इस वर्ष चैत्र नवरात्र 25 मार्च प्रारम्भ होने वाले है। नवरात्र में अधिकतर घरों में लोग पूरे नवरात्र व्रत रखते है और जो लोग पूरे नवरात्र रखते है, वे कलश स्थापना भी करते है।
आईये नवरात्र के इस शुभ अवसर पर आप सभी को देते है कलश के बारें कुछ रोचक जानकारी।
कलश ब्रह्माण्ड का प्रतीक
कलश को कुम्भ भी कहा जाता है। कुम्भ को समस्त ब्रह्माण्ड का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि ब्रह्माण्ड का आकार भी घट के समान है, अतः इसमें समस्त सृष्टि का समावेश माना जाता है।
इसी कारणवश किसी भी पूजा व संस्कार में सबसे पहले कलश की स्थापना का विधान है। इसके बिना कोई भी मंगल कार्य सम्पन्न नहीं होता है।
कलश स्थापना का अपना एक विधान होता है। इसे पूजन स्थल में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है। प्रायः तांबे का कलश ही प्रयोग में लाया जाता है, यदि यह आसानी से उपलब्ध न हो तो मिट्टी, सोने, चाॅदी का कलश भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
कलश का आकार
शास्त्रों में कलश के आकार का वर्णन मिलता है। इसे मध्य मेें 50 अंगुल चैड़ा और 16 अंगुल ऊॅचा व नीचे 12 अंगुल चैड़ा एवं ऊपर से 8 अंगुल का मुख रखें तो यह कलश सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
कलश में प्रयोजनार्थ वस्तुयें रखना
सामान्यतः कलश को जल से भरा जाता है, किन्तु विशेष प्रयोजन में किये जाने वाले अनुष्ठानों में विशेष वस्तुयें रखने का विधान है।
अगर आप धन लाभ के लिए कोई अनुष्ठान करा रहें है तो कलश में मोती व कमल का फूल का डालना चाहिए।
विषय भोग के लिए अनुष्ठान में रोचना और मोक्ष के लिए वस्त्र को कलश में डालने का विधान है।
यदि विजय के लिए अनुष्ठान करा रहें है तो कलश में अपराजिता की जड़ को डालना चाहिए।
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कलश को कैसे रखें
कलश को कभी भी भूमि पर नहीं रखना चाहिए। इसको रखने से पूर्व भूमि को शुद्ध करना आवश्यक है, फिर घटार्गल यन्त्र बनाना चाहिए।
यदि यह न बना सकें तो बिन्दु, षटकोण, अष्टदल आदि बनाया जा सकता है।
इसे बनाने के बाद कोई धान्य रखें उसके बाद उस पर कलश स्थापित करें। कलश के अन्दर उद्देश्य के अनुसार वस्तु को रखें तत्पश्चात देवताओं का आवाहन किया जाता है।
ईशान कोण में स्थापित करें कलश
घर के ईशान कोण में तांबे का कलश रखें। इसमें एक माले में मोती पिरोकर कलश के गले में बांध दें। स्नान के पश्चात इसको स्वच्छ जल में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर कलश को भर दें फिर दूसरे दिन कलश के जल को तुलसी के पेड़ पर चढ़ा दें। ये उपाय 1 वर्ष तक करने से घर के समस्त वास्तु दोषों का शमन हो जाता है।
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