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नदियों के संरक्षण का संकल्प लेकर परमार्थ निकेतन से विदा हुये चीन से आये योगी

नदियों के संरक्षण का संकल्प लेकर परमार्थ निकेतन से विदा हुये चीन से आये योगी

  • चीन से आये 55 योग साधकों ने परमार्थ योग प्रशिक्षण शिविर में किया सहभाग
  • बोलो जीवन कैसा हो जैसा बना लो वैसा हो
  • पर्यावरण संरक्षण के लिये बनना होगा शक्तिशाली नागरिक -स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 8 फरवरी। परमार्थ निकेतन आश्रम में चार सप्ताह से संचालित योग प्रशिक्षण शिविर  का समापन हुआ। योग प्रशिक्षण शिविर में चीन  से आये 55 योग साधकों के दल ने सहभाग किया था। चीन से आये योगियों ने परमार्थ से विदा लेते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज की प्रेरणा से नदियों के संरक्षण का संकल्प लिया। योग शिविर में चीन और फ्रांस के योगियों ने सहभाग किया। योग जिज्ञासुओं ने परमार्थ निकेतन में रहकर डाॅ विकास गोखले, श्री प्रकाश बिष्ट, डाॅ एम एम गौर, श्री रविन्द्र ममगाई, एवं श्री विनोद नौटियाल के निर्देशन में योग-आसन, ध्यान, प्राणायाम, भारतीय संस्कृति एवं वेद मंत्रों का प्रशिक्षण लिया ।

योगियों के दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में नदी, पर्यावरण, जल, स्वच्छता एवं पारिस्थितिकी के विषय में जानकारी प्राप्त की। स्वामी जी ने चीन के योगियों को नदियों के संरक्षण के लिये प्रेरित किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’संयोग और सहकार के साथ पर्यावरण एवं नदियों के संरक्षण के लिये कार्य करने की जरूरत है। पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करना परोपकार का कार्य है। स्वामी जी ने कहा कि प्रत्येक मानव को स्वस्थ्य पर्यावरण, स्वच्छ जल एवं शुद्ध प्राणवायु का अधिकार है परन्तु विकास के अधिकार की प्राप्ति पर्यावरणीय जरूरतों को ध्यान मंे रखकर की जानी चाहिये। प्रत्येक मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिये शक्तिशाली बनना होगा। उन्होने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये वैश्विक नीति और राष्ट्रीय नीति बनायी गयी है परन्तु अब हमें सतत विकास के लिये मानव की सोच में परिवर्तन लाना होगा।’


स्वामी जी ने कहा कि नदियों में स्नान तो करे साथ ही अपने देश की; क्षेत्र की नदियांे के स्वस्थ्य का भी ध्यान रखे। उन्होने योगियों को श्रेष्ठ जीवन जीने की विधा के बारे में बताते हुये कहा कि ’’बोलो जीवन कैसा है, जैसा बना लो वैसा है, चाहे इसको स्वर्ग बना लो, चाहे इसको नर्क बना लो। स्वामी जी ने कहा कि प्राणायाम और योग को आत्मसात कर श्रेष्ठ जीवन पद्धति के साथ सुरक्षित पर्यावरण युक्त जीवन पद्धति अपनानी होगी।
चीन में विशेष रूप से योगाचार्य श्री मोहन भण्डारी जी ने चीन के विभिन्न शहरों में योग एवं मेडिटेशन केन्द्र खोलकर भारतीय परम्परा को  स्थापित कर भारत का नाम ऊँचा किया है। वे योग एवं ध्यान के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहे है यह दल भी श्री भण्डारी जी से प्रभावित होकर ही भारत आया था। स्वामी जी महाराज ने जानकारी दी कि परमार्थ निकेतन गुरूकुल से कई ऋषिकुमार, आचार्य एंव योगाचार्यो ने चीन की धरती पर भारत की योगमय परम्परा को स्थापित करने में उत्कृष्ट योगदान दिया है। चीन योग महोत्सव में भी परमार्थ निकेतन और उत्तराखण्ड के योगाचार्यो ने परचम लहराया है।


सभी योग साधकों एंव योग जिज्ञासुओं ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली भव्य गंगा आरती में सहभाग किया। योगियों ने कहा कि हमंे परमार्थ निकेतन आकर योग के साथ पर्यावरण संरक्षणं का संदेश भी प्राप्त हुआ। उन्होने कहा हमें अत्यंत प्रसन्नता हुई की हम सब ने परमार्थ गंगा के तट पर जहां से प्रतिदिन पूरे विश्व को स्वच्छता के प्रति जागरण का संदेश प्रसारित किया जाता है और सकारात्मक संकल्प लेने के लिये प्रेरित किया जाता है उस दिव्य आरती के हम भी विगत 1 माह से सहभागी रहे है और हम सब भी पूज्य स्वामी जी की प्रेरणा से नदियो की स्वच्छता का संकल्प लेकर जा रहे है अपने देश जाकर हम मिलकर नदियों के लिये कार्य करेंगे। पूज्य स्वामी जी महाराज ने उपस्थित सभी को नदियों के संरक्षण का संकल्प कराया तथा सभी योगियो को रूद्राक्ष की माला उपहार स्वरूप देकर विदा किया। इस अवसर पर चीन और फ्रांस से आये यान कै, दुन जुआनली, झाओ यिंग, शूंग, लियू झांेग्जी, यू यिंगफी, अंकी लीउ वे मो, टिंगटिंग यू, यानियन वांग, मेन्ग्यूयू पैन, जियाओवेई हुआंग, टिंग चेन, इमा अल, एफेंग ली, चाओ वांग, एपिंग पैन, सी ली, किंग झोउ, वेन गाओ, हआन एक्स, एक्सयू एक्स्यू, जियाजींग यांग, होंगू चेन, हाॅन्जियन हाआंग, जियाओमी कै, बिंगलियन तन, नान ली, डुओ सुकीन, के वैंग, आॅरेलिया फावा, यफी झांग, जिंग झाह, पिंग झांग, जेंक्सिया फू, यी हू, वांग एक्सआओगुआंग और अन्य योग साधक उपस्थित रहे।

Post By Religion World