इस साल 12 मई यानि आज बड़ा मंगल धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन पवनपुत्र बजरंगबली की पूजा-आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त बजरंगबली की सच्ची श्रद्धा और भक्ति से पूजा करता है।
उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस पर्व की खास विशेषता यह है कि इसे हिन्दू-मुस्लिम दोनों वर्ग के लोग एक साथ मनाते हैं। इससे जुड़ी एक अनोखी औरअनंतकालीन कथा है।
ऐतिहासिक कथा अनुसार, एक बार मुगल शासक मोहम्मद अली शाह का बेटा बीमार पड़ गया था। इसके बाद कई जगहों पर उसका इलाज कराया गया, लेकिन वह ठीक नहीं हुआ।
तब मोहम्मद अली शाह की पत्नी रुबिया उसे बजरंगबली के मंदिर ले गई। जहां, वह बजरंगबली की कृपा से ठीक हो गया। जिस दिन रुबिया अपने बेटे को लेकर मंदिर गई थी, उस दिन मंगलवार था। ऐसे में उसी दिन से बड़ा मंगल का पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगा।
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शुभ मुहूर्त
इस दिन शुभ मुहूर्त सुबह में 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 45 मिनट तक है। इसके अलावा, आप चौघड़िया तिथि अमृत, शुभ, लाभ और चर के समय में भी हनुमान जी की पूजा-आराधना कर सकते हैं। ज्योतिष मान्यता है कि अगर आप किसी कारणवश शुभ मुहूर्त में पूजा-अनुष्ठान नहीं कर पाते हैं तो चौघड़िया तिथि में पूजा कर सकते हैं।
बड़े मंगल के दिन चौघड़िया तिथि निम्न है
सुबह में 8 बजकर 55 मिनट से 10 बजाकर 36 मिनट तक चर काल है।
सुबह में 10 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 18 मिनट तक लाभ काल है।
इसके बाद 12 बजकर 18 मिनट से 1 बजकर 59 मिनट तक अमृत काल है।
जबकि 3 बजकर 40 मिनट से शाम के 5 बजकर 22 मिनट तक शुभ काल है। आप इन समयों में भी बजरंगबली की पूजा आराधना कर सकते हैं।
पूजा विधि
मंगलवार का दिन बजरंगबली को समर्पित होता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद नहा-धोकर सर्वप्रथम आमचन करें। इसके लिए निम्न मंत्र का पांच बार उच्चारण करें।
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा |
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर : शुचि: ||
इसके बाद व्रत संकल्प लेकर लाल वस्त्र धारण करें और पूजा गृह को गंगाजल से शुद्ध करें। बजरंगबली को लाल रंग अति प्रिय है। ऐसे में लाल रंग के पुष्प, लाल फल, कुमकुम आदि से उनकी पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
इस दिन बजरंगबली को गुड़ और धनिया का प्रसाद जरूर भेंट करें। अब बजरंग बली का पूजा प्रारंभ करें। इसके लिए सबसे पहले ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट। मंत्र का 11 बार उच्चारण करें।
इसके बाद हनुमान चालीसा, बजरंग बाण आदि का पाठ जरूर करें। अंत में घी और कपूर से आरती कर पूजा सम्पन्न करें। फिर बजरंगबली से बल, बुद्धि, विद्या और शक्ति प्रदान करने के लिए प्रार्थना करें।
जथा शक्ति तथा भक्ति के भाव से दिन भर उपवास रखें और शाम में आरती अर्चना करने के बाद फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा आराधना करने के बाद व्रत खोलें।
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