Chaitra Navratri 2025: माँ ब्रह्मचारिणी और माँ चंद्रघंटा की पूजा एक साथ क्यों?
आमतौर पर, नवरात्रि में हर दिन एक देवी की पूजा की जाती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में दो देवियों की पूजा एक साथ की जाती है।
माँ ब्रह्मचारिणी और माँ चंद्रघंटा की पूजा एक साथ क्यों?
तिथियों का संयोग – कभी-कभी पंचांग के अनुसार तिथियाँ घटती-बढ़ती हैं। 2025 में ऐसा संभव है कि द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन पड़ रही हो, इसलिए दोनों देवियों की पूजा एक साथ करनी होगी।
सिद्धांतिक कारण – माँ ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की देवी हैं, जबकि माँ चंद्रघंटा पराक्रम और शक्ति की देवी हैं। दोनों की पूजा से संयम और शक्ति का संतुलन मिलता है।
पंचांग और मुहूर्त के अनुसार निर्णय – कई बार शुभ मुहूर्त के अनुसार पूजन विधि तय होती है, और पुरोहितों द्वारा यह सलाह दी जाती है कि इन दोनों देवियों की पूजा एक साथ की जाए।
क्या ऐसा हर साल होता है?
नहीं, यह हर साल नहीं होता। यह पंचांग के तिथि गणना पर निर्भर करता है। यदि द्वितीया और तृतीया तिथि एक ही दिन आ जाएँ, तो दोनों देवियों की पूजा एक साथ करनी होती है।
क्या दो पूजाएँ अलग-अलग की जा सकती हैं?
अगर आप चाहें तो दिन के अलग-अलग समय पर दोनों देवियों की पूजा कर सकते हैं:
सुबह – माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करें (दूध, दही, मिश्री अर्पित करें)।
शाम – माँ चंद्रघंटा की पूजा करें (गुड़, घी, लाल पुष्प अर्पित करें)।
इससे आप दोनों देवियों को समर्पित समय दे सकते हैं।
तृतीया तिथि का क्षय: कारण और प्रभाव
तिथि क्षय का अर्थ है कि पंचांग गणना के अनुसार, कोई तिथि पूर्ण रूप से उपलब्ध नहीं होती या बहुत कम समय के लिए होती है। ऐसे में उस तिथि की पूजा विधियाँ अगले या पिछले दिन में सम्मिलित की जाती हैं।
2025 में, चैत्र नवरात्रि के दौरान तृतीया तिथि पूर्ण रूप से नहीं होगी, जिसे तिथि क्षय कहा जाता है। इसलिए, 31 मार्च 2025 को द्वितीया और तृतीया तिथि की पूजा एक साथ की जाएगी।
पंचांग के अनुसार तिथियाँ
30 मार्च 2025 (रविवार): प्रतिपदा तिथि – माँ शैलपुत्री की पूजा
31 मार्च 2025 (सोमवार): द्वितीया और तृतीया तिथि – माँ ब्रह्मचारिणी और माँ चंद्रघंटा की संयुक्त पूजा
1 अप्रैल 2025 (मंगलवार): चतुर्थी तिथि – माँ कूष्मांडा की पूजा
माँ ब्रह्मचारिणी और माँ चंद्रघंटा की पूजा एक साथ करने का मुख्य कारण तिथियों का संयोग और पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त है। यदि आप चाहें, तो दोनों की पूजा सुबह-शाम अलग-अलग कर सकते हैं।
🙏 जय माता दी! 😊✨
~ रिलीजन वर्ल्ड ब्यूरो