मध्य चीन स्थित ह नान प्रांत के ची युआन शहर का ची तू मंदिर का इतिहास कोई एक हजार चार सौ साल पुराना है और वह चीन में सब से अच्छी तरह संरक्षित एक ऐसा मंदिर है, जहां जल देवता की पूजा की जाती है। साथ ही वह राष्ट्रीय प्राथमिकता प्राप्त प्राकृतिक परिरक्षित क्षेत्रों में से भी एक है।
ची तू मंदिर में न सिर्फ हजार वर्ष पुरानी जल देवता की मूर्ति रखी गयी है, बल्कि अतीत के कई राजवंशों के श्रेष्ठ निर्माण भी वहां सुरक्षित हैं। इसलिए चीनी वास्तु शास्त्रियों ने इस प्राचीन मंदिर को चीनी प्राचीन वास्तु म्यूजियम की संज्ञा भी दी है।
ह नान प्रांत की राजधानी चंगचो शहर से ची युआन शहर के उपनगर में स्थित ची तू मंदिर पहुंचा जा सकता है। ची तू मंदिर का क्षेत्रफल 80 हजार वर्गमीटर बड़ा है। इस मंदिर का अगला भाग चौकोर है, जबकि पिछला भाग गोलाकार है। इस जल देवता मंदिर के इस प्रकार के आकार-प्रकार से चीनी मान्यता पृथ्वी चौकोर थी और अंतरिक्ष गोलाकार था की पुष्टि होती है।
ची तू मंदिर में तू का अर्थ है समुद्र में जा मिलने वाला पानी। पुरानी मान्यता के अनुसार चीन में केवल यांग्त्सी नदी यानी छांग च्यांग नदी, पीली नदी, ह्वेइ ह नदी और ची श्वी नदी का पानी ही समुद्र में मिलने लायक था। इसलिए ची श्वी नदी के तट पर निर्मित इस मंदिर का नाम ची तू मंदिर रखा गया। ची तू मंदिर में जल देवता की पूजा के लिए आयोजित पूजा प्रार्थना को सब से उच्च दर्जे की पूजा माना जाता था। ची तू मंदिर का रखरखाव चीन में सब से बढ़िया है।
ची तू मंदिर के मुख्य द्वार से सीधे आगे बढ़कर कई मोटी लकड़ियों के बने दरवाजे देखने को मिलते हैं। फिर इस से होकर और कोई दो सौ मीटर पुराने पत्थरों के रास्ते पर आगे जाने के बाद ची तू मंदिर का सब से भव्यदार भवन दिखाई देने लगता है। यहीं है जल देवता का विश्राम भवन। लकड़ियों से तैयार इस भवन का क्षेत्रफल कोई सौ वर्गमीटर से अधिक है। जल देवता की बड़ी मूर्ति की आकृति बेहद विनम्र और दयालु नजर आती है और वह बड़े शांतचित सुन्दर नक्काशीदार पलंग पर लेटे हुए दिखाई देते हैं तथा उन की लम्बी काली दाढ़ी भी तकिये के पास पड़ी हुई है। जबकि उन की तीन पत्नियां भवन के गेट के पास खड़ी हुई दिखाई देती हैं, मानो जल देवता की नींद खराब न होने देने के लिए पहरे पर खड़ी हों।
चीन के भीतरी इलाके में बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म की बहुत सी धार्मिक शाखाओं में सुप्त मूर्ति की पूजा बहुत कम देखने को मिलती है। लेकिन ताऊ धर्म में विशेष तौर पर सुप्त ची तू देवता की पूजा की जाती है। तत्कालीन स्थानीय लोगों की मान्यता थी कि यदि ची तू देवता ची श्वी नदी के तट पर निश्चिंत रूप से सोते रहेंगे, तो यहां के आम लोग सुख चैन से जीवन बिता सकते हैं।
जल देवता के विश्राम भवन के पीछे ची नदी का उद्गम स्थल है। यहां का प्राकृतिक दृश्य बहुत चमत्कारपूर्ण है। विशाल समतल मैदान में अचानक कई चश्मे फूटकर निकले हुए दिखाई पड़ते हैं और पिछले हजारों वर्षों से वे इसी तरह बह रहे हैं। ये झरने पूर्व की ओर मध्य चीन के ह नान और शानतुंग दोनों प्रांतों में एक हजार किलोमीटर की यात्रा के बाद सीधे समुद्र में जा मिले हैं। कुछ लोकाचार विद्वानों का कहना है कि चीश्वी की यह अद्म भावना ही ची तू मंदिर में पिछले हजार वर्षों से जल देवता की पूजा करने का प्रमुख कारण है।
ची तू मंदिर की एक अलग पहचान यह है कि इस मंदिर में चीन के सुंग, युआन, मिंग और छिंग जैसे अनेक राजवंशों के काल में निर्मित वास्तु भवन बड़े ढंग से सुरक्षित हैं। इन में कुछ भवन एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराने हैं और इन भवनों में चीन के अलग अलग राजवंशों की विशे, वास्तु शैलियां अभिव्यक्ति हुई हैं।
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ची तू मंदिर का मुख्य द्वार के ऊपर तीन बड़े कमरों से अधिक बड़ी छत केवल चार मोटे लकड़ी के खंभों पर टिकी हुई है और उसका इतिहास आज से करीब पाँच सौ साल पुराना है। ची श्वी नदी के उद्गम स्थल पर और एक लिन युआन नामक द्वार है, उस का निर्माण सात सौ से अधिक वर्ष पहले के युआन राजवंश काल में हुआ था। इस द्वार के बगल में एक प्राचीन मंडप यानी ड्रेगन मंडप अपना अलग स्थान रखता है, क्योंकि इस छोटे मंडप का आधार एक हजार वर्ष पहले के सुंग राजवंश का है। खंभे सात सौ साल वर्ष पहले युआन राजवंश के हैं, जबकि छत चार पाँच सौ वर्ष पहले के मिंग राजवंश में पुनर्निर्मित हुई है। यह ड्रैगन मंडप चीनी वास्तु शैलियों का नमूना माना जाता है।
ची श्वी नदी के उद्गम स्थल पर एक शिलालेख आकर्षण का केंद्र है और वह वर्तमान चीन में सब से अच्छी तरह सुरक्षित सुंग राजवंश में बनी एक मात्र रॉक फेंस है। इस हजार वर्ष पुरानी शिलालेख पर सूक्ष्म शिल्पकला के साथ साथ बौद्ध धार्मिक चित्रों का चित्रण भी हुआ है। इस से जाहिर है कि तत्कालीन युग में बौद्ध धर्म और चीनी ताऊ धर्म एक दूसरे को आत्मसात कर रहे थे।
ची तू मंदिर में अब दसेक ताऊ धर्म के पुरोहित रहते हैं और वे मंदिर के साधारण पूजा कार्य को देखते हैं। आम लोग यहां आकर दुआ मांगने के लिए जल देवता की पूजा करते हैं। उन्हें विश्वास है कि पानी देवता उन की रक्षा करने में समर्थ है। यहां साल में प्रार्थना समारोह और अन्य प्रकार के धार्मिक आयोजन किये जाते हैं।
चीनी पंचाग के अनुसार हर साल छः फरवरी को जल देवता का जन्म दिवस मनाया जाता है। मौके पर ची तू मंदिर में भव्य रूप से विविधतापूर्ण धार्मिक आयोजन किये जाते हैं और आसपास के हजारों स्थानीय लोगों को आमंत्रित किया जाता है। कुछ साल पहले ची तू मंदिर की फिर से मरम्मत की गयी है। अब यह मंदिर बिल्कुल नयी सूरत में लोगों के लिए खुल गया है।