अयोध्या को अब तक केवल भगवान् राम की जन्मस्थली के रूप में देखा जा रहा है लेकिन वास्तविकता यह है कि अयोध्या हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म का संयुक्त तीर्थ स्थल है। अयोध्या न केवल हिन्दुओं के लिए पवित्र नगरी है बल्कि जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र नगरी है।
जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली
जैन मत के अनुसार यहां प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभनाथ सहित 5 तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। अयोध्या में आदिनाथ(ऋषभदेव) के अलावा अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था। जैन धर्म के सभी 24 तीर्थंकरों का जन्म भगवान श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश से माना जाता है। इसमें पांच तीर्थंकर का जन्म अयोध्या में हुआ था। चक्रवर्ती सम्राट भरत ने यही से संपूर्ण भारत पर राज्य किया था और उन्हीं के नाम से यह देश जाना गया।
प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का जन्म अयोध्या में चैत्रबदी अष्टमी को हुआ था। दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ का जन्म माघ शुदी अष्टमी को हुआ था। चौथे तीर्थंकर अभिनंदन स्वामी का जन्म अयोध्या में माघ शुदी द्वितीया को हुआ था। पांचवें तीर्थंकर सुमतिनाथ का जन्म अयोध्या में वैशाखसुदी अष्टमी को हुआ था। 14वें तीर्थंकर अनंतनाथ का जन्म अयोध्या में वैशाख बदी त्रयोदशी को हुआ था।
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अयोध्या में स्थित जैन मंदिर:-
- अयोध्या में एक दिगंबर जैन मंदिर है जहां ऋषभदेवजी का जन्म हुआ था। त्रेतायुग कालीन इस मंदिर को बाद में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था। अयोध्या के रायगंज नामक स्थान पर ऋषभदेव की 31 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है जो बड़ी मूर्ति के नाम से प्रसिद्ध है।
- दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ का जन्म अयोध्या में बकसारिया तोला में हुआ था। इस जगह को बेगमपुरा भी कहा जाता है। यहां उनके लिए समर्पित एक मंदिर है जिसका नाम ‘अजीतनाथ की टोक’ है।
- अयोध्या में चौथे तीर्थंकर अभिनंदन स्वामी का जन्म रामकोट मुहल्ला में हुआ था। यहां श्री रत्नपुरी जैन श्वेतांबर मंदिर स्थापित है।
- पांचवें तीर्थंकर श्री सुमतिनाथ का जन्म अयोध्या में मुहल्ला मोनधियाना राजघाट में हुआ था। यहां उन्हें समर्पित एक मंदिर है।
- मोहल्ला-मोन्धिआना राजघाट, अयोध्या में 14 वें तीर्थंकर श्री अनंतनाथ का जन्म वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष के 13वें दिन हुआ था। यहां उन्हें समर्पित एक मंदिर है।
श्रीरामजन्मभूमि के पीछे आलमगंज कटरा मोहल्ला में जैन श्वेतांबर मंदिर है। कटरा मोहल्ला में जैन मंदिर बहुत ही भव्य बना हुआ है जहां पांचों तीर्थंकरों की बहुत ही सुंदर मूर्ति विराजमान है।