केलांग के लाहौल घाटी में आस्था व भक्ति का प्रमुख केंद्र बौद्ध मठ शाशुर गोंपा में शाक्पा या कहिए पापों का प्रायश्चित करने के लिए विशेष धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है.
इस अनुष्ठान में काफी संख्या में महिला और पुरुष हिस्सा लेते हैं. यह सभी लोग बौद्ध मंत्रोच्चारण के बीच विधि विधान से अपने आराध्य देवता ‘देवा ज्ञाछो’ से जाने अनजाने में हुए पापों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं.
बौद्ध मठ में होती है विशेष पूजा
समुद्र तल से 11340 फीट की ऊंचाई पर स्थित गाहर घाटी के प्राचीन बौद्ध मठ में विशेष पूजा पाठ में शामिल होने के लिए महिलाओं व पुरुषों पहुँचते हैं. बर्फबारी और कड़ाके की ठंड के बीच जिला मुख्यालय केलांग से करीब सात किलोमीटर दूर बसे शाशुर गोंपा पहुंचना आम आदमी के वश में नहीं है, लेकिन आस्था व भक्ति में डूबे श्रद्धालु साल में एक बार होने वाले इस विशेष अनुष्ठान में शामिल होने के लिए पहुंच ही जाते हैं.
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शाशुर बौद्ध मठ के कर्ताधर्ता लामा नावांग के अनुसार, “व्यक्ति द्वारा जाने अनजाने में पाप हो जाते हैं. ऐसे में बौद्ध धर्म में इससे मुक्ति पाने के लिए विशेष प्रावधान हैं जिसे शाक्पा अथवा पापों का प्रायश्चित कहा जाता है.” यह धार्मिक अनुष्ठान हर साल तिब्बतन पंचाग के अनुसार साल के पहले महीने के दसवें दिन आयोजित किया जाता है. उन्होंने कहा कि इस विशेष दिन परिवार के कम-से-कम एक व्यक्ति को निश्चिरूप से यहां आना जरूर होता है. यहां आए लोग अपने इष्ट देवता के समक्ष अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं.