सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या विवाद पर सुनवाई, जानें क्या है मामला और क्या हो सकता है आज
नई दिल्ली, 5 दिसम्बर; सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि मामले की आज से हर रोज सुनवाई करने जा रहा है. विवाद करीब 164 साल पुराना है. सुप्रीम कोर्ट केस से जुड़े अलग-अलग भाषाओं के ट्रांसलेट किए गए 9,000 पन्नों को देखेगा. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच मामले की नियमित सुनवाई करेगी. 6 दिसंबर को विवादित ढांचा ढहाए जाने के 25 साल भी पूरे हो रहे हैं.
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क्या होगा आज
सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की स्पेशल बेंच आज दोपहर में सुनवाई शुरू हुई. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन होंगे तो रामलला का पक्ष हरीश साल्वे रखेंगे. कोर्ट देखेगा कि डॉक्युमेंट्स का ट्रांसलेशन पूरा हुआ है या नहीं. ट्रांसलेशन नहीं होने पर पेच फंस सकता है, लेकिन अदालत कह चुकी है कि अब सुनवाई नहीं टलेगी. 5 दिसंबर से दलीलें सुनी जाएंगी. सबसे पहले ऑरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले दलीलें रखेंगे. फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी.
11 अगस्त को 3 जजों की स्पेशल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी. सुप्रीम कोर्ट में 7 साल बाद अयोध्या मामले की सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने कहा था कि 7 भाषा वाले दस्तावेज का पहले का अनुवाद किया जाए. कोर्ट से साथ ही कहा कि वह इस मामले में आगे कोई तारीख नहीं देगा. उल्लेखनीय है कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिसपर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी.
6 साल से पेंडिंग है अयोध्या विवाद
अयोध्या मामले में विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तमाम पक्षकारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की हुई है. अयोध्या के विवादास्पद ढांचे को लेकर हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया था उसके बाद तमाम पक्षों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की गई थी और याचिका सुप्रीम कोर्ट में 6 साल से लंबित है. पिछले साल 26 फरवरी को बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी को इस मामले में पक्षकार बनाया गया था. स्वामी ने राम मंदिर निर्माण के लिए याचिका दायर की थी. स्वामी का दावा है कि इस्लामिक देशों में किसी सार्वजनिक स्थान से मस्जिद को हटाने का प्रावधान है और उसका निर्माण कहीं और किया जा सकता है. मामले में मुख्य पक्षकार हिंदू महासभा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आदि हैं.
क्या है पूरा मामला
राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था. इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला. टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था. फैसले में कहा गया था कि विवादित लैंड को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए. जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए.
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इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया. अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी. इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी. सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद से यह मामला पेंडिंग था.
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