श्रावस्ती में बुद्ध महाकुम्भ का आयोजन : ग्रेट श्रावस्ती सेन्टर का उद्घाटन समारोह
- ग्रेट श्रावस्ती बुद्धिस्ट कल्चरल एसेम्बली में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने की शिरकत
- बौद्ध सांस्कृतिक महासभा श्रावस्ती द्वारा किया गया पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन
- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज रहे उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि
- श्रावस्ती में बुद्धमहाकुम्भ का आयोजन
- आज विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध चाहिये – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ड्रकिंग कयागगाॅन टिनले लहंडुप, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, प्रो वांगचुक दोरजी नेगी, खेपो कन्चोक रंगडोल, फाॅर्मर स्पीकर एसएलए, सिक्किम मुख्यमंत्री के कानूनी सलाहकार, पूर्व पर्यटन मंत्री सिक्किम श्री के टी ग्यालत्सेन, जिलाधिकारी श्री दीपक मीणा जी, एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का किया शुभारम्भ
ऋषिकेश, 31 अक्टूबर। श्रावस्ती में ग्रेट श्रावस्ती बुद्धिस्ट कल्चरल एसेम्बली द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ’’ग्रेट श्रावस्ती सेन्टर’’ का उद्घाटन किया गया। इस समारोह का शुभारम्भ 31 अक्टूबर को हुआ तथा समापन 4 नवम्बर को भव्यता के साथ होगा। इस समारोह में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ एलायंस के सह–संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज, ड्रकिंग कयागगाॅन टिनले लहंडुप, प्रो वांगचुक दोरजी नेगी, खेपो कन्चोक रंगडोल, जिलाधिकारी श्री दीपक मीणा जी, फाॅर्मर स्पीकर एसएलए, सिक्किम मुख्यमंत्री के कानूनी सलाहकार, पूर्व पर्यटन मंत्री सिक्किम श्री के टी ग्यालत्सेन एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का किया शुभारम्भ किया। इस कार्यक्रम की सफलता के लिये पर्यटन मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार श्रीमती रीता बहुगुणा जी ने अपना शुभकामना संदेश भेजा।
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नेपाली नृत्य, लद्दाख लोकगायन एवं ध्यान सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूज्य ड्राइवकंग कयाबगाॅन छोकी नांगवा जी का जन्मदिवस उत्सव मनाया गया। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’आज भारत को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध चाहिये। आज युद्ध सर्किट जगह–जगह देखे जा सकते है परन्तु हमें बुद्ध सर्किट की जरूरत है इसलिये उत्तरप्रदेश सरकार ने बुद्ध सर्किट पर विशेष ध्यान दिया है और अब आगे भी बुद्ध सर्किट बनेगे। भारत इसलिये महान है कि उसके पास बुद्ध, महावीर, शंकराचार्य, स्वामी विवेकानन्द, महर्षि अरविन्द ऐसी महान हस्तियांे ने इस देश का समय–समय पर मार्गदर्शन किया है। भगवान राम और श्री कृष्ण; बुद्ध और महावीर की यह धरती सदियों से एकता, समरसता और सद्भाव का संदेश देती रही है। सद्भाव, समरसता और समता को बचाये रखने की जरूरत है तभी जीवन आनन्दमय बनेगा और समाज खुशहाल बनेगा। देश की खुशहाली और हरियाली को बचाना हो तो हमें अपने कल्चर और नेचर को बचाना होगा। हम सब मिलकर रहे यही हमारा कल्चर है, यही हमारी संस्कृति और संस्कार है। उन्होने कहा कि हमें संस्कृति के साथ प्रकृति को बचाये रखना होगा। प्रकृति बचेगी तो पृथ्वी बचेगी; पृथ्वी बचेगी तो आने वाली पीढ़ियां बचेगी। उन्होने कहा कि हिमालय की हरियाली को सुरक्षित रखने के लिये प्रत्येक उत्सव को पर्यावरण से जोड़ना नितांत आवश्यक है। उन्होने कहा कि अब हमें धर्म, जाति और सम्प्रदाय सभी बंधनों से परे होकर पर्यावरण संरक्षण हेतु सद्भाव एवं सहयोग के बंधन में बंधना होगा क्योंकि वायु, जल और प्राकृतिक संसाधन सभी के लिये समान रूप से विद्यमान है। स्वामी जी कहा कि प्रत्येक पर्व और समारोह को पर्यावरण संरक्षण से जोडा़ जाये ताकि इसमें सहभाग करने वाले साधकों को ईश्वर के आशीर्वाद के साथ–साथ वृक्षारोपण, स्वच्छता एवं जल संरक्षण का संदेश भी प्राप्त हो सके।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि लद्दाख की धरती से आकर एक संत इतना कुछ कर सकता है तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम सभी मिलकर उत्तरप्रदेश को उत्तम प्रदेश बना सकते है। उत्तरप्रदेश अपने आप में एक देश है, इसमें बहुत क्षमता है। हम सब मिलकर इसे आगे बढ़ाये। इसके लिये मानव–मानव एक समान सब के भीतर है भगवान, सब को एक दृष्टि से देखना तथा छोटी–बड़ी, ऊँच–नीच और नफरत की दीवारों को तोड़ते हुये दरारों को भरते हुये समाज की समरसता को बचाये और समाज को आगे बढ़ाये यही गीता है और यही कुरान है। हम हर इंसान में इंसानियत का दर्शन करे और अपनी इंसानियत को बचाये।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि ’भारत को स्वच्छ, स्वस्थ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये; यहां की नदियों को निर्मल और अविरल तथा ग्लेशियरों को बचाने के लिये हमें सम्प्रदायवाद नहीं बल्कि सह–हृदयवाद को अपनाना होगा; अब केवल हमारे हाथ ही एक–दूसरे के साथ नहीं जुड़े बल्कि हमारे दिल भी जुड़े। दिल जुड़ेगें तो ’विघटन नहीं संघटन’ होगा और जहां संघटन होता है वहां परिवर्तन निश्चित रूप से होता है।’
स्वामी जी ने बौद्ध सांस्कृतिक महासभा श्रावस्ती के पदाधिकारीगणों को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर इस ऐतिहासिक समारोह की सफलता के लिये साधुवाद दिया। इस कार्यक्रम में सहभाग हेतु भूटान, लद्दाख, सिक्किम और देश के अनेक प्रातांे विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।