देश के सबसे प्रसिद्ध दशहरे
कुल्लू (हिमाचल प्रदेश)
कुल्लू में शायद ही ऐसा कोई और त्योहार मनाया जाता होगा, जिनती भव्यता से दशहरा मनाया जाता है। कुल्लू के धालपुर मैदान में सात दिन तक दशहरे का त्योहार चलता है। यहां दूर दूर से लोग मेला दखने आते हैं। स्थानीय देवी देवता भी मेले में शिरकत करते हैं। कुल देवताओं को पालकी में बैठाकर यात्राएं निकाली जाती हैं।
मैसूर का दशहरा
कर्नाटक के मैसूर में भी दशहरा काफी धूम धाम से मनाया जाता है। रंग बिरंगे शहर में बड़े बड़े हाथियों को सजाया जाता है और फिर झांकियां निकाली जाती हैं। चामुंडेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना कर ये कार्यक्रम शुरू किए जाते हैं।
दिल्ली का दशहरा
दिल्ली के दशहरे का एक अलग ही रूप है। यहां दशहरे के दिन बड़े बड़े पुतले बनाए जाते हैं और उन्हें प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक आग लगाते हैं। दिल्ली में रामलीला मैदान और सुभाष पार्क में बड़े पुतले जलाए जाते हैं।
अंबाला के बराड़ा का दशहरा
अंबाला के बराड़ा में अब तक का सबसे ऊंचा रावण का पुतला दहन होता रहा है। बराड़ा का रावण पांच बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। पिछले साल रावण का पुतला 210 फुट का था जो कि देश में सबसे ऊंचा था।
कोटा (राजस्थान) का दशहरा
यह का दशहरा भी बहुत प्रसिद्ध हैं।इस अवसर पर यहाँ आसपास के लोग इस दशहरे को देखने आते हैं।इस दिन से यहां के दशहरा मैदान में बहुत बड़ा मेला भी लगता हैं। अन्य कई संस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।
रावण का पुतला
दशहरे का धार्मिक महत्व तो है ही, लेकिन इसको लेकर बच्चों और युवाओं में खासी उत्सुकता रहती है। सबसे पहले तो दशहरे के साथ दीवाली की आहट भी शुरू हो जाती है और बच्चों को पटाखे, रोशनी चलाने का मौका मिल जाता है। दूसरा होता है पुतला बनाना। रावण का पुतला लगभग देश के हर हिस्से में, हर गली में और हर चौराहे पर लगाया जाता है। शाम को सब लोग इकट्ठा होते हैं, कोई एक शख्स राम बनता है और पुतले को आग लगा देता है। लोग तालियां मारते हैं और जबरदस्त आतिशबाजी की जाती है। मेले लगते हैं, मिठाई खरीदी जाती है।
रावण के छोटे छोटे पुतले तो बच्चे खुद ही बना लेते हैं, लेकिन बड़े बड़े पुतले बनाने का काम कई महीने पहले ही शुरू हो जाता है। हजारों से लाखों कि कीमत के ये पुतले कई फुट ऊंचे बनाए जाते हैं। देश में सबसे बड़ा रावण अंबाला के बराड़ा में बनाया जाता है। वहीं और जगह पर रावण को नाम दे दिये जाते हैं, जैसे आतंकवाद का रावण, पॉल्यूशन का रावण बगैरह। दशहरा एक त्योहार तो है ही साथ ही में हजारों लोगों के रोजगार का साधन भी है।
विजयादशमी (दशहरे) से जुड़ी कुछ विशेष बातें…
भगवान राम-सीता और हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है।
विजयादशमी पर शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है।
रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र से भगवान शिव की आराधना की जाती है।
इस दिन करोड़ों रुपए के फूलों की बिक्री होती है और लोग अपने घर के दरवाजे फूलों की मालाओं से सजाकर उत्सव मनाते हैं।
इस दिन लोग अपनी-अपनी क्षमतानुसार सोना-चांदी, वाहन, कपड़े तथा बर्तनों की खरीददारी करते हैं।
इस दिन देशभर में रावण के पुतले बनाकर जगह-जगह जलाए जाते हैं।
दशहरे के दिन शहर-कस्बों और गांवों में श्रीराम-सीता स्वयंवर प्रसंग, रामभक्त हनुमान का लंकादहन कार्यक्रम, रामलीला का बखान करते हुए राम-रावण युद्ध के साथ रावण दहन किया जाता है।
इस दिन खासतौर पर गिलकी के पकौड़े और गुलगुले (मीठे पकौड़े) बनाने का प्रचलन है।
रावण दहन के बाद एक-दूसरे के घर जाकर, गले मिलकर, चरण छूकर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है और साथ ही शमी पत्तों को एक-दूसरे को बांटा जाता है। यह पावन त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।
लेखक – पं. दयानंद शास्त्री
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