जैव विविधता दिवस : हरितिमा संवर्द्धन का दिया संदेश
- चिदानन्द सरस्वती जी ने जैव विविधता दिवस के अवसर पर रूद्राक्ष, पीपल, पाकर, बरगद और तुलसी के पौधों का रोपण कर हरितिमा संवर्द्धन का दिया संदेश
ऋषिकेश, 22 मई। परमार्थ निकेतन में जैव विविधता दिवस पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने प्रकृति, जीवजन्तु और पृथ्वी को बचाने का संदेश दिया। स्वामी जी ने कहा कि पृथ्वी पर रहने वाली सभी प्रजातियों, प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिक तंत्र को बनाये रखने के लिये वृक्षारोपण जरूरी है। हमारे जीवन की सभी जरूरी आवश्यकताएं प्राकृतिक संसाधनों से पूरी होती है अतः प्रकृति प्रदत उपहार को प्रदूषण मुक्त रखना हमारा परम कर्तव्य है। इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से परेशान है मुझे तो लगता है यह कहीं न कहीं मानव के अप्राकृतिक व्यवहार का ही परिणाम है।
जैव विविधता में कमी न केवल पर्यावरणीय मुद्दा है, बल्कि यह आर्थिक, सुरक्षात्मक तथा नैतिक मुद्दा भी है इसलिये लोगों को प्रकृति की रक्षा के लिये स्वच्छ विकास को अपनाना होगा साथ ही इसके लिये विश्व के सभी राष्ट्रों को एक मंच पर आना होगा।
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लगभग 8 मिलियन टन प्लास्टिक हर साल समुद्र में बहाया जाता है। यह मानव और जीवों के लिये बहुत अधिक खतरनाक है क्योकि प्लास्टिक कचरा न केवल समुद्री जीवों को प्रभावित करता है बल्कि समुद्री साल्ट को भी प्रभावित करता है। हमें अपने अपशिष्ट के प्रबंधन के लिये रिडयूस, रीयूज़ और रीसाइकल प्रक्रिया को अपनाना होगा। दुनिया के वैज्ञानिक यह अनुमान लगा रहे है कि दुनिया के लगभग आधे से अधिक वनों को मनुष्यों द्वारा नष्ट किया जा चुका है। पृथ्वी पर लगभग 8 मिलियन जंतुओं एवं वनस्पतियों की प्रजातियां पाई जाती है। रिपोर्ट केे अनुसार 40 प्रतिशत, उभयचर तथा 33 प्रतिशत जलीय स्तनधारी प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। ऐसा ही होता रहा तो पृथ्वी पर जीवन कम और प्लास्टिक चारों ओर दिखायी देगा।
स्वामी जी ने कहा कि हमें संकल्प लेना होगा कि एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब पूरी दुनिया घरों में बंद हैं उसका परिणाम देखिये हमारी नदियां, जीव जन्तु, और प्रकृति मानों खुल कर जी रहें हो। इस समय जीवजन्तु स्वतंत्र और स्वछन्द रूप से विचरण कर रहे है, प्रकृति अपने नये-नये रूप दिखा रही है, नदियां स्वच्छ और अविरल हो गयी है। मानव जाति के लिये भले ही यह समय संकट का हो परन्तु प्रकृति अपने सम्पूर्ण स्वरूप में है इसे इसी तरह बनायें रखने के लिये प्रत्येेेेक मनुष्य को प्राकृतिक जीवन शैली अपनाना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि आज जैव विविधता के साथ वट सावित्री व्रत एवं पूजन भी है दोनों ही हमें प्रकृति के संरक्षण का संदेश देते है। वट सावित्री व्रत हमें दृढ़ संकल्प और प्रभु पर अगाध श्रद्धा की शिक्षा देता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावि़त्री ने अपनी संकल्प शक्ति से अपने पति को यमराज से छुड़ाकर लाया था तब से इस तिथि का बहुत महत्व है। साथ ही कहा जाता है कि वट की पूजा लम्बी आयु, सुख समृद्धि, और अखण्ड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है। पीपल जो कि 23 घन्टे ऑक्सीजन देने वाला पेड़ है। पीपल, कार्बन डाई ऑक्साइड का 100 प्रतिशत एबजार्बर है, बरगद 80 प्रतिशत और नीम 75 प्रतिशत है। हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये जाये तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त भारत हो सकता है। पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं। पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। आइये हम सब मिलकर अपने “भारत“ को प्राकृतिक आपदाओं से बचाएँ।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उसमें भगवान विष्णु का वास है तथा बरगद को भगवान शिव कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अलावा भी वट एक बहुवर्षीय विशाल वृक्ष है जो कई वर्षो तक आॅक्सीजन देते रहता है। स्वामी जी ने कहा कि आईये इस शुभ अवसर पर वृक्षों के रोपण और संरक्षण का संकल्प लें।