चैत्र नवरात्र हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं. चैत्र नवरात्र के के साथ ही हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत होती है . नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है.
नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद पवित्र माना जाता है. इस दौरान लोग देवी के नौ रूपों की आराधना कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर साल चैत्र महीने के पहले दिन से ही नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है. साथ ही इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाती हैं. इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के तौर पर भी जाना जाता है. कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादि के रूप में मनाया जाता है.
चैत्र नवरात्रि कब हैं?
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्र हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं. इस बार चैत्र नवरात्र 25 मार्च 2020 से शुरू होकर 2 अप्रैल 2020 को खत्म हो रहे हैं. राम नवमी 2 अप्रैल 2020 को मनाई जाएगी.
घट स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त
घट स्थापना की तिथि: 25 मार्च 2020
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 24 मार्च 2020 को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 25 मार्च 2020 को शाम 5 बजकर 26 मिनट तक
घट स्थापना मुहूर्त: 25 मार्च 2020 को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक
कुल अवधि: 58 मिनट
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25 मार्च 2020: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन.
26 मार्च 2020: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्वितीया, बह्मचारिणी पूजन.
27 मार्च 2020: नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन.
28 मार्च 2020: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्मांडा पूजन.
29 मार्च 2020: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्कंदमाता पूजन.
30 मार्च 2020: नवरात्रि का छठा दिन, षष्ठी, सरस्वती पूजन.
31 मार्च 2020: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्तमी, कात्यायनी पूजन.
1 अप्रैल 2020: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्टमी, कालरात्रि पूजन, कन्या पूजन.
2 अप्रैल 2020: नवरात्रि का नौवां दिन, राम नवमी, महागौरी पूजन, कन्या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण
नवरात्रि व्रत के नियम
अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्छुक हैं तो इन नियमों का पालन करना चाहिए.
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्प लें.
पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
शाम के समय मां की आरती उतारें.
सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
फिर भोजन ग्रहण करें.
हो सके तो इस दौरान अन्न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें.
अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.
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