनि होने के कारण एक पुत्र की सेवा विदेश में होती है,पिता का कार्य यात्रा से जुडा होता है,सूर्य पिता है तो शनि कार्य और चन्द्र यात्रा से जुडा माना जाता है,शनि के कारण माता का स्वास्थ खराब रहता है,उसे ठंड या गठिया वाली बीमारिया होती है।
सूर्य चन्द्र और राहु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ चन्द्र और राहु होने से पिता और पुत्र दोनो को ही टीवी देखने और कम्प्यूटर पर चित्रण करने का शौक होता है,फ़ोटोग्राफ़ी का शौक भी होता है,दादा काफ़ी विलासी रहे होते है,उनका जीवन शराब या लोगों की आफ़तों को समाप्त करने के अन्दर गया होता है,अथवा आयुर्वेद के इलाजो से उन्होने अपना समय ठीक बिताया होता है,एक पुत्र का अनिष्ट माना जाता है,चन्द्र गर्भ होता है,तो राहु मौत का नाम जाना जाता है,राहु चन्द्र मिलकर मुस्लिम महिला से भी लगाव रखते है,पिता का सम्बन्ध किसी विदेशी या मुस्लिम या विजातीय महिला से रहा होता है।
सूर्य चन्द्र और केतु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य चन्द्र केतु के साथ होने पर पितामह एक वैदिक जानकार रहे होते है,नानी भी धार्मिक और वैदिक किताबों के पठन पाठन और प्रवचनो से जुडी होती है,माता को कफ़ की परेशानी होती है,जातक के पास खेती करने वाले या पानी से जुडे अथवा चांदी का काम करने वाले हथियार होते है,वह इन हथियारो की सहायता से इनका काम करना जानता है,चन्द्रमा खेती भी है और आयुर्वेद भी है एक पुत्र को आयुर्वेद या खेती का ज्ञान भी माना जाता है.शहरों मे इस काम को पानी के नलों को फ़िट करने वाला और मीटर की रीडिंग लेने वाले से भी जोडा जाता है.सरकारी पाइपलाइन या पानी की टंकी का काम भी इसी ग्रह युति मे जोडा जाता है।
सूर्य मंगल और चन्द्र का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ मंगल और चन्द्र के होने से पिता पराक्रमी और जिद्दी स्वभाव का माना जाता है,जातक या पिता के पास पानी की मशीने और खेती करने वाली मशीने भी हो सकती है,जातक पानी का व्यवसाय कर सकता है,जातक के भाई के पास यात्रा वाले काम होते है,जातक या पिता का किसी न किसी प्रकार का सेना या पुलिस से लगाव होता है।
सूर्य मंगल और बुध का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ मन्गल और बुध के होने से तीन भाई का योग होता है,अगर तीनो ग्रह पुरुष राशि में हो तो,सूर्य और मन्गल मित्र है,इसलिये जातक के दो भाई आज्ञाकारी होते है,बुध मन्गल के सामने एजेन्ट बन जाता है,अत: इस प्रकार के कार्य भी हो सकते है,मंगल कठोर और बुध मुलायम होता है,जातक के भाई के साथ किसी प्रकार का धोखा भी हो सकता है।
सूर्य मंगल और गुरु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य मन्गल और गुरु के साथ होने पर जातक का पिता प्रभावशाली होता है,जातक का समाज में स्थान उच्च का होता है,जीवात्मा संयोग भी बन जाता है,सूर्य और गुरु मिलकर जातक को मंत्री वाले काम भी देते है,अगर किसी प्रकार से राज्य या राज्यपरक भाव का मालिक हो,जातक का भाग्योदय उम्र की चौबीसवें साल के बाद चालू हो जाता है,जातक के पिता को अधिकार में काफ़ी कुछ मिलता है,जमीन और जागीरी वाले ठाठ पूर्वजों के जमाने के होते है।
सूर्य मंगल और शुक्र का आपसी सम्बन्ध
सूर्य मन्गल और शुक्र से पिता के पास एक भाई और एक बहिन का संयोग होता है,पिता की सहायतायें एक स्त्री के लिये हुआ करती है,जातक का चाचा अपने बल से पिता का धन प्राप्त करता है,जातक की पत्नी के अन्दर अहम की भावना होती है,और वह अपने को दिखाने की कोशिश करती है,एक बहिन या जातक की पुत्री के पास अकूत धन की आवक होती है,जातक के एक भाई की उन्नति शादी के बाद होती है।
सूर्य मंगल और शनि का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ मंगल और शनि के होने से जातक की सन्तान को कष्ट होता है,पिता के कितने ही दुश्मन होते है,और पिता से हारते भी है,जातक की उन्नति उम्र की तीस साल के बाद होती है,जीवन के अन्दर संघर्ष होता है,और जितने भी अपने सम्बन्धी होते है वे ही हर काम का विरोध करते है,भाई को अनिष्ट होता है,स्थान परिवर्तन समस्याओं के चलते रहना होता रहता है,कार्य कभी भी उंची स्थिति के नही हो पाते है,कारण सूर्य दिन का राजा है और शनि रात का राजा है दोनो के मिलने से कार्य केवल सुबह या शाम के रह जाते है,केवल पराक्रम से ही जीवन की गाडी चलती रहती है।
सूर्य मंगल और राहु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य मन्गल के साथ राहु के होने से इन तीनो का योग पिता की कामों में किसी प्रकार की इन्डस्ट्री की बात का इशारा देता है,जातक की एक भाई की दुर्घटना किसी तरह से होती है,जातक का अन्तिम जीवन परेशानी में होता है,पुत्र से जातक को कष्ट होता है,कम्प्यूटर या फ़ोटोग्राफ़ी का काम भी जातक के पास होता है।
सूर्य मंगल और केतु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य मन्गल और केतु के साथ होने से जातक के परिवार में हमेशा अनबन रहती है,जातक को कानून का ज्ञान होता है,और जातक का जीवन आनन्द मय नही होता है उसका स्वभाव रूखापन लिये होता है,नेतागीरी वाले काम होते है,एक पुत्र को परेशानी ही रहती है,जातक के शरीर में रक्त विकार हुआ करते है।
सूर्य बुध और चन्द्र का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ बुध और चन्द्रमा की युति होने से पिता का जीवन बुद्धि जीवी कामो में गुजरता है,पिता कार्य के संचालन में माहिर होता है,जातक या जातक का पिता दवाइयों वाले कामों के अन्दर माहिर होते है,चन्द्रमा फ़ल फ़ूल या आयुर्वेद की तरफ़ भी इशारा करता है,इसलिये बुध व्यापार की तरफ़ भी इशारा करता है,जातक की शिक्षा में एक बार बाधा जरूर आती है लेकिन वह किसी न किसी प्रकार से अपनी बाधा को दूर कर देता है।
सूर्य बुध और मंगल का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ बुध और मन्गल के होने से जातक के पिता को भूमि का लाभ होता है,जातक की शिक्षा मे अवरोध पैदा होता है,जातक के भाइयों के अन्दर आपसी मतभेद होते है,जो आगे चलकर शत्रुता में बदल जाते है।
सूर्य बुध और गुरु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य बुध और गुरु का साथ होने से जातक जवान से ज्ञान वाली बातों का प्रवचन करता है,योग और उपासना का ज्ञानी होता है,पिता को उसके जीवन के आरम्भ मे कठिनाइयों का सामना करना पडता है,लेकिन जातक के जन्म के बाद पिता का जीवन सफ़ल होना चालू हो जाता है,जातक का एक भाई लोकप्रिय होता है,पिता को समाज का काम करने मे आनन्द आता है और वह अपने को सन्यासी जैसा बना लेता है।
सूर्य बुध और शुक्र का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ बुध और शुक्र के होने से जातक की एक संतान बहुत ही शिक्षित होती है,उसके पास भूमि भवन और सवारी के अच्छे साधन होते है,पिता के जीवन में दलाली बाले काम होते है,वह शेयर या भवन या भूमि की दलाली के बाद काफ़ी धन कमाता है,जातक या जातक के पिता को दो स्त्री या दो पति का सुख होता है,जातक समाज सेवी और स्त्री प्रेमी होता है।
सूर्य बुध और शनि का आपसी सम्बन्ध
सूर्य बुध के साथ शनि के होने पर जातक के पिता के साथ सहयोग नही होता है,पिता के पास जो भी काम होते है वे सरकारी और बुद्धि से जुडे होते है,बुद्धि के साथ कर्म का योग होता है,जातक को सरकार से किसी न किसी प्रकार की सहायता मिलती है,राजकीय सेवा में जाने का पूरा पूरा योग होता है।
सूर्य बुध और राहु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य बुध के साथ राहु के होने से जातक एक पिता और पितामह दोनो ही प्रसिद्ध रहे होते है,पिता के पास धन और भूमि भी होती है,लेकिन वह जातक के जन्म के बाद धन को दवाइयों या आकस्मिक हादसों मे अथवा शराब आदि में उडाना चालू कर देता है,एयर लाइन्स वाले काम या उनसे सम्बन्धित एजेन्सी वाले काम भी मिलते है,यात्राओं को अरेन्ज करने वाले काम और सडकॊ की नाप जोख के काम भी मिलते है,जातक को पैतृक सम्पत्ति कम ही मिल पाती है।
सूर्य बुध और केतु का आपसी सम्बन्ध
सूर्य के साथ बुध और केतु होने से जातक के मामा का परिवार प्रभावी होता है,पिता या जातक को कोर्ट केशो से और बेकार के प्रत्यारोंपो से कष्ट होता है,पिता के अवैद्य संबन्धों के कारण परिवार में तनाव रहता है,जातक को इन बातो से परेशानी होती है।
जन्म के सूर्य पर ग्रहों का गोचर से प्राप्त प्रभाव
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की जन्म कुन्डली में स्थापित सूर्य पर समय समय पर जब ग्रह गोचर से विचरण करते है,उसके बाद जो बाते सामने आती है,वे इस प्रकार से है।
सूर्य का सूर्य के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के सूर्य के साथ गोचर करता है,तो जातक के पिता को बीमारी होती है,और जातक को भी बुखार आदि से परेशानी होती है,दिमाग में उलझने होने से मन खुश नही रहता है।
चन्द्रमा का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब चन्द्रमा गोचर करता है,तो पिता या खुद को अपमान सहन करना पडता है,कोई यात्रा भी हो सकती है।
मंगल का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब मन्गल गोचर करता है,तो जातक को रक्त विकार वाली बीमारियां हो सकती है,पित्त वाले रोगों का जन्म हो सकता है,भाई को सरकार या समाज की तरफ़ से कोई न कोई कष्ट होता है।
बुध का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर बुध जब गोचर करता है,तो पिता या खुद को भूमि का लाभ होता है,नये मित्रो से मिलना होता है,जो भी व्यापारिक कार्य चल रहे होते है उनमे सफ़लता मिलती है।
गुरु का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब गुरु गोचर से भ्रमण करता है,तो जातक को किसी महान आत्मा से साक्षात्कार होता है,जीवन की सोची गयी योजनाओं में सफ़लता का आभास होने लगता है,किसी न किसी प्रकार से यश और पदोन्नति का असर मिलता है,प्रतिष्ठा में भी बढोत्तरी होती है।
शुक्र का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब शुक्र गोचर करता है,तो जातक को धन की कमी अखरने लगती है,पत्नी की बीमारी या वाहन का खराब होना भी पाया जाता है।
शनि का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य पर जब शनि गोचर करता है,कार्य और व्यापार में असंतोष मिलना चालू हो जाता है,जो भी काम के अन्दर उच्चाधिकारी लोग होते वे अधिकतर अप्रसन्न रहने लगते है,धन का नाश होने लगता है,नाम के पीछे कार्य या किसी आक्षेप से धब्बा लगता है।
राहु का सूर्य के साथ गोचर
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की जन्म के सूर्य पर जब राहु गोचर से भ्रमण करता है,तो पिता या जातक को माया मोह की भावना जाग्रत होती है,पिता को या पुत्र को चोट लगती है,बुखार या किसी प्रकार का वायरल शरीर में प्रवेश करता है,किसी प्रकार से मीडिया या कम्प्यूटर में अपना नाम कमाने की कोशिश करता है,किसी भी काम का भूत दिमाग में सवार होता है,अक्सर शाम के समय सिर भारी होता है,पिता को या खुद को या तो शराब की लत लगती है,या फ़िर किसी प्रकार की दवाइयों को खाने का समय चलता है,किसी के प्रेम सम्बन्ध का भूत भी इसी समय में चढता है।
केतु का सूर्य के साथ गोचर
जन्म के सूर्य के साथ केतु का गोचर होने से जातक के अन्दर नकारात्मकता का प्रभाव बढने लगता है,वह काम धन्धा छोड कर बैठ सकता है,मन में साधु बनने की भावना आने लगती है,घर द्वार और संसार से त्याग करने की भावना का उदय होना माना जाता है,हर बात मे जातक को प्रवचन करने की आदत हो जाती दाढी और बाल बढाने की आदत हो जाती है,यन्त्र मन्त्र और तन्त्र की तरफ़ उसका दिमाग आकर्षित होने लगता है।
सूर्य का अन्य ग्रहों पर गोचर
इसी प्रकार से सूर्य जब जन्म के अन्य ग्रहों के साथ गोचर करता है, तो मिलने वाले प्रभाव एक माह के लिये माने जाते है।
सूर्य का चन्द्रमा के साथ गोचर
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सूर्य जब जन्म के समय के चन्द्रमा के ऊपर गोचर करता है,तो जातक या जातक के पिता की यात्रायें होती है,और धन की प्राप्तिया होने लगती है,जनता में किसी न किसी प्रकार से नाम का उछाल आता है,और जातक का दिमाग घूमने मे अधिक लगता है,सरकार और सरकारी कामो का भूत दिमाग मे हमेशा घूमा करता है राजनीति वाली बातो से मन ही नही भरता है।
सूर्य का मंगल के साथ गोचर
इसी तरह से सूर्य जब जन्म के मन्गल के ऊपर विचरता है तो जातक का दिमाग जिद्दी होने लगता है,कार्य के स्थान में परेशानिया आने लगती है,पुत्र को चोट लगने की पूरी पूरी सम्भावना होती है,मानसिक तनाव के चलते कोई काम नही बन पाता है,स्त्री की राशि मे पति को क्रोध की भावना बढने लगती है,और पति अपने ऊपर अधिक अभिमान करने लगता है,सरकारी लोगो से दादागीरी वाली बाते भी सामने आने लगती है,अगर जातक किसी प्रकार से पुलिस या मिलट्री के क्षेत्र में है तो कोई सरकारी छापा या रिश्वत का मामला परेशान करता है।
सूर्य का बुध के साथ गोचर
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सूर्य जब जन्म के बुध के ऊपर गोचर करता है तो दोस्त सहायता में आ जाते है,पिता या पुत्र को जमीनी कामो में सफ़लता मिलने लगती है,पिता या पुत्र के काम बहिन बुआ या बेटी के प्रति होने शुरु होते हैं,दिमाग में व्यापार के प्रति सरकारी विभागों के काम आने लगते है,और इसी बात के लिये सरकार से सम्पर्क वाले काम किये जाते है।
सूर्य का गुरु के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के गुरु के ऊपर गोचर करता है,तो एक माह के लिये जातक के अन्दर धार्मिकता की भावना का उदय होता है,किसी न किसी प्रकार का यश मिलता है,किसी न किसी प्रकार के धर्म के प्रति राजनीति दिमाग मे आने लगती है,परिस्थितियां अगर किसी प्रकार से अनुकूल होती है,तो काम के अन्दर बढोत्तरी और पदोन्नति के आसार बनने लगते है,मित्रो और सरकारी लोगो का उच्च तरीके से मिलन होने लगता है।
सूर्य का शुक्र के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के शुक्र के ऊपर गोचर करता है तो पिता को धन का लाभ होने लगता है,अविवाहितो के लिये पुरुष वर्ग के लिये सम्बन्धो की राजनीति चलने लगती है,स्त्री वर्ग के लिये आभूषण या जेवरात बनाने वाली बाते सामने आती है,सजावटी वस्तुओं को खरीदने और लोगो को दिखावा करने की बात भी होती है।
सूर्य का शनि के साथ गोचर
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सूर्य जब जन्म के शनि के साथ गोचर करता है,तो पिता के कार्य मे किसी व्यक्ति के द्वारा बेकार की कठिनाई पैदा की जाती है,पिता और पुत्र के विचारों में असमानता होने से दोनो के अन्दर तनाव होने लगता है,सरकार से जमीन मकान या कार्य के अन्दर कठिनाई मिलती है,लेबर वाले कामो के अन्दर सरकारी दखल आना चालू हो जाता है,लेबर डिपार्टमेन्ट या उससे जुडे विभागों के द्वारा लेबरों के प्रति जांच पडताल होने लगती है,मकान का काम सरकारी हस्तक्षेप के कारण रुक जाता है।
सूर्य का राहु के साथ गोचर
सूर्य जब जन्म के राहु पर विचरण करता है,तो पिता को अपने कामो के अन्दर आलस आना चालू हो जाता है,कार्य के अन्दर असावधानी होने लगती है,और परिणाम के अन्दर दुर्घटना का जन्म होता है,किसी न किसी के मौत या दुर्घटना के समाचार मिलते रहते है,स्वास्थ्य में खराबी होने लगती है,किसी न किसी प्रकार से शमशानी या अस्पताली या किसी भोज मे जाने की यात्रा करनी पडती है।
सूर्य का केतु के साथ गोचर
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सूर्य जब जन्म के केतु के साथ गोचर करता है तो जातक के अन्दर धार्मिकता आजाती है,वह जो भी काम करता है,या किसी की सहायता करता है तो उस काम मे राजनीति आ जाती है.सूर्य के साथ जब कोई ग्रह बक्री हो जाता है तो इस प्रकार के फ़ल मिलते है,मन्गल के बक्री होने पर उत्साह मे कमी आजाती है,शक्ति में निर्बलता मालुम चलने लगती है,पिता का चलता हुआ इलाज किसी न किसी कारण से रुक जाता है,बुध के बक्री होने से शिक्षा का काम रुक जाता है,चलता हुआ व्यापार ठप हो जाता है,किसी से किसी व्यापारिक समझौते पर चलने वाली बात बदल जाती है,गुरु के बक्री होने से अगर संतान पैदा होने वाली है,तो किसी न किसी प्रकार से गर्भपात हो जाता है,सन्तान की इच्छा के लिये यह समय बेकार सा हो जाता है,ह्रदय वाली बीमारियों का जन्म हो जाता है,शुक्र के बक्री होते ही कामवासना की अधिकता होती है,और शनि के बक्री होते ही जातक के अन्दर कार्य या अधिकार के लिये उतावलापन आजाता है.
जानिए जन्म कुंडली में बुधादित्य योग (सूर्य-बुध की युति) के सभी भावों में प्रभाव/परिणाम
- कुंडली के पहले घर अर्थात लग्न में स्थित बुधादित्य योग जातक को मान, सम्मान, प्रसिद्धि, व्यवसायिक सफलता तथा अन्य कई प्रकार के शुभ फल प्रदान कर सकता है।
- कुंडली के दूसरे घर में बनने वाला बुध आदित्य योग जातक को धन, संपत्ति, ऐश्वर्य, सुखी वैवाहिक जीवन तथा अन्य कई प्रकार के शुभ फल प्रदान कर सकता है।
- कुंडली के तीसरे घर में बनने वाला बुधादित्य योग जातक को बहुत अच्छी रचनात्मक क्षमता प्रदान कर सकता है जिसके चलते ऐसे जातक रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त तीसर घर का बुध आदित्य योग जातक को सेना अथवा पुलिस में किसी अच्छे पद की प्राप्ति भी करवा सकता है।
- कुंडली के चौथे घर में स्थित बुधादित्य योग जातक को सुखमय वैवाहिक जीवन, ऐश्वर्य, रहने के लिए सुंदर तथा सुविधाजनक घर, वाहन सुख तथा विदेश भ्रमण आदि जैसे शुभ फल प्रदान कर सकता है।
- कुंडली के पांचवे घर में बनने वाला बुध आदित्य योग जातक को बहुत अच्छी कलात्मक क्षमता, नेतृत्व क्षमता तथा आध्यातमिक शक्ति प्रदान कर सकता है जिसके चलते ऐसा जातक अपने जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकता है।
- कुंडली के छठे घर में स्थित बुधादित्य योग जातक को एक सफल वकील, जज, चिकित्सक, ज्योतिषी आदि बना सकता है तथा इस योग के प्रभाव में आने वाले जातक अपने व्यवसाय के माध्यम से बहुत धन तथा ख्याति अर्जित कर सकते हैं।
- कुंडली के सातवें घर में स्थित बुधादित्य योग जातक के वैवाहिक जीवन को सुखमय बना सकता है तथा यह योग जातक को सामाजिक प्रतिष्ठा तथा प्रभुत्व वाला कोई पद भी दिला सकता है।
- कुंडली के आठवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग जातक को किसी वसीयत आदि के माध्यम से धन प्राप्त करवा सकता है तथा यह योग जातक को आध्यात्म तथा परा विज्ञान के क्षेत्रों में भी सफलता प्रदान कर सकता है।
- कुंडली के नौवें घर में बनने वाला बुध आदितय योग जातक को उसके जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता प्रदान कर सकता है तथा इस योग के शुभ प्रभाव में आने वाले जातक सरकार में मंत्री पद अथवा किसी प्रतिष्ठित धार्मिक संस्था में उच्च पद भी प्राप्त कर सकते हैं।
- कुंडली के दसवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग जातक को उसके व्यवसायिक क्षेत्र में सफलता प्रदान कर सकता है तथा ऐसा जातक अपने किसी अविष्कार, खोज अथवा अनुसंधान के सफल होने के कारण बहुत ख्याति भी प्राप्त कर सकता है।
- कुंडली के ग्यारहवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग जातक को बहुत मात्रा में धन प्रदान कर सकता है तथा इस प्रकार के बुध आदित्य योग के प्रभाव में आने वाला जातक सरकार में मंत्री पद अथवा कोई अन्य प्रतिष्ठा अथवा प्रभुत्व वाला पद भी प्राप्त कर सकता है।
- कुंडली के बारहवें घर में बनने वाला बुधादित्य योग जातक को विदेशों में सफलता, वैवाहिक जीवन में सुख तथा आध्यात्मिक विकास प्रदान कर सकता है।
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