भारतीय वैज्ञानिक और कोरोना वैक्सीन
भारत में जहां कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है वहीं हमें कोरोना से लड़ने की चुनौती भी मिल रही है. इसी बीच एक अच्छी खबर से भारतीयों की सिर ऊंचा हो सकता है। लंदन में स्थित ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के संग भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का साझा अभियान कोरोना की वैक्सीन बनाने में लगी है। वहां पिछले कुछ महीनों ने हर स्तर पर प्रयोग हो रहे है और अब तीसरे स्तर पर मानवीय परीक्षण भी शुरू हो गए है। इस खास खोज में एक भारतीय महिला प्रोफेसर सुमी विश्वास का खास योगदान है। वे स्पाईबायोटेक कंपनी की सीईओ है, जो ऑक्सफोर्ड में प्रोफेसर भी हैं. स्पाईबायोटेक कंपनी ने ही कोरोना की नई वैक्सीन तैयार की है.
कौन बना रहा है वैक्सीन ?
SpyBiotech ने सीरम इंस्टीट्यूट के साथ वैक्सीन के लाइसेंस का समझौता किया है. इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑक्सफोर्ड की पहली कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनका कंपनी के साथ भी समझौता कर चुकी है. दरअसल यूनिवर्सिंटी के संग काम करने के कारण उन्हें वैक्सीन निर्माण का काम दिया गया है। वे कोरोना वैक्सीन डेवलप करने वाली टीम के साथ काम कर चुकी है।
प्रोफेसर सुमी विश्वास ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के इस वैज्ञानिक अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसी वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में हो रहा है। ऐसी बात कही जा रही है कि यही वैक्सीन दुनिया में सबसे पहले आएगी जिसका भारत के सीरम इंस्टीट्यूट में भारी संख्या में निर्माण होगा।
कोरोना की वैक्सीन का टेस्ट कैसे ?
सुमी विश्वास ने बताया है कि ह्यूमन ट्रायल के दौरान वैक्सीन की खुराक सैकड़ों वॉलंटियर्स को दी जाएगी। वैक्सीन हैपेटाइटिस बी एंटीजन के वायरस जैसे कण को कैरियर की तरह प्रयोग करता है। सुमी विश्वास ने कहा कि दोनों फेज के ट्रायल के दौरान कई सौ लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जाएंगी. बंगलौर यूनिवर्सिटी से माइक्रोबायोलॉजी की पढ़ाई करने के बाद 2005 में सुमी ब्रिटेन चली गई थीं. और उन्होनें 2017 में स्पाईबायोटेक (SpyBiotech) कंपनी बनाई, जो इस वैक्सीन को खोज के लिए काम कर रही है।
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