जैन संत योगभूषण महाराज का 9वां सन्मति वर्षायोग पनिहार में सम्पन्न
वृक्ष, प्रकृति और जल संरक्षण की भावना को आगे बढाने वाले जैन संत योगभूषण महाराज का 9वां सन्मति वर्षायोग मध्यप्रदेश के पनिहार में संपन्न हुआ। पनिहार, एक छोटा सा गाँव, जहाँ के टीले में अनेकों रहस्यमयी गुफाएं है जिनमें अनेकों रहस्यों के साथ अद्भुत प्रतिमाएं विराजित हैं। भारत के अन्य विशिष्ट क्षेत्रों की तरह यहां भी तमाम विरासतें बिखरी पड़ी हैं. योगभूषण जी महाराज के चातुर्मास काल में यहां होने वाली गतिविधियों से देश-विदेश के श्रद्धालुओं को इस खास क्षेत्र के बारे में पता चला।
मंत्र महर्षि, धर्मयोगी (डॉ.) क्षु. योगभूषण जी महाराज ने लगभग 1500 वर्ष प्राचीन इस पावन तीर्थ में पहली बार चतुर्मास का संकल्प पूरा किया। हजारों श्रध्दालुओं की उपस्थिति ने इस अतिशय क्षेत्र को पुनर्जीवित कर दिया, ऐसा लगा कि जंगल मे मंगल हो गया …! पनिहार, ग्वालियर से 28 किमी की दूरी पर शिवपुरी राजमार्ग ( AB रोड, NH3) पर बायीं ओर स्थित है ।
जैन धर्म के चर्चित श्री भक्तामर स्तोत्र के दिव्य स्वरों की अनुगूंज से यहां का कण-कण गुंजायमान हुआ। ऐसे परम पावन तीर्थ पर पूज्य श्री का मंगल चातुर्मास हम सभी के लिए ही नही अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए मंगलकारी रहा।
श्री योगभूषण महाराज के पावन से सानिध्य में भूगर्भ से प्रगटित श्री आदीश्वर जी, श्री मुनिसुव्रतनाथ जी, श्री पार्श्वनाथ जी आदि चमत्कारी भगवान के दर्शन करके अपने जीवन मे प्रत्यक्ष पुण्य फल प्राप्त करें। दिनांक 28 जुलाई रविवार को पूज्य आचार्य श्री विद्याभूषण सन्मति सागर जी के अंतिम दीक्षित शिष्य परम श्रद्धेय, मंत्र महर्षि, धर्मयोगी क्षु. श्री योगभूषण जी महाराज का 9वॉं चातुर्मास पनिहार में विधिपूर्वक स्थापित हुआ ।
कार्यक्रम में प्रथम कलश स्थापित करने का सौभाग्य श्री भागचंद जी जैन श्रीमति क्षमा जैन, मुरार वाले, (गोटेगॉंव, म.प्र.) को प्राप्त हुआ। समारोह में दिल्ली, आगरा, मुरैना, ग्वालियर, डबरा, भिंड, शिवपुरी, गोहद आदि अनेकोें समाज के गणमान्य श्रद्धालुजन उपस्थित रहे। मंगलाचरण ब्र. योगांशी दीदी एवं संचालन ब्र. आशीष पुण्यांश जी ने किया ।