SGPC के नए अध्यक्ष को लेकर जारी है विवादों का सिलसिला
अमृतसर, 7 दिसम्बर; सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के नवनियुक्त प्रधान गोविंद सिंह लोंगोवाल अपनी नियुक्ति के बाद से ही लगातार विवादों में है. ताजा विवाद फरवरी में हुए पंजाब विधानसभा के चुनाव प्रचार के दौरान एक इसाई धार्मिक सभा में वोट मांगने के लिए ईसा मसीह के सामने नतमस्तक होने से शुरू हुआ.
गोविंद सिंह ईसा मसीह के सामने नतमस्तक हुए और पादरी के द्वारा उन्हें आशीर्वाद देते हुए धार्मिक सभा में मौजूद लोगों से अकाली दल को वोट करने की अपील की जिसका एक वीडियो वायरल हो गया और वहीं से विवाद शुरू हुआ है.
दरअसल, सिख धर्म के मुताबिक सिख अपने पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के अलावा कहीं और नतमस्तक नहीं हो सकते. लेकिन गोविंद सिंह लोंगोवाल ईसाई वोटर्स के समर्थन के लिए उनकी धार्मिक सभा में सिर झुकाए खड़े इस वीडियो में दिखाई दे रहे हैं.
गोविंद सिंह लोंगोवाल से जुड़ा ये कोई अकेला विवाद नहीं है. पंजाब चुनाव प्रचार के दौरान अकाल तख्त ने अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के करीब 44 राजनेताओं और उम्मीदवारों को डेरा सच्चा सौदा में जाने और गुरमीत राम रहीम और डेरा सच्चा सौदा अनुयायियों से अकाली दल को वोट करने की अपील करने को लेकर धार्मिक सजा तन्खइयां सुनाई थी, जिसके तहत दोषियों को गुरुद्वारों में रहकर सेवा करनी पड़ती है और ये सजा उन सिखों को सुनाई जाती है, जोकि पंथ के खिलाफ जाकर सिख धर्म के विरुद्ध कोई काम करते हैं.
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हालांकि इस फैसले में ये साफ हो गया था कि गोविंद सिंह लोंगोवाल ने सिर्फ डेरा सच्चा सौदा अनुयायियों के घरों में जा कर वोट मांगे थे, वो डेरा सच्चा सौदा के सिरसा मुख्यालय या किसी और डेरा अनुयायियों से वोट मांगने नहीं गए थे, लेकिन अब इसी बात को लेकर विवाद बढ़ गया है क्योंकि एक वक्त में अकाली दल के विधायक और नेता रहे गोविंद सिंह लोंगोवाल अब सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान बन चुके हैं.
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इसी वजह से कांग्रेस ये सवाल खड़ा कर रही है कि ऐसा व्यक्ति जोकि सियासी पृष्ठभूमि का है और डेरा सच्चा सौदा से वोट मांगने के लिए जिसे अकाल तख्त की तरफ से तनखइयां भी करार दिया जा चुका है, उसे एक धार्मिक संस्था के शीर्ष पर बिठाने के पीछे कहीं न कहीं अकाली दल का मकसद वोटों की राजनीति ही है और एसजीपीसी में अधिकतर मेंबर अकाली दल से संबंध रखते हैं, इसी वजह से धर्म की सियासत करने के लिए एक राजनीतिक शख्सियत को सिखों की सर्वोच्च संस्था का प्रधान नियुक्त किया गया है.
वहीं इस पूरे मामले में अकाली दल ने गोविंद सिंह लोंगोवाल का बचाव करते
हुए कहा कि लौंगोवाल एक धार्मिक शख्सियत है और पिछले कई साल से वो राजनीति में रहते हुए भी सिख पंथ के लिए काम करते रहें और उनकी इसी शख्सियत को देखते हुए एसजीपीसी के मेंबर्स ने उन्हें अपना प्रधान नियुक्त करने के लिए वोटिंग की है.अकाली दल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस एसजीपीसी पर कंट्रोल चाहती है और इसी वजह से उन्हें गोविंद सिंह लोंगोवाल की नियुक्ति पसंद नहीं आ रही है और लोंगोवाल को बेकार के विवादों में घसीटा जा रहा है.
वहीं एसजीपीसी के प्रधान गोविंद सिंह लोंगोवाल इन तमाम विवादों पर खामोश है, लेकिन उन्होंने डेरा सच्चा सौदा से जुड़ चुके सिखों से अपील करके इस पूरे विवाद को खत्म करने की कोशिश की और डेरे से जुड़े सिखों को कहा कि वो सिख धर्म में वापस लौट आएं.
सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर ज्यादातर अकाली दल समर्थित नुमाइंदों का ही कब्जा रहा है. इसी वजह से एसजीपीसी पर अक्सर अकाली दल का समर्थन करने और धर्म का इस्तेमाल करके अकाली दल को फायदा पहुंचाने के आरोप लगते रहे हैं. लेकिन जिस तरह से एसजीपीसी के नए प्रधान गोविंद सिंह लोंगोवाल का पुराना राजनीतिक इतिहास रहा है उसको देखकर ये साफ है कि आने वाले वक्त में भी एसजीपीसी प्रधान से जुड़े विवाद खत्म होने वाले नहीं है.
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