रुप चौदस कहें या फिर छोटी दिवाली दोनों को एक ही नाम से जाना जाता है. इस बार ये दिन 13 नवबंर को है. दिवाली के पांच दिनों के त्यौहार में यह धनतेरस के बाद आता है, हालांकि इस बार दोनों साथ में ही पड़े हैं. छोटी दीपावली धनतेरस के अगले दिन मनाई जाती है. इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. इस दिन सुबह अभ्यंग स्नान करने के बाद शाम को मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है और घर के बाहर दीपक जलाकर छोटी दीपावली मनाई जाती है.
मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है. कहा जाता है कि इस दिन सुबह-सवेरे स्नान करने के बाद भगवान कृष्ण की पूजा करने से रूप सौंदर्य की प्राप्ति होती है. ऐसी भी मान्यता है कि राम भक्त हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से इसी दिन जन्म लिया था. इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है.
छोटी दीपावली और नरक चतुर्दशी
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नरक चतुर्दशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है. हालांकि इस बार कई जगहों पर कल यानि की 12 नवंबर को धनतेरस मनाया गया वहीं कई जगहों पर आज यानि की 13 नवंबर को धनतेरस मनाएंगे.
इस साल धनतेरस की तिथि की वजह से छोटी और बड़ी दिवाली एक ही दिन मनाई जाएगी. जो लोग 12 नवंबर को धनतेरस मना रहे हैं, वे 13 तारीख को नरक चतुर्दशी मनाएंगे और 14 तारीख को दिवाली. वहीं, जो लोग 13 नवंबर को धनतेरस मनाएंगे, वे दिवाली के दिन ही नरक चतुर्दशी भी मनाएंगे.
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छोटी दीपावली का महत्व
नरक चतुर्दशी या फिर यम चतुर्दशी और रुप चतुर्दशी या रुप चौदस इसे कई तरह के नामों से जानते हैं. ये पर्व नरक चौदस और नरक पूजा के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन लोग इसे छोटी दिवाली के तौर पर मनाते हैं, इस दिन यमराज की पूजा करते हैं और साथ ही व्रत रखते हैं. कहते हैं इस दिन पूजा करने से नरक जानें से आपको मुक्ति मिलती है.
नरक चतुर्दशी तिथि और स्नान का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 13 नवंबर 2020 को शाम 05 बजकर 59 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 14 नवंबर 2020 को दोहपर 02 बजकर 17 मिनट तक.
अभ्यंग स्नान का मुहूर्त: 14 नवंबर 2020 को सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट तक.
कुल अवधि: 01 घंटे 20 मिनट.
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