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बरसाना की लट्ठमार होली : होरियारों के बीच की रंगीली नोंकझोंक
विश्व प्रसिद्ध बरसाना की लट्ठमार होली 24 फरवरी को बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ खेली गई। रंगों की धार ओर फुहार के बीच राधारानी रुपी गोपियों ने नंदगाँव के कृष्ण रुपी हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाई। हंसी ठिठोली, गाली, अबीर-गुलाल तथा लाठियों से खेली गई। लट्ठमार होली का भरपूर आनंद देश-विदेश से कोने-कोने से आये श्रद्धालुओं ने जमकर लिया।
लट्ठमार होली खेलने से कान्हा के सखा के रूप में आये नन्द गांव के हुरियारे यहाँ पीली पोखर पर आकर स्नान करते है। और अपने सिर पर पगड़ी बांध कर बरसाने की हुरियारिनों को होली के लिए आमंत्रित करते है। कहा जाता है जब भगवन कृष्ण बरसाने होली खेलने आये थे तो बरसने वालों ने उन्हें इसी स्थान पर विश्राम कराया था, और उनकी सेवा की थी, तब से लेकर आज तक बरसना की लट्ठमार होली से पहले इसी स्थान पर नन्द गां से आने वाले हुरियारे यहाँ आकर परंपराओ निर्वहन करते चले आ रहे है।
होली के गीत और गलियों के बाद होता है नाच-गाना और इसके बीच खेली जाती है लट्ठमार होली। जिसमें बरसाना की हुरियारनें नन्दगाँव के हुरियारों पर करती है लाठियों से बरसात। जिसका बचाव नन्दगाँव के हुरियारे अपने साथ लाई ढाल से करते है। इस होली को खेलने के लिए नन्द गाँव से बूढे, जवान और बच्चे भी आते है। और राधा कृष्ण के प्रेम रुपी भाव से खेलते है होली। सुनिए इस हुरियारे की बात और होली के गीत….
बरसाना की इस अनोखी लट्ठमार होली को देखने के लिए श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आते हैं, और राधा और कृष्ण की प्रेम स्वरुप होली को देखकर आनन्दित हो उठते है। ब्रज मै चालीस दिन तक चलने वाले इस होली मै जब तक बरसाना की हुरियारिन नंदगाँव के हुरियारों पर लाठियों से होली नहीं खेलती तब तक होली का आनंद नहीं आता, क्योंकि कहा जाता है की इस होली को देखने के लिए स्वयं देवता भी आते है।