आज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है. वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है. आज के दिन भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए थे, आज कायस्थ समाज के ईष्टदेव भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है.
कैसे हुआ भगवान चित्रगुप्त का जन्म
ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण किया तब उन्होंने देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष पशु-पक्षी सभी को बनाया। ऐसे ही यमराज का जन्म हुआ, जो धर्मराज कहलाए. उनको सभी जीवों को उनके कर्म के आधार पर सजा देने का अधिकार प्राप्त हुआ. तब उन्होंने ब्रह्मा जी से अपने लिए एक कुशल सहयोगी मांगा. तब 1000 वर्ष बाद ब्रह्मा जी की काया से दिव्य पुरुष भगवान चित्रगुप्त प्रकट हुए. ब्रह्मा जी की काया से जन्म होने के कारण चित्रगुप्त जी कायस्थ कहलाए.
चित्रगुप्त जी को यमराज का मुंशी भी कहा जाता है.वे अपनी भुजाओं में कलम, दवात, करवाल और किताब धारण करते हैं. वे सभी जीवों के जीवन-मृत्यु का लेखा-जोखा रखते हैं. उसके आधार पर ही यमराज उनको दंड या न्याय देते हैं. यम द्वितीया या कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त और यमराज की पूजा विधिपूर्वक की जाती है. उनके आशीर्वाद से व्यक्ति को बुरे कार्यों के लिए नरक में कष्ट नहीं भोगने पड़ते हैं.
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श्री चित्रगुप्त पूजन विधि
पूजा स्थान को साफ़ कर एक चौकी पर कपड़ा बिछा कर श्री चित्रगुप्त जी का फोटो स्थापित करें यदि चित्र उपलब्ध न हो तो कलश को प्रतीक मान कर चित्रगुप्त जी को स्थापित करें .
दीपक जला कर गणपति जी को चन्दन ,हल्दी,रोली अक्षत ,दूब ,पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा अर्चना करें .
श्री चित्रगुप्त जी को भी चन्दन ,हल्दी,रोली अक्षत ,पुष्प व धूप अर्पित कर पूजा अर्चना करें .
फल ,मिठाई और विशेष रूप से इस दिन के लिए बनाया गया पंचामृत (दूध ,घी कुचला अदरक ,गुड़ और गंगाजल )और पान सुपारी का भोग लगायें .
इसके बाद परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब,कलम,दवात आदि की पूजा करें और चित्रगुप्त जी के समक्ष रखें .
अब परिवार के सभी सदस्य एक सफ़ेद कागज पर एप्पन (चावल का आटा,हल्दी,घी, पानी )व रोली से स्वस्तिक बनायें |उसके नीचे पांच देवी देवताओं के नाम लिखें ,जैसे -श्री गणेश जी सहाय नमः ,श्री चित्रगुप्त जी सहाय नमः ,श्री सर्वदेवता सहाय नमः आदि .
इसके नीचे एक तरफ अपना नाम पता व दिनांक लिखें और दूसरी तरफ अपनी आय व्यय का विवरण दें ,इसके साथ ही अगले साल के लिए आवश्यक धन हेतु निवेदन करें |फिर अपने हस्ताक्षर करें .
इस कागज और अपनी कलम को हल्दी रोली अक्षत और मिठाई अर्पित कर पूजन करें .
अब श्री चित्रगुप्त जी का ध्यान करते हुए निम्न लिखित मंत्र का कम से कम 11 बार उच्चारण करें –
मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले |
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ||
चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं |
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते ||
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