विश्वशांति हेतु बौद्ध भिक्षु करजा तेन्जिग दंडवत प्रणाम कर चार माह में पहुंचे सारनाथ
वाराणसी, 20 फ़रवरी; विश्वशांति व बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए हिमाचल प्रदेश के 54 वर्षीय भिक्षु करजा तेन्जिग भगवान बुद्ध को दण्डवत प्रणाम करते हुए हिमाचल से चल कर चार माह बाद सोमवार को सारनाथ पहुंचे. भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने गर्मजाशी के साथ उनका स्वागत किया.
मन में इच्छा हो तो बड़ा से बड़ा काम भी बिना भय के पूरा किया जा सकता है. हिमाचल प्रदेश के भिक्षु करजा तेन्जिंग जब दंडवत करते बौद्ध स्थलों की परिक्रमा कर विश्वशांति की कामना के लिए तैयार हुए तो वहां भी इनके दोस्तों ने बहुत मना किया, लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने दिल की सुनी और चार माह पूर्व अकेले ही एक हाथ ठेला ले कर विश्वशाति एंव भगवान बुद्ध के उपदेशों के प्रसार-प्रचार के लिए हिमाचल प्रदेश से चलकर बोधगया होते हुए सोमवार को सारनाथ पहुंचे, जहां क्षेत्रीय नागरिक गुलाब मोर्या, बचाऊ, पंचम सहित अन्य लोगों ने चाय-पानी के साथ उनका भव्य स्वागत किया.
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बौद्ध भिक्षु करजा तेन्जिग भोजन की जगह सिर्फ सत्तू का ही सेवन करते है. उनका मानना है कि जब तक यात्रा पूरी नहीं होगी तब तक वे सत्तू का ही सेवन करेंगे. सारनाथ पहुंचकर उन्होंने धमेक स्तूप को दंडवत प्रणाम करते हुए परिक्रमा पूरी की. इसके बाद वे कुशीनगर, लुम्बनी होते वापस हिमाचल प्रदेश रवाना होंगे, जिसमें अभी 6 माह का समय और लगेगा.
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