निराकार परमात्मा है गीता का भगवान: कुरुक्षेत्र के नजदीक गुरुग्राम में हुआ मंथन
गीता ही एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवानुवाच शब्द का प्रयोग हुआ है।
मतलब भगवान ने स्वंय गीता का ज्ञान दिया था। गीता का भगवान कौन ? गुरुग्राम स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में ‘श्रीमद्भगवद्गीता के सत्य की खोज’ विषय को लेकर ग्रैंड कन्वेंशन का आयोजन हुआ।
इस दौरान 26 से 28 जनवरी तक तीन दिन तक देशभर के संतों और शोधकर्ताओं ने श्रीमद्भगवद्गीता पर अपने-अपने विचार रखे।
श्रीमद्भगवद्गीता से मजबूत होगी संस्कृति
जोधपुर से आए आचार्य पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर डॉ. शिवस्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन होगा। समाज को जगाना होगा, जीवन में धैर्य को उतारना होगा।साथ ही संस्कृति को मजबूत करना होगा जो कि श्रीमद्भगवद्गीता के जरिए संभव है। हमने भौतिक सुख-सुविधाएं तो सेट कर दीं लेकिन खुद अपसेट हो गए हैं।
ऐसे में सात्विकता, धार्मिकता और शांति परिवार की सफलता का सूत्र है, परिवार प्रबंधन का सूत्र है। डॉ. शिवस्वरूपानंद सरस्वती ने अपने संबोधन में आत्मा से पहले शरीर की पवित्रता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि शरीर को पवित्र करना भी धर्म है।
शरीर आत्मा को पवित्र करने का माध्यम है। गंगा, गीता और गायत्री परमात्मा से मिलन की सीढियां हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता सभी के लिए है
दिल्ली से आए वेदांताचार्य स्वामी सर्वानंद सरस्वती ने कहा कि ग्लानि को खत्म करने की जरूरत है। नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलना आवश्यक है। साथ ही सम्मान पाने से पहले सम्मान देना सीखना पड़ेगा। आचरण को संभालना है तो वाणी को संभालना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गीता सर्वमुखी, सर्वगुणी है। गीता किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं बल्कि हर किसी के लिए है।
कौरव ही ना बने रहें हम
गीता पर शोध करने वाली राजयोगिनी ब्रह्मकुमारी उषा ने बताया कि भगवान ने दुर्योधन को भी धर्म के बारे में बताया लेकिन दुर्योधन ने उत्तर दिया कि वह धर्म और अधर्म समझता है लेकिन धर्म के मार्ग पर नहीं चल सकता।इसलिए हम भी सबकुछ जानते हुए कौरव ही ना बने रहें।
काउंसलिंग मेथड है गीता
कर्नाटक से आईं ब्रह्मकुमारी वीणा ने गीता को काउंसलिंग यानि सत्य की समझाइश का तरीका बताते हुए कहा कि दृढ़ निश्चय विकारों पर विजय पाने की कुंजी है। ब्रह्मकुमारी संस्था में जो सुनते आए वही देखा भी इसलिए गीता को समझना और अपनाना आसान हुआ। विकारों को जीतने के लिए आत्मा के मूल का जागृत करें और गीता को आत्मसात करें।
निराकार परमात्मा हैं गीता के भगवान
कार्यक्रम के संयोजक राजयोगी बीके बृजमोहन ने निराकार परमात्मा को ही गीता का भगवान बताया। उन्होंने कहा कि गीता ईश्वरीय ज्ञान की यादगार है कि परमपिता धरती पर आए थे। निराकार भगवान ने साकार शरीर के जरिए गीता का ज्ञान सुनाया। गीता से हम प्रेरणा तो ले सकते हैं लेकिन परम लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर सकते जो कि परमात्मा से योग लगाने पर ही संभव है।
कार्यक्रम में आए दूसरे संतों और विद्वानों ने भी निराकार परमात्मा को सर्वोच्च शक्तिमाना।गुजरात के स्वामी विश्वआनंद ने इस मौके पर मंच से संकल्प किया कि ब्रह्मकुमारी बहनों के साथ मिलकर वो लाखों संतों के जरिए परमात्मा का बखान करेंगे।
वहीं हैदराबाद के श्रीकृष्णानंदस्वामी ने भी ब्रह्मकुमारी संस्था के लिए हर वक्त उपलब्ध रहने और परमपिता परमात्मा का बखानकर ने की बात कही।उन्होंने राजयोग को सभी बीमारियों की रामबाण औषधि बताया।
दादी जानकी का मिला आशीर्वाद
कार्यक्रम के रिसेप्शन और उद्घाटन सत्र में ब्रह्मकुमारी संस्था की प्रमुख राजयोगिनी दादी जानकी भी उपस्थित रहीं। अपने संबोधन में दादी जानकी ने कहा कि हमें खुद को बदलकर दूसरों के सामने मिसाल पेश करनी चाहिए। हमें गीता के ज्ञान को आत्मसात करना चाहिए।
ज्ञान की चैतन्य गंगाएं हैं ब्रह्मकुमारी बहनें
‘पानी की नदियां पतित पावन हैं या चैतन्य ज्ञान गंगाएं’ इस विषय पर आखिरी दिन विचार मंथन हुआ।इस सत्र में चर्चा के दौरान कार्यक्रम संयोजक राजयोगी बीके बृजमोहन ने कहा कि पावन तो सिर्फ परमात्मा है।परमात्मा के ज्ञान की गंगारूपी ब्रह्मकुमारी बहनें सिर्फ संकेत देती हैं।पानी की नदियां सिर्फ शरीर की शुद्धि कर सकती हैं लेकिन ब्रह्मकुमारी बहनें परमात्मा द्वारा धरती पर उतारी हुई चैतन्य गंगाएं हैं जो आत्मा का ज्ञान करवाकर परमात्मा से मिलन का रास्ता बताती हैं।
कार्यक्रम में विवेकानंद योगा रिसर्च इंस्टीट्यूट के चांसलर डॉ. एच आर नागेंद्र, यतिधाम, ऋषिकेश के संस्थापक महामंडलेश्वर जीवनदास महाराज और हैदराबाद हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस ईश्वरैय्या समेत कई अन्य विद्वानों ने भी अपने विचार रखे।
रिपोर्ट – देवेन्द्र शर्मा, जयपुर