आयुर्वेद में स्वास्थ्य के लिए अनेकों अनोखी जड़ी बूटिंयां हैं। ऐसी ही एक जड़ी-बूटी का नाम है कुटकी, यह एक हिमालयी हर्ब है। कुटकी का इस्तेमाल वजन घटाने से लेकर लिवर को स्वस्थ रखनें और कई अन्य समस्याओं के लिए किया जाता है। आप में से अधिकांश लोगों ने शायद कभी इस जड़ी-बूटी के बारे में पहले कभी नहीं सुना होगा, लेकिन आइए यहां हम आपको इसके फायदों के बारे में बताते हैं।
क्या है कुटकी
हिमालयी हर्ब कुटकी, पहाड़ों में पाई जाने वाली एक जड़ी-बूटी है, जो कि काफी दुर्लभ जड़ी-बूटियों में से एक है और कई बीमारियों से राहत दे सकती है। यदि आप कुटकी के इस कड़वी जड़ को अपनी डाइट में शामिल करते हैं, तो यहां इसके आपको कुछ प्रमुख लाभ होते हैं, जो कि आपको इस आयुर्वेदिक बुटी की जड़ और अर्क के साथ मिलेंगे।
कुटकी से मिलने वाले लाभ
कुटकी जैसी जड़ी बूटी के अनेको फायदे हैं जो आपको इस आयुर्वेदिक बुटी की जड़ और अर्क के साथ मिलेंगे। आइये जानते हिन् इससे मिलने वाले लाभ के बारे में-
वजन घटाने के लिए
यदि आप वजन घटाना चाहते हैं या वजन बढ़ता महसूस कर रहे हैं, तो कटुकी का सेवन करना इसमें मदद कर सकता है। इस औषधीय जड़ी-बूटी का रस पीने से पाचन में सहायता मिलती है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा मिलता है। इससे आपको वजन बढ़ने से रोकने और एक्सट्रा फैट को बर्न करने में मदद मिलती है।
अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद
अस्थमा के रोगियों के लिए प्रदूषण विशेष रूप से अधिक घातक है, लेकिन यदि आप कुटकी को अपनी डाइट में शामिल करेंगे, तो इससे आपको मदद मिल सकती है। कटुकी में प्राकृतिक रूप से एंटी इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो आपके नाक के रास्ते को खोलते हैं और किसी भी प्रदूषक या बैक्टीरिया को खत्म करते हैं। अस्थमा रोगियों के लिए, यह अत्यधिक फायदेमंद है क्योंकि यह उनके शरीर में हिस्टामाइन को सीमित करता है, जो स्थिति को खराब कर सकता है।
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लिवर सम्बन्धी समस्या के लिए लाभप्रद
इस हिमालयी जड़ी-बूटी का सेवन करने से लिवर से जुड़ी समस्याओं को दूर रखने औ आपके लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। कटुकी में ‘कुटकिन’ या ‘पिक्रोलिव’ एंजाइम होता है, जो यकृत के कार्यों को बढ़ावा देता है और पित्त के विकारों जैसे मुद्दों को कम करता है। यह लिवर के कामकाज को बढ़ाने के लिए फेफड़ों को साफ करता है और लिवर को बैक्टीरिया के हमले से बचाता है। इस प्रकार, आप अपने फेफड़ों को डिटॉक्स करने के लिए कुटकी का सेवन कर सकते हैं।
चोट का जख्म भरने के लिए
जिस प्रकार चोट और घावों पर हल्दी लगाने से घाव भरने में तेजी आती है, उसी प्रकार कटुकी भी काम करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट गुणों की वजह से यह घाव, संक्रमण और चोटों के लिए फायदेमंद है। यह घाव को तेजी से ठीक करने में मदद करता है और कुछ अध्ययनों की मानें, तो यह जड़ी-बूटी सोरायसिस का इलाज में भी प्रभावी है।
बुखार में भी लाभ देती है यह जड़ी-बूटी
शरीर के तापमान को विनियमित करने और बुखार से लड़ने के लिए आप कटुकी का सेवन करें। इस जड़ी-बूटी के अद्भुत एंटीपायरेटिक गुण शरीर के तापमान में अचानक परिवर्तन यानि बुखार से राहत के लिए सूजन से लड़ते हैं। इसलिए आप अपने आहार में कुटकी की जड़ का पीसकर पाउडर को शामिल करें। कुटकी पाउडर आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ाता है और इसका सेवन करने से आप मौसमी बीमारियों के से भी दूर रहेंगे।