चंपक द्वादशी : भगवान श्री कृष्ण के साथ करें राम-लक्ष्मण की पूजा
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि निर्जला एकादशी का जितना महत्व है उतना ही महत्व द्वादशी का है, इस द्वादशी को चंपक द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन भगवान राम, लक्ष्मण और श्री कृष्ण तीनों की ही पूजा की जाती है। जहां भगवान राम और श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं वहीं लक्ष्मण को शेषनाग का अवतार माना जाता है। इस दिन चंपा के फूलों से भगवान का पूजन व श्रृंगार किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान का चंपा के फूलों से अगर श्रृंगार किया जाए तो इससे पूजा करने वाले जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन-मृत्यु के चक्र से छुटकारा पाकर सीधा वैकुंठ धाम जाता है।
इस दिन अगर पूरे -विधि विधान से भगवान की पूजा की जाए तो इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन के महत्व को देखते हुए पूजा के लिए राम और कृष्ण मंदिरों में भक्तों की काफी भीड़ रहती है। वहीं कुछ लोग तो दोनों ही मंदिरों में जाकर भगवान की पूजा-आराधना करते हैं। अगर आप चाहें तो घर में भी चंपक द्वादशी का पूजन कर सकते हैं,
आइए जानते हैं पूजन विधि…..
चंपक द्वादशी पर सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण और राम-लक्ष्मण की मूर्ति को चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें।
सके बाद दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान को चंपा की माला पहनाए और मस्तक पर चंदन का तिलक करें। इसके बाद पंचामृत से भगवान को भोग लगाएं।
पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें :-
वंदे नवघनश्यामम् पीत कौशेयवाससम्।
सानंदम् सुंदरम् शुद्धम् श्रीकृष्णम् प्रकृतेः परम्॥