बौद्ध पर्यटन स्थल की स्थिति सुधारने में वर्ल्ड बैंक करेगा मदद
23 जून, नयी दिल्ली; केंद्र सरकार ने बौद्ध पर्यटन स्थलों के विकास के लिए बहुआयामी रणनीति पर अमल करना शुरू किया है. इसके पीछे का कारण अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की बढ़ती संख्या है. इसके अलावा इन स्थलों पर विश्वस्तरीय सुविधा जुटाने के लिए केंद्र सरकार विश्व बैंक और जापान सरकार से भी बात कर रही है.
केंद्रीय पर्यटन सचिव रश्मि वर्मा ने एक निजी वेबसाइट से बातचीत के दौरान जानकारी दी कि जम्मू एवं कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश और ओडिशा से जुड़े बौद्ध स्थलों के विकास के लिए एक साथ कई योजनाओं पर काम चल रहा है.एक तरफ इन स्थलों को विमानन सेवा से जोड़ने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय से अनुरोध किया गया है, वहीं बौद्ध स्थलों के आसपास बेहतर सड़क संपर्क के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से संपर्क किया गया है. यही नहीं, इस समय उत्तर प्रदेश के सारनाथ, श्रावस्ती, कुशीनगर तथा बोधगया को जोड़ने वाले राजमार्ग पर चार स्थानों पर बहु सुविधा परिसर बनाने का भी निर्णय लिया गया है. इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से संपर्क किया गया है, ताकि जमीन एवं अन्य जरूरी सुविधाएं मिल सकें.
अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा
रश्मि वर्मा ने बताया कि बौद्ध सर्किट पर जो बहु सुविधा परिसर बनेगा, वहां जन सुविधा, कैफेटेरिया, मनोरंजन और स्पा आदि की भी व्यवस्था होगी. उसे इस तरह से विकसित किया जाएगा, ताकि अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को भी कोई दिक्कत नहीं हो। इसी के साथ वे-साइड एमिनिटीज विकसित करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के टोल प्लाजा का चयन किया जा रहा है. वहां जन सुविधा के साथ-साथ अल्पाहार आदि की भी व्यवस्था होगी.
12 बौद्ध पर्यटन स्थल विमानन सेवा से जुड़ेंगे
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव राजीव नयन चौबे ने पिछले दिनों बताया था कि बौद्ध सर्किट के कम से कम 12 पर्यटन स्थल उड़े देश के आम नागरिक (उड़ान) योजना से जुड़ रहे हैं. इस बारे में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय से भी अनुरोध मिला है और इस दिशा में प्राथमिकता से काम हो रहा है। सरकार ने कुछ हवाईअड्डों को चिन्हित भी किया है, जहां पहले से ही हवाईअड्डा या हवाई पट्टी है. वहां कुछ ढांचागत संरचना विकसित करना है, उस पर काम चल रहा है। इसी दिशा में सिक्किम में पेकयांग हवाईअड्डा विकसित किया जा रहा है. यह हवाईअड्डा लगभग बन गया है और अगले महीनों में उसे राष्ट्र को समर्पित करने की तैयारी है।
विश्व बैंक से भी ली जाएगी मदद
पर्यटन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, बौद्ध सर्किट को विकसित करने के लिए राशि की कमी न हो, इसके लिए विश्व बैंक और जापान सरकार से भी वित्तीय सहायता लेने की कोशिश की जा रही है। इस बारे में विश्व बैंक के अधिकारियों से शुरुआती दौर की बातचीत में उन्हें प्रजेंटेशन दिया जा चुका है. इसी तरह, जापान सरकार के प्रतिनिधियों से भी बातचीत चल रही है।